सरकारी योजनाओं में गांवों में मिट्टी के रास्ते बनाने के नाम पर सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन ग्रामीणों को इन सड़कों का लाभ नहीं मिल पा रहा.
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Sangod: सरकारी योजनाओं में गांवों में मिट्टी के रास्ते बनाने के नाम पर सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन ग्रामीणों को इन सड़कों का लाभ नहीं मिल पा रहा.
खासकर खेतों तक किसानों की राह आसान करने को लेकर बनाए गए मिट्टी के रास्ते किसानों के लिए ही परेशानी बन रहे है. बारिश के बाद इन रास्तों पर कई फीट कीचड़ हो जाता है. कृषि संबंधित कार्य के चलते वाहनों को खेतों तक लाने-ले जाने के दौरान वाहन रास्तों पर धंस जाते है, जिन्हें निकालने में किसानों को काफी परेशानी होती है.
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कुछ ऐसा ही नजारा क्षेत्र के मंडाप गांव में भी नजर आया है. ग्रामीण हेमंत नागर ने बताया कि धान की फसल के लिए खाद ले जा रहे किसान रामेश्वर दयाल प्रजापत का ट्रैक्टर रास्ते में कीचड़ में धंस गया. कीचड़ भी इतना की ट्रैक्टर के आधे पहिए कीचड़ में धंस गए. इसे निकालने के लिए दूसरा ट्रैक्टर जोड़ा तो वो भी फंस गया. फिर तीन ट्रैक्टर एक साथ जोड़कर रास्ते पर फंसे इन ट्रैक्टरों को निकाला गया. इसके लिए किसानों को पांच घंटे तक पसीना बहाना पड़ा.
ग्रेवल की जगह मिट्टी
किसानों ने बताया कि गांवों में हर साल यह समस्या रहती है. यह हाल मंडाप ही नहीं बल्कि बारिश में सभी गांवों के है. सरकार ने खेतों तक आने जाने के लिए रास्ते तो बना दिए लेकिन इन पर सिर्फ मिट्टी डालने से यह किसानों के लिए फायदेमंद कम बल्कि परेशानी भरे ज्यादा साबित हो रहे है. हालांकि पूर्व में मिट्टी जगह ग्रेवल सड़कें बनती थी लेकिन क्षेत्र में ग्रेवल नहीं मिलती है तो पुलिस प्रशासन की सख्ती आढ़े आती है.
किसानों की इस समस्या पर बारिश के पूर्व प्रधान जयवीर सिंह ने कई बार जनप्रतिनिधि और अधिकारियों को ज्ञापन दिए लेकिन बात नहीं बनी. पंचायतीराज मंत्री रमेश मीणा से लेकर जिले के प्रभारी मंत्री परसादी लाल मीणा जिला कलेक्टर से लेकर कई उच्च अधिकारियों को समस्या बताने के बाद भी किसी ने किसानों की प्रमुख समस्या पर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते किसानों के लिए बारिश में खेती करना चुनौती भरा साबित हो रहा है.
किसानों की यह समस्या बहुत बड़ी है, जिस पर किसी का ध्यान नहीं है. मिट्टी के इन रास्तों पर बारिश में खेतों तक कृषि संसाधन लेना किसानों के लिए बड़ी चुनौती है. समस्या कई बार बताई लेकिन समाधान नहीं हो रहा. इन रास्तों पर ग्रेवल डलने के बाद ही इसका कुछ हद तक समाधान हो सकता है.
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