रामायण में सूर्पणखा ने की थी श्रीराम की मदद, रावणवध की अनसुनी कहानी
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रामायण में सूर्पणखा ने की थी श्रीराम की मदद, रावणवध की अनसुनी कहानी

रामायण (Ramayana)की कथा सबके याद है और साथ ही रामायण का हर किरदार भी. जिनमें से एक हैं सूर्पणखा. जिसके नाक और कान को लक्ष्मण ने काट दिया था. लेकिन क्या आप जानते हैं सूर्पणखा एक अप्सरा हुआ करती थी, जिसे एक श्राप ने राक्षसी बना दिया था. 

रामायण में सूर्पणखा ने की थी श्रीराम की मदद, रावणवध की अनसुनी कहानी

Mythology : सूर्पणखा ऋषि विश्वश्रवा और कैकसी की बेटी और लंका नरेश रावण की बहन थी. उसके नख यानि की नाखून सूप के जैसे थे. इसलिए उसे शूर्पणखा कहा गया. सूर्पणखा का विवाह कालका के बेटे दानवराज विद्युविह्वा के साथ हुआ था.

पूरी दुनिया को जीतने निकले रावण ने युद्ध में दानवराज विद्युविह्वा को भी मार डाला था. जिससे सूर्पणखा ने रावण को श्राप दिया था कि मेरे की कारण तेरा सर्वनाश हो जाएगा.

एक मान्यता ये भी है कि सूर्पणखा का पति दानवराज विद्युविह्वा विष्णु भक्त था और इसी लिए रावण ने उसका वध कर दिया था और अपनी बहन सूर्पणखा को 
भाई खर के पास भेज दिया था. खर दंडकारण्य में रहता था.

इसी दंडकारण्य में श्रीराम वनवास के समय रह रहे थे. ऐसे में श्रीराम पर मोहित हुई सूर्पणखा ने श्रीराम से विवाह की इच्छा जताई तो श्री राम ने मुस्कुराते हुए कहा कि मेरा विवाह हो चुका है, मेरा छोटा भाई लक्ष्मण अविवाहित है, तो तुम उसके सामने प्रस्ताव रख सकती हो.

श्रीराम की बात मानकर सूर्पणखा ने लक्ष्मण से विवाह के लिए पूछा तो लक्ष्मण ने मना कर दिया और फिर से श्रीराम के पास जाने को कहा. जिससे गुस्सायी सूर्पणखा ने माता सीता को खाने की चेष्ठा की और फिर श्री राम के कहने पर लक्ष्मण ने उसकी नाक और कान काट दिये.

कहा जाता है कि सूर्पणखा पिछले जन्म में एक अप्सरा थी जिसका नाम नयनतारा था. जिसे इंद्र ने 'वज्रा' नाम के ऋषि की तपस्या को रोकने के लिए भेजा था. तपस्या भंग होने पर ऋषि ने नयनतारा को राक्षसी होने का श्राप दिया था. लेकिन फिर नयनतारा की क्षमा याचना के बाद ऋषि ने कहा की तुम्हे प्रभु दर्शन देकर श्राप से मुक्त करेंगे.

जब सूर्पणखा के नाक और कान काटे गये तो उसको ज्ञान मिला और उसे पूर्वजन्म याद आ गया. फिर सूर्पणखा ने प्रभु श्रीराम की मदद की और प्रभु श्रीराम के हाथों ही खर, दूषण, रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद को मरवा दिया.

कहा जाता है कि इसके बाद सूर्पणखा पुष्करजी में चली गई और जल में खड़ी होकर भगवान शिव का ध्यान करने लगी. ये भी कहा जाता है कि सूर्पणखा ने रावण वध के बाद गुरु शुक्राचार्य के आश्रम में शरण ली थी.

कहा ये भी जाता है कि शिव आराधना के बाद भगवान शिव ने शूर्पणखा को दर्शन दिये थे और कहा था कि द्वापर युग में जब श्रीराम कृष्णावतार लेंगे, तब कुब्जा के रूप में तुम्हें कृष्ण से पति सुख मिलेगा. तब श्रीकृष्ण तुम्हारी कूबड़ ठीक करके अप्सरा का मनमोहक रूप देंगे.(डिस्केलमर- ये लेख सामान्य जानकारी है,जिसकी जी मीडिया पुष्टि नहीं करता है)

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