चुनावी साल से पहले सरदारशहर उपचुनाव के नतीजे किसके लिए संकेत, क्या है सियासी मायने
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चुनावी साल से पहले सरदारशहर उपचुनाव के नतीजे किसके लिए संकेत, क्या है सियासी मायने

Churu : सरदारशहर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. इस जीत के साथ ही पार्टी के नेताओं ने अपने जुबानी तीरों का मुंह प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी की तरफ़ कर दिया है. 

चुनावी साल से पहले सरदारशहर उपचुनाव के नतीजे किसके लिए संकेत, क्या है सियासी मायने

Churu : सरदारशहर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है. इस जीत के साथ ही पार्टी के नेताओं ने अपने जुबानी तीरों का मुंह प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी की तरफ़ कर दिया है. सबसे पहला निशाना कांग्रेस नेता और आरटीडीसी चैयरमेन धर्मेन्द्र राठौड़ ने लगाते हुए कहा कि बीजेपी में नेता पार्टी को जिताने से ज्यादा खुद के मुख्यमन्त्री बनने के बारे में सोच रहे हैं. राठौड़ ने कहा कि बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष से लेकर उपनेता प्रतिपक्ष और केन्द्रीय मन्त्री भी अपने प्रत्याशी को नहीं जिता पाए. इसके साथ ही कांग्रेस का कहना है कि पार्टी ने उपचुनाव के नतीजों से साबित कर दिया है कि राज्य में कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ एन्टीइन्कम्बेन्सी नहीं बल्कि समर्थन की लहर है. उधर बीजेपी उप चुनाव के नतीजों की समीक्षा की बात तक ही सीमित दिख रही है. धर्मेन्द्र राठौड़ इस जीत को सीएम अशोक गहलोत और उनकी सरकार की नीतियों की जीत बता रहे हैं.

चुनाव कोई भी हो, प्रत्येक राजनीतिक पार्टी के लिए महत्वपूर्ण होता है. ऐसे में अगर बात उपचुनाव की हो तो कई बार उसके नतीजे सरकार के कामकाज और सत्ताधारी पार्टी का लिटमस टेस्ट भी माने जाते हैं. राजस्थान में भी उपचुनाव हुआ है और भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद खाली हुई सरदारशहर सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी अनिल शर्मा ने जीत दर्ज की है. 26 हज़ार 852 से भी ज्यादा वोट के बड़े अन्तर से जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस के हौसलों को पंख लग गए हैं. कांग्रेस नेता धर्मेन्द्र राठौड़ कहते हैं कि सरकार के मौजूदा कार्यकाल में हुए उपचुनावों के नतीजे बताते हैं कि जनता भी कांग्रेस सरकार के कामकाज के पसन्द कर रही है. राठौड़ ने गहलोत सरकार की योजनाएं गिनाते हुए कहा कि पूर्व विधायक भंवरलाल शर्मा का बड़ा नाम औऱ काम था, लेकिन सरदारशहर की जनता ने चुनावी साल में कांग्रेस प्रत्याशी के नाम पर मुहर लगाकर यह साबित कर दिया है कि प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी और सरकार के खिलाफ़ कोई एन्टीइन्कम्बेन्सी नहीं है. राठौड़ ने कहा कि चुनाव के नतीजे से तो यह साबित हो रहा है कि जनता खुश है और कांग्रेस पार्टी को लेकर लोगों का सकारात्मक रुझान है.

 

उधर बीजेपी के विधायक और प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ ने सरदारशहर में बीजेपी की हार पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह चुनाव सहानुभूति और संवेदनाओं का चुनाव था. राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में सहानुभूति की संस्कृति बन गई है. उन्होंने कहा कि दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा के परिवार के प्रति लोगों में संवेदना थी ऐसे में कांग्रेस को संवेदना की लहर पर इस उपचुनाव में जीत मिली है. हालांकि राठौड़ ने इतना ज़रूर माना कि आरएलपी जैसे दल के लिए वोट ले जाना बीजेपी की नज़र में आत्म चिंतन और मंथन का विषय है. राठौड़ ने कहा कि साल 2023 के आम चुनाव में ब्याज सहित इस हार का बदला चुकाया जाएगा.

 

उपचुनाव में मिली जीत पर कांग्रेस नेताओं के साथ ही कार्यकर्ताओं ने भी जश्न मनाया. पीसीसी दफ्तर पर आयोजित कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं ने आतिशबाजी की ौर एक-दूसरे का मुंह मीठा कराया. साथ ही सहानुभूति के चुनाव के सवाल पर धर्मेन्द्र राठौड़ कहते हैं कि मण्डावा और धरियावद में तो उनके प्रत्याशियों के प्रति सहानुभूति नहीं थी. धर्मेन्द्र राठौड़ ने कहा कि फिर वहां कांग्रेस की जीत दिखाती है कि सरकार का काम लोगों को पसन्द आ रहा है.

 

साल 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस दिखी भारी. संगठन के नज़रिये से बात करें तो बीजेपी का दावा है कि बूथ स्तर तक पार्टी ने फोटोयुक्त कमेटी बना ली है. लेकिन साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से अब तक प्रदेश में हुए चुनावों की बात करें तो कांग्रेस चुनावी नतीजों में भारी दिखती है.

रामगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सफ़िया ज़ुबेर ने जीत दर्ज की थी. उसके बाद दो विधायकों के लोकसभा में जाने और अलग-अलग समय में छह विधायकों के निधन के चलते आठ सीटों पर उप चुनाव हुए. इनमें से कांग्रेस ने छह जबकि बीजेपी और आरएलपी ने एक-एक सीट पर जीत दर्ज की. इस नज़रिये से देखा जाए तो 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद के नौ चुनाव में कांग्रेस ने कुल सात सीट जीती हैं.

चुनावी साल में इस जीत के क्या मायने?

कांग्रेस के अनिल शर्मा को 91 हज़ार 357 वोट मिले. जबकि बीजेपी के अशोक पींचा को 64 हज़ार 505 वोट हासिल हुए. आरएलपी भले ही तीसरे नम्बर पर रही हो, लेकिन 46 हज़ार 753 वोट लेकर हनुमान बेनीवाल की पार्टी के प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई है. दरअसल प्रदेश में विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम वक्त बचा है. ऐसे में चुनावी साल में सरदारशहर उपचुनाव के नतीजे विशेष महत्व रखते हैं. कांग्रेस पार्टी इन चुनावों को सरकार के प्रति जन समर्थन से जोड़कर देख रही है तो बीजेपी आत्ममंथन की बात कर रही है. लेकिन इस चुनाव में आरएलपी का 46 हज़ार से ज्यादा वोट ले जाना कांग्रेस और बीजेपी के लिए अलार्म बजा रहा है.

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