सलेमपुर कलां की दलित बस्ती में पेयजल सप्लाई की मांग को लेकर पूर्व सरपंच ने शुरू की भूख हड़ताल
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सलेमपुर कलां की दलित बस्ती में पेयजल सप्लाई की मांग को लेकर पूर्व सरपंच ने शुरू की भूख हड़ताल

भरतपुर जिले के वैर विधानसभा अंतर्गत आने वाले उपखण्ड भुसावर के गांव सलेमपुर कलां की दलित बस्ती में विगत 7 वर्ष से गहराये पेयजल संकट के समाधान की मांग को लेकर ग्राम पंचायत की एक पूर्व सरंपच ने अपने पति के साथ गांव की शमशान घाट में अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है

सलेमपुर कलां की दलित बस्ती में पेयजल सप्लाई की मांग को लेकर पूर्व सरपंच ने शुरू की भूख हड़ताल

Weir: भरतपुर जिले के वैर विधानसभा अंतर्गत आने वाले उपखण्ड भुसावर के गांव सलेमपुर कलां की दलित बस्ती में विगत 7 वर्ष से गहराये पेयजल संकट के समाधान की मांग को लेकर ग्राम पंचायत की एक पूर्व सरंपच ने अपने पति के साथ गांव की शमशान घाट में अनिश्चित कालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है, जिसकी जानकारी मिलने के बाद जलदाय विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और समझाइश का प्रयास किया. 

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मिली जानकारी के अनुसार विगत कुछ दिनों पूर्व सरपंच अनारदेई ने अपने पति राजाराम के साथ एसडीएम कार्यालय पहुंचकर एसडीएम हेमराज गुर्जर को ज्ञापन सौप कर चेतावनी दी थी कि यदि दलित बस्ती के लोगो को तीन दिवस में पानी नहीं मिला तो अनिश्चित कालीन भूख हडताल शुरू की जाएगी, जिसके बाद गांव के श्मशान में पानी की समस्या को लेकर भूख हड़ताल शुरू कर दी जिसकी जानकारी मिलते ही जलदाय विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और पेयजल समस्या की जानकारी देते हुए समझा इसका प्रयास किया जहां उन्होंने नियमित व्यवस्था नहीं होने तक टैंकरों से पानी पहुंचाने की बात कही, लेकिन भूख हड़ताल पर बैठे लोगों ने समाधान नहीं होता भूख हड़ताल जारी रखने की बात कही.

यह है मामला 
ग्राम पंचायत सलेमपुर कलां की पूर्व सरंपच एवं पूर्व पंचायत समिति सदस्य रही अनारदेई एवं पति राजाराम की ओर से भुसावर एसडीएम हेमराज गुर्जर को दिए गए ज्ञापन में लिखा था कि गांव सलेमपुर कलां के पेयजल संकट के समाधान को लेकर गांव के लोग वर्ष 2005 से प्रयासरत थे लेकिन समाधान नहीं हुआ, इसी बीच वर्ष 2010 के पंचायत चुनाव में अनार देई ग्राम पंचायत की सरपंच चुनी गई तो उन्होने गांव की पेयजल समस्या को प्राथमिकता से लेते हए पानी की मांग को लेकर आन्दोलन किया. 

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यहां तक की गर्मियों के दिनों में भूख हडताल भी करनी पड़ी तब जाकर गांव में पानी की हवाई टंकी बनी और पानी की समस्या का समाधान हुआ, लेकिन जैसे ही वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में अनारदेई सरपंच का चुनाव हार गई तो राजनीतिक द्वेषता के चलते गांव की दलित बस्ती जिसमें अधिकांशतः जाटब, कोली, खटीक आदि समुदाय के लोग रहते है के घरों को जाने वाली पानी की सप्लाई को बंद कर दिया, जिसे सात वर्ष गुजर जाने के बाबजूद भी आज तक सुचारू नहीं किया गया है. 
Report- Devendra Singh

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