पदोन्नति के नए नियमों का विरोध जारी, अध्यापकों ने शुरू की क्रमिक भूख हड़ताल
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पदोन्नति के नए नियमों का विरोध जारी, अध्यापकों ने शुरू की क्रमिक भूख हड़ताल

व्याख्याता पदों पर पदोन्नति के लिए शिक्षा विभाग की ओर से जारी नए नियमों के विरोध में पिछले 11 दिनों से वरिष्ठ अध्यापकों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है.

पदोन्नति के नए नियमों का विरोध जारी

Jaipur: व्याख्याता पदों पर पदोन्नति के लिए शिक्षा विभाग की ओर से जारी नए नियमों के विरोध में पिछले 11 दिनों से वरिष्ठ अध्यापकों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है. 30 मई को शहीद स्मारक पर विशाल धरना प्रदर्शन के बाद 31 मई से शिक्षा संकुल पर शुरू हुआ. अनिश्चितकालीन धरना अब क्रमिक भूख हड़ताल में बदल गया है. 

11 दिनों में भी कोई सुनवाई नहीं होने के चलते पदोन्नति संघर्ष समिति के बैनर तले आज 5 वरिष्ठ अध्यापक क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं, तो वहीं 11 जून को होने वाली कैबिनेट की मीटिंग में वरिष्ठ अध्यापकों के पक्ष में कोई फैसला नहीं होने पर वरिष्ठ अध्यापकों ने आमरण अनशन की चेतावनी दे डाली है. 

गौरतलब है कि 3 अगस्त 2021 को शिक्षा विभाग की ओर से नया नियम लाते हुए व्याख्याता पदों पर होने वाली पदोन्नति में सेवारत वरिष्ठ अध्यापकों द्वारा यूजी और पीजी एक विषय में होने की अनिवार्यता लागू की गई, जिसके चलते प्रदेश के करीब एक लाख वरिष्ठ अध्यापक व्याख्याता पदों पर होने वाली पदोन्नति से बाहर हो गए हैं. ऐसे में वरिष्ठ अध्यापकों द्वारा जिस दिन ये नियम लागू किया गया उस दिन से पहले वाले वरिष्ठ अध्यापकों को राहत देने की मांग की है जिन्होंने यूजी अन्य विषय और पीजी अन्य विषय से कर रखी है. 

क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे वरिष्ठ अध्यापकों का कहना है कि एक ही भर्ती में दो नियम लागू नहीं किए जा सकते हैं. जहां व्याख्याता के 50 फीसदी पद जो भर्ती प्रक्रिया से भरे जाएंगे उन पर यूजी-पीजी के विषयों की अनिवार्यता नहीं है, तो वहीं पदोन्नति से भरे जाने वाले 50 फीसदी पदों पर यूजी-पीजी समान विषय से रहने की अनिवार्यता रखी गई है. ऐसे में 3 अगस्त 2021 से पहले लगे सेवारत वरिष्ठ अध्यापकों को इस नियम से राहत देनी चाहिए. 

पिछले 11 दिनों से प्रदेशभर के वरिष्ठ अध्यापक अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं, लेकिन शिक्षा विभाग के किसी भी प्रतिनिधि से कोई वार्ता नहीं की गई, जिसके चलते अब हमें क्रमिक भूख हड़ताल का रास्ता अपनाना पड़ा है. साथ ही अगर हमारी मांग जल्द पूरी नहीं की जाती है तो आंदोलन को और उग्र करते हुए आमरण अनशन शुरू किया जाएगा. 

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