जैसलमेर में ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग, सौंपा ज्ञापन
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जैसलमेर में ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग, सौंपा ज्ञापन

Jaisalmer News: जैसलमेर में ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर ग्रामीण ने 100 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे. 

 

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Jaisalmer News: ओरण बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले सीमावर्ती जिले जैसलमेर में ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग को लेकर बुधवार को जैसलमेर के पाकिस्तान बॉर्डर पर बसे राघवा गांव के मिठडाऊ का कुआं, कालरा कुआं, जूनिया कुआं, सिद्ध हनुवंतसिंह,जुंझार श्यामसिंह, वीर सिद्धराव मायथीजी, खेजड़ वाली माता,जुंझार कुम्पसिंह के नाम से प्राचीन मान्यताओं के आधार पर छोड़ी गई ओरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग अब तेज हो गई है. 

इसको लेकर सरहद के राघवा गांव से सोमवार को 100 किलोमीटर की पैदल यात्रा के लिए रवाना हुए ग्रामीण बुधवार को जैसलमेर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे. इस दौरान जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के आगे जमकर नारेबाजी भी की गई. वहीं, अतिरिक्त जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम ज्ञापन सौंपा गया. 

दरअसल 25000 बीघा से भी ज्यादा ओरण की जमीन इस क्षेत्र में है, जो राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है, जिन्हें निजी कंपनियों को सरकार द्वारा अलॉट किया जा रहा है और जिससे ग्रामीणों में रोष है. इसी मांग को लेकर ग्रामीण ओरण यात्रा कर औरण भूमि को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करवाने की मांग कर रहे हैं. 

इस पदयात्रा में 500 से ज्यादा लोग शामिल हुए, जो 3 दिन का सफर कर बुधवार को जैसलमेर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे और ADM को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में ग्रामीणों ने बताया कि सरकार ने 200 साल से भी पुरानी ओरण की जमीन को रेवेन्यू रिकॉर्ड में औरण के नाम से दर्ज नहीं किया है, जिसका फायदा उठाकर निजी कंपनियां उसको सस्ती दरों पर सरकार से खरीद रही है. हम सब इसका विरोध करते हैं क्योंकि इस ओरण के प्रति हमारी धार्मिक आस्था जुडी हुई है और इस जमीन को बचाने के लिए हमारे पुरखों ने बलिदान भी दिया. उनकी स्मृति में ये जमीन गोचर के लिए छोड़ी गई है.

ओरण भूमि में जहां पेड़ तक को काटना भी हमारे लिए अभिशाप है और ऐसे में सरकारों द्वारा निजी कंपनियों को यह जमीन कौड़ियों के भाव बेची जा रही है, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश है. ग्रामीण इस भूमि को राजस्व रिकार्ड में दर्ज करवाने की मांग कर रहे हैं. वहीं, ग्रामीणों का खुला अल्टीमेट है कि यदि समय रहते राज्य सरकार इस संबंध में विचार नहीं करती है तो वो आगामी समय में उग्र आंदोलन करेंगे.

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