निंबाहेड़ा में किया गया यज्ञ, खुशहाली की कामना की गई, गौकुल के कान्हा बिराजे कल्याण गौशाला में
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निंबाहेड़ा में किया गया यज्ञ, खुशहाली की कामना की गई, गौकुल के कान्हा बिराजे कल्याण गौशाला में

उज्जैन के प्रसिद्ध भजन गायक पंडित रोहित भूषण मिश्रा एवं साथियों द्वारा प्रस्तुत किए गए मन भावन भजनों से सुमंतु कथा मंडप भक्तिरस से सराबोर हो गया.

निंबाहेड़ा में किया गया यज्ञ, खुशहाली की कामना की गई, गौकुल के कान्हा बिराजे कल्याण गौशाला में

Nimbahera: कल्याण महाकुंभ के उपलक्ष्य में घुलोक स्थित श्री मार्तण्ड यज्ञशाला में रविवार को 300 से अधिक यजमान युगलों ने गौघृत एवं शाकल्य की आहूतियों के साथ जब एक स्वर में स्वाहा का उच्चारण किया तो समूची यज्ञशाला एवं आसपास के वातावरण में स्वाहा की ध्वनि गूंज उठी.

इस दौरान वेदपीठ के आचार्यों एवं बटुकों ने स्थापित देवताओं के साथ ही नवग्रह ब्रह्माण्ड के समस्त देवों सूर्यनारायण, ब्रह्मा-विष्णु-महेश, ठाकुर श्री कल्लाजी, जयमलजी, सतीकृष्णा, चौहान सरकार, लक्ष्मीनारायण के नाम की आहूतियां देकर विश्व शांति, सर्वत्र खुशहाली की कामना की. यह यज्ञशाला ना केवल पौराणिक संस्कृति को प्रतिपादित कर रही थी, वरन श्री मार्तण्ड यज्ञ के माध्यम से सूर्योपासना का कल्याण भक्तों को सौभाग प्रदान करने वाला पावन अवसर था. इस मौके पर खास बात देखने यह मिली कि वेदपीठ द्वारा संचालित वेद विद्यालय में अध्ययन कर चुके लगभग 200 बटुक तथा वर्तमान में अध्ययनरत 150 बटुकों ने अपने गुरू रूप में ठाकुर श्री कल्लाजी को नमन करते हुए वेद ध्वनि के साथ मंत्रोच्चार कर कल्याण नगरी को यज्ञ भूमि के रूप में नई पहचान दिलाने में कोई कोर कसर नहीं रखी.

पुराण विशेषज्ञ आचार्य वीरेन्द्रकृष्ण दोर्गादत्ती ने कहा कि जो भी यजमान यज्ञ में विराजित होकर यज्ञनारायण की आराधना करते है वे सभी दृश्य और अदृश्य देवों के स्वरूप में होते हैं. आचार्य दोर्गादत्ती रविवार को श्री मार्तण्ड यज्ञशाला में भक्तों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मूलरूप से तीन लोक माने गए हैं जिनमें पृथ्वी, अंतरिक्ष और घुलोक प्रमुख हैं. उन्होंने बताया कि घुलोक के स्वामी सूर्यदेव, अंतरिक्ष के चन्द्रमा तथा पृथ्वी के स्वामि अग्निदेव हैं. उन्होंने बताया कि यज्ञ की पौराणिक मान्यता के साथ साथ वैज्ञानिक मान्यता भी प्रमुख मानी गई है. यही कारण है कि यज्ञ के दौरान परजन्य का आह्वान करने पर वर्षा होती है.

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वर्षा से अन्न प्राप्ति तथा अन्न से भूत प्राणियों का रक्षण होता है. यही तीनों क्रम तीनों लोकों में समाहित है. उन्होंने बताया कि स्वर्ग से आने वाले के लक्षण धनाढ्य के रूप में माने गए हैं. जिनके द्वारा धन का व्यय कर पुन: पुण्य कमाना होता है, जबकि पाप कर्म से आने वाले व्यक्ति को कभी पुण्य नहीं मिलता. यह यहां उल्लेखनीय है कि आचार्य दोर्गादत्ती राठौड़ वंश की कुलदेवी नागणेचा माता मंदिर के निर्माण में प्रमुख रहे है तथा वे राठौड़ों के राजपुरोहित भी हैं.
 

गौकुल के कान्हा बिराजे कल्याण गौशाला में

गोपाल स्वरूप में भगवान श्री कृष्ण की मनोहारी प्रतिमा को कल्याण लोक स्थित कल्याण गौशाला में स्थापित करने के लिए सप्तदश कल्याण महाकुंभ के दौरान वैदिक विधान के अनुसार मार्बल की मनोहारी प्रतिमा को पिछले पांच दिनों से पंचवास में रखने के बाद रविवार को जब यज्ञशाला से कल्याणलोक के लिए रवाना किया गया तो समूची यज्ञशाला श्री कृष्ण के जयकारों से गुंज उठी. घण्टाघड़ियाल और शंखनाद के साथ प्रतिमा को कल्याण गौशाला ले जाया गया, जहां वैदिक विधान के अनुसार नव स्थापित मंदिर में विराजित किया गया. वहां मौजूद श्रद्धालुओं ने गौकुल के कान्हा को गोपाल रूप में स्वागत अभिनन्दन करते हुए इस गौशाला को प्रदेश का प्रमुख गौसंवर्धन केन्द्र बनाने की कामना की.
 

श्याम बाबा के रूप में हुआ ठाकुरजी का मनभावन श्रंगार

कल्याण महाकुंभ के षष्टम दिवस रविवार को कल्याण नगरी के राजाधिराज ठाकुरश्री कल्लाजी के श्याम बाबा के रूप में मनभावन दर्शन कर सैकड़ों श्रद्धालु आनंदित हो गए. खाटूश्याम की रविवार संध्या वेला में आयोजित भजन संध्या के अनुरूप ठाकुरजी को खाटूश्याम का श्रंगार कराने के साथ ही चहू ओर मोर पंख की पिछवाई में उनकी मनोहारी छवि भक्तों को बरबस ही आकर्षित करने वाली रही.

नानाविध मिष्ठान का धराया छप्पनभोग

सप्तदश कल्याण महाकुंभ के दौरान ठाकुरजी के ठाठ तो निराले ही लग रहे है, लेकिन प्रतिदिन न्यौछावर किए जाने वाले छप्पनभोग की श्रंखला में रविवार को कल्याण भक्तों द्वारा अपने आराध्य को छप्पनभोग के रूप में नाथद्वारा, द्वारिकाधीशजी, वृद्धावन और सांवलियाजी से 71 प्रकार के विभिन्न मिष्ठानों तथा सूखे मेवे सहित 151 थाल न्यौछावर कर छप्पनभोग की झांकी को द्विगुणित कर दिया. ऐसे अनुपम दर्शन कर कई श्रद्धालु इस बात के लिए चकित थे कि भक्तों ने अपने आराध्य को अर्पित करने के लिए कहां-कहां से मिष्ठान के रूप में नेवैध्य मंगवाकर अर्पित किया.
 

कल्लाजी के भजन छाए रहे भजन संध्या में

उज्जैन के प्रसिद्ध भजन गायक पंडित रोहित भूषण मिश्रा एवं साथियों द्वारा प्रस्तुत किए गए मन भावन भजनों से सुमंतु कथा मंडप भक्तिरस से सराबोर हो गया. शनिवार रात्रि पंडित मिश्रा द्वारा गणेश वंदना से प्रारंभ की गई भजन संध्या में महाकाल उज्जैन के महादेव को आमंत्रित करते हुए जब महादेवा महादेवा प्रस्तुत किया तो वातावरण में शिवकृपा की अनुभूति हुई. भजन गायकों ने अपने ही अंदाज में दुल्हे बने मेरे कल्लाजी तथा कल्लाजी महाराज मेरे कल्लाजी महाराज के साथ ही छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना जैसे कई भजन प्रस्तुत कर श्रद्धालुओं की तालिया बटौरने में कोई कोर कसर नहीं रखी.

Reporter- Deepak Vyas

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