झुंझुनूं के उदयपुरवाटी उपखंड के किशोरपुरा गांव के वेदप्रकाश सैनी ने एक ऐसा सेफ्टी कोड स्टीकर क्यूआर कोड बनाया है, जो गाड़ियों पर लगाया जाएगा. दुर्घटना होने पर कोई भी इस स्टीकर में लगे क्यूआर कोड को स्कैन करेगा तो इमरजेंसी नंबर पर कॉल चली जाएगी और परिजनों को सूचना मिल जाएगी.
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Jhunjhunu News: किशोरपुरा गांव के एक युवा ने नवाचार करते हुए सेफ्टी कोड बनाया हैं, जिसकी मदद से दुर्घटना के घायलों को तत्काल इलाज मिल सकेगा दुर्घटना होने पर कोई भी इस स्टीकर में लगे क्यूआर कोड को स्कैन करेगा तो इमरजेंसी नंबर पर कॉल चली जाएगी और परिजनों को सूचना मिल जाएगी वे तत्काल दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर या अन्य किसी माध्यम से घायल को समय पर इलाज दिलवा सकेंगे.
झुंझुनूं के उदयपुरवाटी उपखंड के किशोरपुरा गांव के वेदप्रकाश सैनी ने एक ऐसा सेफ्टी कोड स्टीकर क्यूआर कोड बनाया है, जो गाड़ियों पर लगाया जाएगा. दुर्घटना होने पर कोई भी इस स्टीकर में लगे क्यूआर कोड को स्कैन करेगा तो इमरजेंसी नंबर पर कॉल चली जाएगी और परिजनों को सूचना मिल जाएगी. वे तत्काल दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर या अन्य किसी माध्यम से घायल को समय पर इलाज करा सकेंगे. इससे गंभीर घायलों का जीवन बचाया जा सकेगा. सेफ्टी कोड में वाहन मालिक या चालक की जरूरी डिटेल इसमें सेव की जाएगी.
इसके बाद इसे वाहन के अगले हिस्से पर चिपकाया जाएगा. दुर्घटना जैसे हालात में जब वाहन सवार लोग कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं होते तब कोई भी इस स्टीकर पर लगे क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन करेगा तो इमरजेंसी नंबर क्लिक करते ही कॉल चली जाएगी. जहां से यह कॉल घायल के परिजनों को डायवर्ट कर दी जाएगी यानी महज एक मिनट में घायल के परिजनों तक सूचना पहुंच जाएगी और समय पर घायल का उपचार करवा सकेंगे. एसपी मृदुल कच्छावा ने वेदप्रकाश द्वारा बनाये गए इस सेफ्टी कोड की लांच किया और आमजन से अपील की इस सेफ्टी कोड को वाहन पर लगाये ताकि हादसें की समय घायल को समय पर इलाज मिल सके.
दुर्घटना या आपातकाल के समय कोई भी व्यक्ति, एंबुलेंस स्टाफ या पुलिस कर्मी अपने मोबाइल से स्टीकर पर लगे क्यूआर कोड को पेटीएम, गुगल लेंस, कैमरा इत्यादि से आसानी से स्कैन कर सकेंगे. स्कैन करते ही मोबाइल की स्क्रीन पर एक पेज खुलेगा, जिसमें सिर्फ कॉल इमरजेंसी लिखा होगा. इस पर क्लिक करते ही कॉल सेफ्टी कोड सर्वर के माध्यम से वाहन मालिक के परिजनों तक चली जाएगी. इसमें न तो घायल की अन्य जानकारी सामने आएगी और न ही स्टीकर को स्कैन करने वाले के नंबर शो होंगे यानी यह गोपनीय रहेगा.
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इतना ही नहीं दुर्घटना में अधिक ब्लड बह जाने पर उसी ग्रुप वाले लोगों से संपर्क कर तत्काल ब्लड की व्यवस्था भी की जा सकेगी. क्योंकि इस स्टीकर वाहन मालिक की अन्य डिटेल के साथ ब्लड ग्रुप की जानकारी भी अंकित होती है सेफ्टी कोड से महज एक मिनट में ही परिजनों तक जानकारी पहुंच जाएगी. दुर्घटना के समय चालक एवं उसके साथी स्वयं को सम्भालने की स्थिति में नहीं होते हैं. ऐसे में राहगीर या एंबुलेंस स्टाफ या पुलिसकर्मी ''सेफ्टी कोड'' क्यूआर कोड को स्कैन कर परिजनों को सूचित कर सकेंगे इससे घायल का तत्काल इलाज शुरू हो सकेगा.
साल 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में सड़क हादसों में 16 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है वर्तमान में राजस्थान का रोड दुर्घटनाओं में देश में नौवां स्थान है, जबकि दुर्घटनाओं में मौत के मामले में हम देश में चौथे स्थान पर हैं बढ़ती जनसंख्या, बढ़ते वाहन और भागदोड़ भरी जिंदगी में सेफ्टी कोड के साथ हम दुर्घटनाग्रस्त होने पर अपनों को 90% तक सुरक्षित कर सकते हैं दुर्घटना के बाद इस कोड को स्कैन करने मात्र से परिजनों को सूचना मिल जायेगी और समय पर घायल को उपचार मिल सकेगा.