UCC in Rajasthan : उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा. 4 फरवरी को उत्तराखंड कैबिनेट से यूसीसी विधेयक को मंजूरी मिल गई है. पहले गोवा, उत्तराखंड के बाद अब राजस्थान में इसकी तैयारी हो रही है.
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UCC in Rajasthan News : उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने वाला देश का दूसरा राज्य बन जाएगा. 4 फरवरी को उत्तराखंड कैबिनेट से यूसीसी विधेयक को मंजूरी मिल गई है. पहले गोवा, उत्तराखंड के बाद अब राजस्थान में इसकी तैयारी हो रही है.
भारतीय जनता पार्टी के गठन के साथ ही पार्टी दो मुद्दों को लेकर चली. दोनों में से एक मुद्दा राम मन्दिर का थाजिसकी प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है. जबकि दूसरा मुद्दा अनुच्छेद 370 के साथ एक निशान और एक विधान का था.
#WATCH | Jaipur | On the UCC Bill in Uttarakhand Assembly, Rajasthan Minister Kanhaiya Lal Choudhary says, "First of all, I would like to thank Uttarakhand CM Dhami. This was an important matter and the people of India were awaiting this. He initiated this Bill. We are making an… pic.twitter.com/oI54ambZQU
— ANI (@ANI) February 6, 2024
अब देश में समान नागरिक संहिता को लेकर अब तक चल रही चर्चा में आखिर उत्तराखंड ने पहल कर दी. उत्तराखंड की विधानसभा में यूसीसी (UCC) यानि समान नागरिक संहिता को लेकर बिल पेश किया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद संविधान की प्रति के साथ विधानसभा पहुंच कर यह मैसेज देने की कोशिश की कि यूसीसी संवैधानिक दायरे में है.
लेकिन उत्तराखंड के बाद अब राजस्थान में भी इसकी प्रतिक्रिया दिख रही है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या बीजेपी की एक निशान-एक विधान के मुद्दे में उत्तराखण्ड दूसरे राज्यों को भी कोई रास्ता दिखाएगा, या फिर इसे लागू करने में अभी सरकारों को उत्तराखण्ड के खड़े पहाड़ों जैसी बाधाओं का भी सामना करना पड़ेगा.
समान नागरिक संहिता यानि यूसीसी के लिए पहला कदम बढ़ाया जा चुका है. उत्तराखंड से हुई शुरुआत के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में समान नागरिक संहिता पर चर्चा हो रही है लेकिन राजस्थान में इस पर क्या होगा. क्या सरकार यूसीसी लागू करेगी या अभी इसका रिएक्शन देखेगी.
इस विषय पर भाजपा के विधायक पैरवी करते हुए दिख रहे हैं. बीजेपी का कहना है कि वह मुख्यमंत्री से इस बात की मांग करेंगे, कि राजस्थान में भी यूसीसी लागू की जाए.
इधर बीजेपी यूसीसी के पक्ष में दिख रही है, तो उधर कांग्रेस अभी तक इसके लागू होने की संभावनाओं पर सवाल उठा रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने कहा कि भारत की पहचान विविधता में एकता की है. चतुर्वेदी ने कहा कि आदिवासी समाज की अपनी अलग परंपराएं हैं.
ऐसे में क्या वे भी यूसीसी को स्वीकार करेंगे. उधर पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता और पीसीसी उपाध्यक्ष सुशील शर्मा कहते हैं कि यूसीसी का बिल लाने में एक समाज के पक्ष की पूरी तरह अनदेखी की गई है. ना उनका कोई प्रतिनिधि कमेटी में रखा गया, ना ही उनसे बात की गई.
उधर इन सबसे एक कदम आगे दिख रहे हैं शिक्षा मंत्री मदन दिलावर. दिलावर ने तो यहां तक कह दिया कि राजस्थान में भी यूसीसी लागू करने की संभावनाओं पर विचार किया जाएगा. विधायक गोपाल शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री कैबिनेट की अगली बैठक में इस विषय पर मुख्यमन्त्री भजनलाल शर्मा से बात भी करेंगे.
इधर कानूनी मामलों के जानकार भी कहते हैं कि यूसीसी किसी एक राज्य द्वारा लागू किया जाना संभव है, हालांकि इसके लिए राष्ट्रपति की मंजूरी ली जानी जरूरी है. राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा कहते हैं कि उत्तराखंड की पहल पर सबकी नजर है और देश के दूसरे हिस्सों में भी यह भविष्य में दिखाई देगी.
यूसीसी का बिल उत्तराखण्ड की सरकार ने विधानसभा में तो पेश कर दिया है लेकिन क्या उत्तराखण्ड के खड़े पहाड़ों की कोई बाधा इसका रास्ता रोकेगी या फिर यह बिल पहाड़ पर चढ़ने की बजाय नदी के बहाव की तरह अपना रास्ता खोजकर देश में फैलता दिखाई देगा.