सगवाड़ा में राजस्व विभाग का बड़ा खेल, फर्जी आदेश से खोली करोड़ों की सरकारी जमीन का नामांतरण
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सगवाड़ा में राजस्व विभाग का बड़ा खेल, फर्जी आदेश से खोली करोड़ों की सरकारी जमीन का नामांतरण

फर्जी आदेश से छुट्टी के दिन सागवाड़ा कस्बे में सिंचाई विभाग के अधीन माही-कडाना प्रोजेक्ट की करोड़ो की भूमि का नामांतरण खोलने का मामला सामने आया है.

सगवाड़ा में राजस्व विभाग का बड़ा खेल

Sagwada: डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा उप शासन सचिव के नाम से आए फर्जी आदेश से छुट्टी के दिन सागवाड़ा कस्बे में सिंचाई विभाग के अधीन माही-कडाना प्रोजेक्ट की करोड़ों की भूमि का नामांतरण खोलने का मामला सामने आया है. वहीं नामांतरण के अगले ही दिन उक्त भूमि की रजिस्ट्री भी कर दी. इधर, मामले में जिला कलेक्टर ने सागवाडा तहसीलदार, गोवाड़ी गिरदावर व पटवारी को सस्पेंड कर दिया है. वहीं नामांतरण को भी निरस्त कर दिया है. 

मामले के अनुसार राजस्व विभाग शासन उप सचिव ग्रुप 6 का एक आदेश डूंगरपुर जिला कलेक्टर के नाम 16 जून 2022 को आता है, जिसमें सागवाड़ा में स्थित कडाणा बांध की अवाप्त की गई 3 बीघा करीब 52 हजार स्क्वायर फीट जमीन मूल खातेदारों को लौटाने के निर्देश दिए गए थे, जिस पर कलेक्टर कार्यालय से इस पत्र को 22 जुलाई को एसडीएम सागवाड़ा को भेजा गया. एसडीएम सागवाडा ने इस पत्र को 27 जुलाई को सागवाड़ा तहसीलदार को भेज दिया, जिस पर सागवाड़ा तहसीलदार मयूर शर्मा की ओर से 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस राजकीय अवकाश के दिन इस जमीन का नामांतरण खोल दिया गया. वहीं आनन फानन में अगले ही दिन 10 अगस्त को इसकी विक्रय रजिस्ट्रीकर दी जाती है. इधर, 16 अगस्त को कलेक्टर को पूरे मामले की भनक लगती है की राजस्व विभाग शासन उप सचिव ग्रुप 6 का आदेश फर्जी है, जिसके बाद तहसीलदार सागवाड़ा की ओर से कूटरचित दस्तावेज से नामांतरण और रजिस्ट्री करवाने का मामला सागवाड़ा थाने में दर्ज करवाया गया था. 

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कड़ाना विभाग के अधिकारी ने लिखा था पत्र लेकिन किया नजर अंदाज 
सागवाड़ा में कडाणा की बेशकीमती भूमि के नामांतरण को लेकर निकले आदेश की जानकारी जब कडाणा विभाग को मिली, तो विभाग के अधिकारियों ने  8 अगस्त को  कलेक्टर और एसडीएम सागवाड़ा को एक पत्र लिखा था, जिसमें उप शासन सचिव की ओर से दिए गए निर्देश पर पुनर्विचार करने का निवेदन किया था. इस पत्र में यह भूमि कडाणा विभाग की है उसकी तथ्यात्मक टिप्पणी की गई थी. इसके बाद भी 9 अगस्त को ही गोवाडी पटवारी राकेश मकवाना और गिरदावर मुकेश भोई ने करोड़ों की सरकारी भूमि का नामांतरण निजी व्यक्ति के नाम खोल दिया. 10 अगस्त को तहसीलदार द्वारा बेचान रजिस्ट्री कर दी गई.

नामांतरण खोलने और रजिस्ट्री करने में की गई जल्दबाजी
भूमि के नामांतरण खोलने और रजिस्ट्री करने में गोवाड़ी गिरदावर मुकेश भोई, पटवारी राकेश मकवाना और सागवाडा तहसीलदार मयूर शर्मा की ओर से  जल्दबाजी की गई. राज्य सरकार की ओर से कडाणा की भूमि पहले ही सागवाड़ा नगरपालिका को सौंपने की घोषणा की गई है. राज्य सरकार कडाणा की भूमि पहले ही सागवाड़ा नगरपालिका को सौपने की घोषणा के बाद तहसीलदार मयूर शर्मा के निर्देशन में एक एक इंच भूमि का सर्वे करवाया गया था. उक्त भूमि की समस्त जानकारी तहसीलदार को होने के बाद भी इस भूमि की रजिस्ट्री कर देने से पूरा मामला संदिग्ध नजर आ रहा है.

3 बीघा भूमि की कीमत है करीब 30 करोड़
फर्जी तरीके से नामांतरण खोलकर रजिस्ट्री की गई कडाना विभाग की ये जमीन 3 बीघा है. ये भूमि सागवाड़ा से गुजर रहे नेशनल हाईवे 927A पर डूंगरपुर सागवाड़ा मार्ग पर मुख्य डाकघर के पास स्थित है. ऐसे में  इस भूमि का बजार मूल्य करीब 30 करोड़ रूपए बताई जा रही है.

कूटरचित दस्तावेज से नामांतरण और रजिस्ट्री का मामला करवाया दर्ज
उप शासन सचिव के फर्जी आदेश से नामांतरण खोलने ओर रजिस्ट्री कराने पर सागवाडा थाने में मामला भी दर्ज कराया गया है. सीआई शैलेन्द्रसिंह ने बताया की तहसीलदार मयूर शर्मा ने मामला दर्ज करवाया है, जिसमें बताया गया है कि  पूर्व में जारी विभाग का आदेश 16 जून, 2022 को विभाग की ओर से जारी नहीं किया गया है और न ही उस पर शासन उप सचिव के हस्ताक्षर है. ये आदेश 16 जून को शासन उप सचिव के फर्जी हस्ताक्षर से जारी है. जिला कलेक्टर डूंगरपुर से 22 जुलाई और उपखंड अधिकारी सागवाड़ा की ओर से 27 जुलाई को नामान्तर संख्या 729 खोला गया. 9 अगस्त को सागवाड़ा निवासी नजमा पुत्री उमर खां घाची व फातेमा पुत्री उमर खान घाची के नाम कर दी. 10 अगस्त को उस आधार पर आसपुर तहसील के रामा निवासी हरि सिंह पुत्र राम सिंह चौहान के पक्ष में रजिस्ट्री कर दी. साथ ही मामले की जांच एसआई मणिलाल के जिम्मे की गई है. 

फर्जी पत्र से हो गई थी रजिस्ट्री, नामांतरण निरस्त
इधर, इस मामले में सागवाड़ा एसडीएम रामचंद्र खटीक ने कहा कि राजस्व विभाग शासन उप सचिव ग्रुप 6 का एक आदेश डूंगरपुर जिला कलेक्टर से प्राप्त हुआ था, जिसके बाद तहसीलदार द्वारा उक्त भूमि का नामांतरण खोल रजिस्ट्री की गई. पत्र फर्जी होने की जानकारी होने पर नामांतरण निरस्त कर दिया गया है और रजिस्ट्री कोर्ट से ही निरस्त हो सकेगी. इस मामले में एफआईआर की गई है. वहीं मामले की जांच चल रही है. 

फिलहाल इस पूरे मामले में कलेक्टर के निर्देश पर विस्तृत जांच की जा रही है. वहीं जांच प्रस्तावित होने के चलते और मामले में सागवाड़ा तहसीलदार, गिरदावर और पटवारी की मिलीभगत का अंदेशा होने से सागवाड़ा तहसीलदार मयूर शर्मा, गोवाडी पटवारी राकेश मकवाना और भू अभिलेख निरीक्षक मुकेश भोई को कलेक्टर डॉ. इंद्रजीत यादव ने सस्पेंड कर दिया है. 

Reporter: Akhilesh Sharma

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