राजस्थान के 6 और जिलों में फोरेंसिक लैब खोलने के लिए सरकार उठाए विशेष कदम: हाईकोर्ट
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राजस्थान के 6 और जिलों में फोरेंसिक लैब खोलने के लिए सरकार उठाए विशेष कदम: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला में लंबित प्रकरणों की उचित समय पर जांच रिपोर्ट मिलने के लिए जरूरी है कि अन्य जिलों में भी फोरेंसिक लैब खोली जाए.

राजस्थान के 6 और जिलों में फोरेंसिक लैब खोलने के लिए सरकार उठाए विशेष कदम: हाईकोर्ट

Jaipur News: राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा है कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला में लंबित प्रकरणों की उचित समय पर जांच रिपोर्ट मिलने के लिए जरूरी है कि अन्य जिलों में भी फोरेंसिक लैब खोली जाए. ऐसे में सरकार को निर्देश दिए जाते हैं कि वह विभिन्न जिलों में कम से कम छह और क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला शुरू करने के लिए विशेष कदम उठाए. 

अदालत ने कहा कि इन जिलों में जयपुर को भी शामिल किया जाना चाहिए, जहां क्षेत्रीय प्रयोगशाला के बजाए सिर्फ राज्य स्तरीय प्रयोगशाला ही काम कर रही है है. वहीं अदालत ने कहा है कि वर्तमान में काम कर रही सभी छह विधि विज्ञान प्रयोगशाला में डीएनए और साइबर फोरेंसिक जांच की सुविधा शुरू करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं और हो सके तो तीन माह में इन प्रयोगशालाओं में यह सुविधा शुरू कर दी जाए. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए.

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सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने पालना रिपोर्ट पेश कर बताया कि भरतपुर में एफएसएल केन्द्र किराए के भवन में चल रहा है. कलेक्टर ने केन्द्र के निर्माण के लिए भूमि आवंटित कर दी है और निर्माण के लिए टेंडर भी जारी हो चुके हैं. महाधिवक्ता ने वर्ष 2020-21 की सालाना रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि लंबित मामलों की संख्या इसलिए नहीं बढ़ी है कि इनकी जांच में देरी हो रही है, बल्कि ऐसे नए मामलों में बढोतरी के कारण लंबित प्रकरणों की संख्या में बढोतरी दिख रही है. 

महाधिवक्ता ने माना कि किसी प्रकरण की जांच रिपोर्ट पुलिस या कोर्ट में पेश करने की सटीक समय सीमा का पता लगाना असंभव है, लेकिन पूरी तरह से निष्पक्ष जांच में एक माह का समय लग जाता है. इस पर अदालत ने कहा कि जांच पूरी होने की अवधि कम करने के लिए नई प्रयोगशालाएं खोलने पर निर्णय किया जाना चाहिए. 

वहीं अदालत के सामने आया कि क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं डीएनए और साइबर फोरेंसिक के लंबित मामलों की अनदेखी कर केवल चार दूसरे विषयों पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही हैं जबकि हाल ही में डीएनए और साइबर मामलों में बेतहाशा वृद्धि हुई है. अदालत को बताया गया कि प्रदेश में छह क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बीकानेर, अजमेर और भरतपुर में काम कर रही हैं. 

104 पद खाली चल रहे 
इसके अलावा प्रयोगशालाओं में 104 पद खाली चल रहे हैं. इन्हें भरने के लिए आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड को कहा जा चुका है. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सभी प्रयोगशाला में डीएनए और साइबर फोरेंसिक जांच शुरू करने के साथ ही छह नई प्रयोगशाला आरंभ करने के लिए विशेष कदम उठाने को कहा है.

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