खतरे में राजस्थान ! शांत प्रदेश को लगी नजर, प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर बड़े सवाल
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खतरे में राजस्थान ! शांत प्रदेश को लगी नजर, प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर बड़े सवाल

राजस्थान में पनपते आतंक का मामला उदयपुर का पहला नहीं है.. पिछले दिनों राजस्थान के अलग अलग जिलों में हुई घटनाएं राजस्थान में पाँव पसारते जिहाद की गवाही दे रही है.

खतरे में राजस्थान ! शांत प्रदेश को लगी नजर, प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर बड़े सवाल

जयपुर: राजस्थान में पनपते आतंक का मामला उदयपुर का पहला नहीं है.. पिछले दिनों राजस्थान के अलग अलग जिलों में हुई घटनाएं राजस्थान में पाँव पसारते जिहाद की गवाही दे रही है. हाल ही में भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के बयान के बाद स्लीपर सेल इसे जिहाद से जोड़कर देखने लगी और स्लीपर सेल मुस्लिम सुमदाय को गुमराह करने के लिए इस बयान को अल्लाह की शान में गुस्ताखी करार देकर समाज में धार्मिक उन्माद का जहर फ़ैलाने में सफल रहें है.

इस घटना के बाद राजस्थान में अलग अलग जगह से जिहादियों द्वारा वायरल किये जा रहे वीडियो आग में घी डालने का काम कर रहे है लेकिन सवाल हाईटेक पुलिस तंत्र पर भी खड़े होते है.. उदयपुर की घटना ने देश को हिलाकर रख दिया है.और अब सवाल उठ रहे है आखिर राजस्थान में धार्मिक उन्माद बढ़ाने वाली घटनाओं को कौन बढ़ावा दे रहा है.राजस्थान में जोधपुर,बूंदी और अजमेर के बाद उदयपुर में ऐसी घटना घटी जिसने ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब राजस्थान शांत प्रदेश नहीं रहा और यहां के आम वाशिंदे डरे हुए है.सिलसिलेवार तरीके से राजस्थान की शांति को कोई खत्म करने की कोशिश कर रहा है.

सवाल खड़े होते है कि आखिर राजस्थान में क्या कुछ घट रहा है. जब आतंक और अशांति के पैरोकार राजस्थान के करौली,जोधपुर ,भीलवाड़ा और भरतपुर जैसी जगहों पर पूरी तरह विफल रहे तो उन्होंने राजस्थान में अशांति फ़ैलाने की अपनी रणनीति ही बदल दी..उदयपुर,बूंदी और अजमेर के वीडियो सामने आने के बाद ये स्पष्ट हो चुका है कि राजस्थान में किसी बड़ी साजिश की सुगबुगाहट है..यह महज इत्तेफाक नहीं है कि समान नारों के साथ ये उन्मादी पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे आतंक की खुली चुनौती देते दिखाई दे रहे है.आइये आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते है कि आखिर राजस्थान में कैसे बिगड़ रहा है माहौल.
 

बूंदी की घटना 

3 जून को राजस्थान के बूंदी जिले में एक मौलाना का विवादित बयान दिनभर सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना रहा. दरअसल, बूंदी में मुस्लिम समाज ने लोगों ने बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा की ओर से पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को लेकर जो टिप्पणी की, उसके विरोध में कार्रवाई की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट तक जुलूस निकालकर कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया था. तभी मौलाना ने जुलूस में शामिल मुस्लिम समाज के लोगों को संबोधित करते हुए विवादित बयान दे दिया.

नूपुर शर्मा को निशाने पर लेते हुए मौलाना ने कहा सस्ती शौहरत के खातिर, पैगंबर साहब के लिए टिप्पणी की गई. मौलाना ने कहा अगर किसी ने सस्ती शौहरत के लिए ऐसा किया और इससे कानूनी रूप से ठीक बताया जा रहा है, तो हम ऐसे कानून के खिलाफ भी जाएंगे. मौलाना ने चेतावनी भरे अंदाज में कहा, अगर टिप्पणी कानून के तहत गलत है, तो बूंदी और देश का प्रशासन सुन लेवें, टिप्पणी करने वालों पर प्रशासन एक्शन लेवें.अगर प्रशासन एक्शन नहीं लेगा, तो मुसलमान रिएक्शन देगा.मौलाना इतने पर नहीं रूके, उन्होंने कहा कि आका की शान में जो गुस्ताखी की गई हैं, उसका बदलना लेना हम जानते हैं. मेरे नबी की शान में एक लब्ज भी बोला, तो याद रख लो, जुबान काट ली जाएगी, हाथ उठाओगे, तो हाथ काट लिया जाएगा, उंगली उठाएगा तो उंगली काट ली जाएगी. निगाहें भी उठी ,तो निकालकर बाहर फेंक देंगे. फिर तुम चाहो, तो हमें जले में डालना, तुल चाहो तो लाठियां बरसाना, हम बर्दाश्त करें, लेकिन नबी की शान में गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं करेंगे.
 

अजमेर की घटना 
राजस्थान के अजमेर जिले में 17 जून को मुस्लिम समुदाय की तरफ से पीस मार्च के तौर पर एक मौन जुलुस निकाला गया ..ये मौन जुलुस नुपुर शर्मा के विरोध में था..पुलिस प्रशासन की तरफ से जुलुस निकालने वाले लोगों को ये कहा गया कि ये सिर्फ मौन जुलुस होगा और इसमें किसी तरह के नारेबाजी या भाषण नहीं किया जायेगा, लेकिन दरगाह के मुख्य गेट पर पहुंचकर मुस्लिम संगठन पुलिस से उलझ गए ..और दरगाह के मुख्य गेट पर स्पीच हुई..पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया ) के सक्रिय कार्यकर्ता गौहर चिश्ती की मौजूदगी में यहाँ धार्मिक उन्मांद फैलाने वाले नारा लगाया गया जो था ''''गुस्ताख-ए-नबी की इक सजा, सर तन से जुदा''''.अब इसे इत्तेफाक समझा जाए या कुछ और 17 जून को ही उदयपुर हत्याकांड के हत्यारे ने एक वीडियो शूट किया जिसमें यही नारा उसने दोहराया..इसके बाद 28 जून को हत्या करने के बाद बाद जो वीडियो हत्यारों ने जारी किया उसमें भी यही नारा दोहराया गया..
 

उदयपुर की घटना 
राजस्थान के उदयपुर में मंगलवार को दो लोगों ने एक दर्जी की उसकी दुकान में घुसकर हत्या कर दी थी. दोनों ने हत्या का वीडियो भी बनाया था और इसे बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी का बदला बताया गया.पुलिस ने मृतक दर्जी की पहचान कन्हैयालाल के रूप में की है. दोनों अभियुक्तों को भी पुलिस ने राजसमंद ज़िले के भीम से गिरफ़्तार कर लिया है. दोनों की पहचान मोहम्मद रियाज़ और गौस मोहम्मद के रूप में हुई है. दोनों एक वीडियो में कन्हैयालाल के सिर कलम कर देने की बात स्वीकार रहे हैं. इन्होंने इस वीडियो में पीएम मोदी की हत्या की भी धमकी दी.इस पूरे मामले को लेकर राजस्थान के सीएम ने कहा है कि यह घटना आतंक और भय फैलाने के उद्देश्य से की गई है.हत्यारो के सम्पर्क अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़े होना प्रतीत होते हैं.और इस मामले की एनआईए ने जांच शुरू कर दी गई है.जांच में एनआईए को प्रदेश के एसओजी और एटीएस पूरा सहयोग कर रही है..

अब सवाल खड़े होते है कि अगर धार्मिक उन्माद फ़ैलाने वाले ये वीडियोज हमारे पास आ सकतें है. अगर हम इन वीडियों की संवेदनशीलता समझ सकते है तो फिर साधन सम्पन्न पुलिस को क्या सांप सूघ जाता है. इन तीन वीडियोज में से दो तो पुलिस की मौजूदगी में शूट हुए है. तीसरा उदयपुर वाला शूट होने के बाद हत्या से पहले वॉयरल करके खुली चुनौती दी गई है. प्रदेश के दूसरे भागों में जब इन लोगो के मनसूबे पूरे नहीं हुए तो ऐसा लगता है कि बड़ी प्लानिंग से काम को अंजाम देने का फैसला किया गया...और यहीं कारण है कि विदेश में बैठे इन जैसे सिरफिरों के आकाओं ने अब अपने स्लीपर सेल को बाहर निकालना शुरू किया है.उदयपुर ,बूंदी और अजमेर महज ताजा उदाहरण है जो बता रहें है कि राजस्थान में संगठित तरीके से धार्मिक उन्माद फ़ैलाने की कोशिश की जा रही है और इतना सब होने पर भी राजस्थान की इंटेलीजेंस को इन सभी घटनाओं की भनक तक नहीं है और अगर जानकारी होने के बाद भी अगर एक्शन नहीं लिया गया तो राजस्थान की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े होते है.

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