स्वायत्त शासन विभाग से 29 सितंबर को निकले एक आदेश के बाद राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) और राजस्थान म्युनिसिपल सर्विस (RMS) आमने-सामने हो गए हैं. जोधपुर विकास प्राधिकरण में उपायुक्त के पद पर RMS अधिकारी को लगाने का RAS अधिकारियों ने विरोध शुरू कर दिया हैं.
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जयपुर: कुर्सी को लेकर दो अलग-अलग कैडर के अधिकारियों के संगठन में टकराव शुरू हो गया है. टकराव राजस्थान प्रशासनिक सेवा (RAS) और राजस्थान नगरपालिका सर्विस (RMS) के अधिकारियों में हुआ है. इस विवाद की चिंगारी तब सुलगी जब एक RMS अधिकारी को पिछले दिनों विकास प्राधिकरण में उपायुक्त के पद पर लगाया.
इसके बाद RAS एसोसिएशन इसके विरोध में उतर गया. वहीं, RAS एसोसिएशन के विरोध को देखते हुए RMS के अधिकारियों के संगठन ने भी मोर्चा खोल दिया. दोनों ही संगठन के पदाधिकारियों ने अपने-अपने कैडर के वचर्स्व को बनाए रखने के लिए अलग-अलग बैठकें की, जिसमें आगे की लड़ाई लड़ने की रणनीति बनाई.
बैठक के बाद राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद के महासचिव प्रवीण मील ने बताया कि जिस तरह से आरएएस कैडर की पोस्ट पर अन्य सेवाओं के लोगों को लगाया जा रहा है वह ठीक नहीं है..हम सभी ने आज बैठक करके निर्णय किया है कि एक पत्र इस संबंध में लिखेंगे.जिसे उच्च स्तर तक पहुंचाएंगे. इसमें इस तरह के आदेशों को तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग करेंगे. मील ने कहा कि अगर कोई ये दावा करता है कि एक्ट में RMS को RAS कैडर की पोस्ट पर लगाने का कोई प्रावधान है तो पहले उस एक्ट को लागू करने के नियम बनाए. उन नियमों में उस आरएएस के कैडर की पोस्ट को वहां से हटाया जाए. तब जाकर अन्य सेवा के अधिकारी को लगाए.
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मील ने बताया की पहले भी जिला परिषदों में अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पदों पर विकास अधिकारियों को बैठा दिया गया और हमें आश्वासन दिया गया था कि इन पदों के स्थान पर अन्य पद दिए जाएंगे लेकिन इस पर भी सुनवाई नहीं की गई.वही RAS के पदों पर IAS अधिकारियों का पदस्थापन भी कर रखा है जो हमारे कैडर के हितों के विरुद्ध है जो कतई स्वीकार्य नहीं है. लगातार उच्च स्तर पर अवगत कराने के बाद भी सक्षम स्तर से इस संदर्भ में कोई भी सुनवाई नहीं की गई है.
बचाव के लिए दोनों एसोसिएशन ने की अलग-अलग बैठक
इधर RMS अधिकारियों के संगठन ने भी इस मामले पर बैठक की. इसमें संगठन अध्यक्ष धर्मपाल जाट ने बताया कि एक्ट में ये प्रावधान है कि RMS अधिकारियों को नगर पालिकाओं के अलावा यूआईटी या विकास प्राधिकरण में डिप्टी कमिश्नर के पद पर लगाया जा सकता है. एक्ट में ये प्रावधान करीब 10 साल पहले हुआ था, लेकिन ये पहली बार इम्प्लीमेंट हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर आरएएस कैडर के अधिकारी इसका विरोध करते है तो हम भी ऐसे आरएएस अधिकारियों सूची शेयर करेंगे, जिन्हें कैडर के विपरित पदों पर लगा रखा है.
दूसरी एसोसिएशन की ओर से प्रतिकूल परिस्थिति पैदा करने की कोशिश की जा रही हैं. ये प्रतिरोध अस्वीकार्य करने के लिए बैठक बुलाई गई हैं. हमारी कोशिश रहेगी की जिस पद पर श्रवण कुमार को लगाया गया हैं वो अपने काम में खरा उतरेंगे. यदि ज्यादा मामला बढा तो हमारी बात जिस प्लेटफार्म पर पहुंचानी होगी हम पहुंचाएंगे. निसंकोच हम सीएम स्तर पर अपनी बात पहुंचाएंगे.
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जोधपुर विकास प्राधिकरण में DC पद पर RMS लगाने से बढ़ा मामला
RMS अधिकारियों ने कभी आरएएस अधिकारियों को हमारे पदों पर लगाने का विरोध नहीं किया..जबकि कई निकायों में लंबे समय से आरएएस अधिकारी अपनी कैडर पोस्ट नहीं होने के बावजूद लगते रहे हैं.उधर अफसरों में चर्चा हैं की पिछले दिनों स्वायत्त शासन विभाग ने एक आदेश जारी कर सीकर नगर परिषद के कमिश्नर श्रवण कुमार विश्नोई को जोधपुर जेडीए में डिप्टी कमिश्नर के पद पर लगाया है..बस यही आदेश RAS अधिकारियों को खटक गया.चूंकि विश्नोई पर बडे लीडर का वर्दहस्त है. जिसके कारण आरएएस अधिकारियों का दल उक्त बडे लीडर भी से मिला.लेकिन वहां उनकी दाल नहीं गली.इसके बाद एसोसिएशन के अधिकारियों ने इस मामले को लेकर मोर्चा खोल दिया.
बहरहाल, दोनों कैडर में वर्चस्व की लडाई शुरू गई है. अन्य सेवा के अधिकारियों को RAS कैडर के पद पर लगाने का विरोध शुरू कर दिया तो अब इसे अंजाम तक पहुंचाना भी RAS अधिकारियों की साख बन गई है. क्योंकि RAS एसोसिएशन के अधिकतर पदाधिकारी सीएमओ में पदस्थापित है. यदि अन्य सेवा के अधिकारियों को RAS कैडर के पदों से नही हटाया जाता है तो किरिकिरी भी होना तय है.