Rajasthan Paper Leak Case:राजस्थान के युवाओं के लिए करियर को लेकर सबसे सुरक्षित राजकीय सर्विस को माना जाता है. ऐसे में सरकारी सर्विस की चाह रखने वाले राजस्थान के लाखों बेरोजगार युवा दिन रात मेहनत करके सरकारी नौकरी के लिए प्रयास करते हैं.
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Rajasthan Paper Leak Case:राजस्थान के युवाओं के लिए करियर को लेकर सबसे सुरक्षित राजकीय सर्विस को माना जाता है. ऐसे में सरकारी सर्विस की चाह रखने वाले राजस्थान के लाखों बेरोजगार युवा दिन रात मेहनत करके सरकारी नौकरी के लिए प्रयास करते हैं.
अलग-अलग विभागों में होने वाली भर्ती के लिए युवा लंबे समय से मेहनत कर दिन रात तैयारियां कर नौकरी पाने का प्रयास करते हैं. लेकिन पेपर आउट युवाओं की इस मेहनत पर पानी फेर देता है.
पिछले सालों में राजस्थान की अधिकांश परीक्षा में हुए पेपर आउट से हजारों युवा डिप्रेशन का शिकार हो गए. एक के बाद एक कई भर्ती परीक्षाओं के पेपर आउट होने से हजारों नहीं बल्कि लाखों युवाओं की भविष्य पर पानी फिर गया.
पिछले कई सालों से जयपुर में रहकर भर्ती परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों से जब जी मीडिया ने रूबरू होकर उनकी हकीकत जानी तो पता चला कि लाखों युवा इस पेपर आउट से डिप्रेशन के शिकार हैं. छात्रों का कहना है कि आर्थिक तंगी के बावजूद भी जैसे तैसे जयपुर में किराए के मकान में रहकर दिन-रात एक करके तैयारी करने के बाद जब परीक्षा दी जाती है.
परीक्षा देने के बाद जब परिणाम में वो पास भी हो जाते हैं, लेकिन उसके बाद पेपर आउट होने व भर्ती परीक्षा रद्द होने की जानकारी मिलती है. तो उनके साथ-साथ परिजनों पर भी गहरा आघात लगता है. कई युवाओं के साथ जब वह भर्ती परीक्षा में पास हो जाते हैं तो विवाह के लिए रिश्ते भी आते हैं और रिश्ते तय भी हो जाते हैं. लेकिन भर्ती रद्द होते ही वह रिश्ते टूट जाते हैं. ऐसे में बदनामी के डर से युवाओं में और अधिक तनाव पैदा हो जाता है.
बीकानेर से आकर जयपुर में तैयारी करने वाले रवि बिश्नोई ने बताया कि वह किसान परिवार से हैं और पिछले 4 सालों से जयपुर में किराए का रूम लेकर तैयारी कर रहे हैं. भर्ती परीक्षा के दौरान जब उन्होंने सब इंस्पेक्टर भर्ती की तैयारी की और परीक्षा दी.
परीक्षा होने के बाद पता चला कि भर्ती परीक्षा का पेपर आउट हो गया. उसके बाद से रवि बिश्नोई ने निराशा से फिजिकल की तैयारी करना ही बंद कर दिया. विश्नोई ने कहा की उम्मीद पर पानी फिर गया परिवार में आर्थिक तंगी का आलम यह कि जैसे तैसे दो वक्त का खाना और दिन में अगर भूख लगे तो मूंगफली खाकर दिन गुजरने की स्थिति है. इन हालातो में बीकानेर अपने परिवार से 700 किलोमीटर दूर रहकर पढ़ना संभव नहीं हो पाता.
रवि बिश्नोई जैसे लाखों छात्र है जो अपने परिजनों से दूर रहकर राजस्थान के अलग-अलग जिला मुख्यालय पर तैयारी कर रहे हैं लेकिन परीक्षा देने के बाद उनके अरमानों पर पेपर माफिया पानी फेर देते हैं.
बीकानेर के नोखा के रहने वाले दिलीप बिश्नोई ने बताया कि पिछले 5-6 सालों से भर्ती परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं रीट का पेपर दिया जब काफी जोश और उत्साह था. उम्मीद थी भर्ती हो जाएंगे लेकिन पेपर आउट होने और परीक्षा रद्द होने से हालात अवसाद में जाने के हो गए.
दिलीप बिश्नोई कहा कि किसान परिवार से होने के कारण आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है. लेकिन करियर को सुरक्षित करने के लिए जैसे तैसे जयपुर में रहकर तैयारी कर रहे हैं.
लेकिन भर्ती परीक्षा में के पेपर आउट होने के बाद अरमानों पर पानी फिरता नजर आता है., एक भर्ती परीक्षा का पेपर आउट होने के बाद छात्र 5 वर्ष पीछे चला जाता है. क्योंकि एक भर्ती प्रक्रिया में 4 से 5 साल लग जाते हैं ऐसे में पेपर माफिया निकली हुई सारी वैकेंसी को नकल कर कर खा जाते हैं या फिर पता चलने पर भर्ती परीक्षा रद्द हो जाती है.
सरकारी नौकरी की चाह रखने वाले बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ-साथ उनके परिजनों की मेहनत पर भी गहरा कोठारा घाट है. भर्ती परीक्षाओं के पेपर आउट होना.
ग्रामीण परिवेश में जैसे तैसे खेती-बाड़ी व पशुपालन करके अपने बच्चों को सरकारी नौकरी के दिलाने ने के लिए शहर भेजने वाले परिजन पाई पाई जोड़कर बच्चों को जिला मुख्यालय पर सालों तक भर्ती परीक्षा की तैयारी करवाते हैं. लेकिन पेपर माफिया उनके बच्चों के भविष्य पर पानी फेर देते हैं.
अभ्यर्थियों का कहना है कि जितनी भर्ती निकलती है उनमें से पेपर माफिया नकल कर कर आधे से ज्यादा पदों को तो वो भर देते हैं. या फिर पेपर आउट होने से भरतिया रद्द हो जाती है. ऐसे में सरकार से उम्मीद है कि पेपर माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाइयों हो और भर्ती परीक्षा को लेकर सख्ती बरती जाए तो बेरोजगारो का भविष्य सवार सके.