हाथों के हुनर को तराश रही बायतु की महिलाएं, हर महिला को मिले रोजगार..
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हाथों के हुनर को तराश रही बायतु की महिलाएं, हर महिला को मिले रोजगार..

महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ते कदमों ने ना सिर्फ महिलाओं को हुनरमंद बनाया है बल्कि उनके प्रगति के रास्ते खोल दिए हैं. 

हर महिला को मिले रोजगार

Baytoo: नारी कभी हारती नहीं है, उसे हराया जाता है, समाज क्या कहेगा, यह कहकर और बचपन से डराया जाता है, अगर यह डर नहीं हो तो नारी बहुत कुछ कर गुजरती है, लेकिन अब महिलाएं बायतू में मिशाल बनकर आगे नजर आ रही है. पूर्व राजस्व मंत्री भोपाल टू विधायक हरीश चौधरी के प्रयासों से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें दर्जनों महिला है, सिलाई का कार्य कर आत्मनिर्भर बन रही है.

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साथ ही जहां महिला सशक्तिकरण की ओर बढ़ते कदमों ने ना सिर्फ महिलाओं को हुनरमंद बनाया है बल्कि उनके प्रगति के रास्ते खोल दिए हैं. महिलाओं के सशक्तिकरण का परिणाम है कि अब वे आम ही नहीं, बल्कि गुठलियों के दाम भी निकालने की तरकीब ढूंढ चुकी है. सामूहिक पहल से महिलाएं न सिर्फ खुद को सशक्त बना रहीं हैं, बल्कि वे अन्य महिलाओं के लिए नजीर बनी हुई है. दरअसल बदलाव की ये बानगी एक दिन का परिणाम नहीं, बल्कि बायतू क्षेत्र की महिलाओं की महीनों की मेहनत का नतीजा है.

यह सब पूर्व केबीनेट मंत्री और बायतू विधायक हरीश चौधरी की दूरगामी सोच का परिणाम है. हरीश चौधरी अपने क्षेत्र की महिलाओं को स्वावलम्बी और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने को लेकर बायतु में नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण अभियान चला रहे हैं. चौधरी की मंशा है कि महिलाओ एवं बालिकाओं को हुनरमंद बनाने के साथ ही आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जाए. साथ ही महिलाओं और बालिकाओं से प्रशिक्षण के दौरान सीखे गये ज्ञान को व्यवाहारिक जीवन में उपयोग किया जाए, जिससे निरंतर प्रगति का पथ बनता रहे.

गांव ढाणी में रहने वाली महिला शक्ति हरीश चौधरी की इस अनूठी पहल के लिए काफी उत्साहित भी है, जिसकी बदौलत बाड़मेर जिला प्रमुख महेंद्र चौधरी के देखरेख में गिड़ा पंचायत समिति के दानपुरा, खोखसर, करालिया बेरा, खारड़ा भारत सिंह, सऊओं का वास, खारापार, बायतु पंचायत समिति के भोजासर, नोसर में सिलाई प्रशिक्षण में महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना रोजगार शुरू कर रही है.

प्रशिक्षण देने वाली सेवार्थ संस्था के ट्रेनर विजय कुमार बताते है कि हमारा लक्ष्य रहता है कि एक महिला 30 दिन में पूरी सिलाई का काम सीखकर अपने हाथों से ड्रेस तैयार कर ले, हम इसमें सफल भी हो रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं में सिलाई के प्रति काफी उत्साह है. प्रशिक्षण में महिलाओं के पहनने की ड्रेस, लहंगा कुर्ता, सलवार सूट, मारवाड़ी सूट,सहित पेटीकोट सहित अन्य तरह की सिलाई सिखाई जा रही है.

सिलाई प्रशिक्षण ले रही महिलाओं का कहना है कि हमारा तो सपना था कि कभी इस तरह के सिलाई सीखेंगे. हम विधायक हरीश चौधरी का धन्यवाद देते हैं कि उन्होने हमारे लिए गांव में ही सिलाई मशीन, कपड़े और ट्रेनर की व्यवस्था कर दी, जिससे हम बिना किसी एक रूपया खर्च किए सिलाई सीख रहे हैं, ऐसे में अब तक 750 से अधिक महिलाएं हरीश चौधरी के इस सिलाई प्रशिक्षण से जुड़ी है जिसमें कई महिलाएं न केवल खुद को हुनरमंद बना रही हैं, बल्कि रोजगार की कुशलता भी हासिल कर रही है.

आपको बता दें कि पहले क्षेत्र की महिलाएं काम के अभाव में घर के कार्यों में ही लगी रहती थी, लेकिन आज परिस्थितियां बदली हैं. अब सिलाई कर महिलाएं रुपए कमा रही हैं. अब उन्हें काफी अच्छा लगता है. गांव की महिलाएं गांव में ही रहकर अर्थोपार्जन कर रहीं हैं, इससे महिला सशक्तिकरण के साथ स्थानीय इलाके की तस्वीर बदलने लगी हैं.

Reporter: Bhupesh Acharya

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