जोधपुर: आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2023 जुड़ा मामला, सामान्य वर्ग से भर देने पर पेश याचिका
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जोधपुर: आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2023 जुड़ा मामला, सामान्य वर्ग से भर देने पर पेश याचिका

जोधपुर: आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2023 से जुड़े मामले में सामान्य वर्ग से भर देने पर याचिका पेश की गई है, जानिए ये पूरा मामला क्या है.

जोधपुर: आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2023 जुड़ा मामला, सामान्य वर्ग से भर देने पर पेश  याचिका

जोधपुर न्यूज: आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती 2023 में दिव्यांग के लिए आरक्षित 32 पदों में 18 पदों पर सामान्य वर्ग से भर देने पर दायर याचिका पर राजस्थान हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. बिदासर, जिला चुरू निवासी डॉ रविन्द्र कुमार नायक की ओर से एडवोकेट यशपाल खिलेरी व विनीता ने सुनवाई में  बताया कि याची बाएं हाथ में 40 प्रतिशत से अधिक लोकोमोटर्स डिसेबिलिटी से पीड़ित होकर वन हाथ श्रेणी से निःशक्तजन हैं. 

दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के प्रावधानों के तहत कुल 4 प्रतिशत क्षैतिज रूप से आरक्षण का प्रावधान किया हुआ है जो विज्ञापित पद के कार्य दायित्वों के अनुरूप निःशक्तजन की उपयुक्त श्रेणी को देय होता है. उक्तनुसार आयुर्वेद विभाग द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के कुल 787 विज्ञापित पदों में से 32 पदों हेतु दिव्यांगजन की ओएल, ओए ,बीएल , एलसी, डीडब्ल्यू, एएवी , एसएलडी, एमडी श्रेणी को ही पात्र विशेष योग्यजन  चिन्हित किया गया.

काउंसलिंग के पश्चात अंतरिम वरीयता सूची जारी 

आयुर्वेद विश्व विद्यालय, करवड़ और आयुर्वेद विभाग, अजमेर द्वारा उक्त आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी भर्ती-2023 में दस्तावेज सत्यापन काउंसलिंग के पश्चात अंतरिम वरीयता सूची जारी की, जिसमें दिव्यांगजन हेतू आरक्षित 32 पदों के विरुद्ध केवल 14 दिव्यांगजन को ही अस्थायी चयनित किया और शेष 18 पदों पर योग्य दिव्यांग अभ्यर्थी नहीं मिलने का कहकर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को अस्थायी चयनित कर लिया गया. 

कानूनन, यदि दिव्यांजन अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हो तो धारा 34 के अनुसार आरक्षित पदों को आगामी भर्ती वर्ष में अग्रेषित करने का प्रावधान है. जिसका उल्लेख विज्ञप्ति में भी किया गया है.  बावजूद इसके, याची के योग्य व उपलब्ध होने के बाद भी उसे चयनित नही करना गेर कानूनी और अवैद्य हैं.  आयुर्वेद विभाग द्वारा राज्य सरकार के बनाये क़ानून को ही नही मानने का कृत्य अचंभित करने वाला और दिव्यांगजन अभ्यर्थियों के प्रति उसके असंवेदनशीलता को दर्शाता है.

आपत्तियां प्रस्तुत करते समय भर्ती एजेंसी आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जोधपुर द्वारा याची को मौखिक बताया गया कि यदि बायां हाथ पूरा ही नहीं होता तो ही वह एकल भुजा ओए श्रेणी में पात्र हैं, जो जवाब भी स्पष्ठतः विधि विरुद्ध और असवैधानिक है. याची के अधिवक्ता खिलेरी ने कोर्ट का ध्यान इस ओर भी दिलाया कि याचिका पेश होने के पश्चात आयुर्वेद विभाग द्वारा जल्दबाजी में बिना अंतिम कटऑफ जारी किए, 23 सिंतबर को अंतिम अस्थायी चयन सूची भी जारी कर दी है.

 जिसमें भी दिव्यांगजन पदों के विरुद्ध सामान्य अभ्यर्थियों को पुनः चयनित कर लिया गया है और परिवेदना प्राप्त होने के बावजूद भी कोई सुधार नहीं किया, अब आयुर्वेद विभाग, अजमेर में इनका पदस्थापन आदेश जारी करने की तैयारी में है. रिकॉर्ड पर आए तथ्यों का परिशीलन कर एवं याची के तर्कों से सहमत होते हुए न्यायाधीश  अरुण भंसाली  ने कहा कि याचिका की आगामी सुनवाई 06 अक्टूबर नियत करते हुए याची के अधिकारों को सुरक्षित रखते हुए, अंतरिम आदेश पारित किया कि आगामी तिथि तक, नियुक्ति आदेश जारी होने की स्थिति में याची के वर्ग में आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी का एक पद रिक्त रखा जाए.

 

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