जैसलमेर: कम बीएसआर बन रही मेडिकल कॉलेज की राह का रोड़ा, जानें पूरी खबर
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जैसलमेर: कम बीएसआर बन रही मेडिकल कॉलेज की राह का रोड़ा, जानें पूरी खबर

जैसलमेर के रामगढ़ मार्ग स्थित नगर विकास न्यास की तरफ से आवंटित भूखंड पर निर्माण कार्य के लिए पहले चरण में करीब 85 करोड़ रुपए के कार्य को करवाने के लिए अब तक तीन बार टेंडर जारी किए जा चुके हैं. 

मेडिकल कॉलेज की राह का रोड़ा

Jaisalmer: सीमांत जैसलमेर जिले के बाशिंदों के लिए संभवत: सबसे जरूरी मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाया है, जबकि साल 2019 में जैसलमेर के साथ जिन अन्य शहरों में मेडिकल कॉलेज की स्थापना की घोषणा की गई थी, उनमें टोंक को छोड़कर सब में काम प्रगति पर है. जैसलमेर के परिप्रेक्ष्य में बात की जाए तो इस कार्य को करवाने का जिम्मा प्रदेश सरकार की एजेंसी राजस्थान राज्य रोड डेवलपमेंट एंड कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (आरएसआरडीसी) को दिया गया है.

जैसलमेर के रामगढ़ मार्ग स्थित नगर विकास न्यास की तरफ से आवंटित भूखंड पर निर्माण कार्य के लिए पहले चरण में करीब 85 करोड़ रुपए के कार्य को करवाने के लिए अब तक तीन बार टेंडर जारी किए जा चुके हैं. पहली बार किसी फर्म ने कार्य करने में रुचि ही नहीं दिखाई, दूसरी बार एक ठेकेदार फर्म ने काम करने में रुचि दिखाई, लेकिन उसने बेसिक शिड्यूल ऑफ रेट (बीएसआर) से करीब 20 प्रतिशत अधिक दर में काम करने का इरादा जताया. 

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बीएसआर से 20 प्रतिशत तक ऊंची कार्य करने की दर होने की वजह से इस संबंध में गठित एम्पावर्ड कमेटी ने निविदा को निरस्त कर दिया, इसके बाद तीसरी बार जारी निविदा में भी दर उतनी ही आई है. दरअसल जैसलमेर जिले की बीएसआर बाड़मेर या जोधपुर जैसे पड़ोसी जिलों से काफी कम होने की वजह से कार्य की दर ज्यादा आने की बात कही जा रही है. आरएसआरडीसी ने इस तथ्य से राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग को अवगत करवा दिया है. माना जा रहा है कि एम्पावर्ड कमेटी की आगामी बैठक में मेडिकल कॉलेज निर्माण की दर का मामला सुलझा लिया जाएगा.

वैसे जैसलमेर में मेडिकल कॉलेज जैसे अत्यंत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को लेकर शुरुआती दौर में यूआईटी से जमीन आवंटन करवाने के बारे में जैसी तत्परता दिखाई गई थी, वह बाद में कोविड काल के आ जाने के बाद कहीं न कहीं मंद पड़ गई. ऐसा राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर हुआ. शुरू में दी गई जमीन कम होने के बाद उसे बदलने और बाद में उस पर हाईटेंशन लाइन के विषय भी इसी धीमेपन के शिकार हुए. 

साथ ही अभी भी अतिरिक्त जमीन का विषय लंबित है. पिछले दिनों के दौरान जिला कलेक्टर टीना डाबी इस बड़े प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखा रही हैं और जिम्मेदार अधिकारियों से लगातार सम्पर्क बनाए हुए हैं. कुछ दिन पहले केबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद ने भी मेडिकल कॉलेज कार्य की धीमी रफ्तार को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक की थी. उससे पहले जनप्रतिनिधियों ने इस दिशा में पर्याप्त सक्रियता का परिचय नहीं दिया था.

Reporter: Shankar Dan

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