Rajasthan Chunav Result : साल 2018 में जब चुनाव हुए थे तो बागियों की भूमिका अहम थी. ऐसा ही कुछ इस बार भी होता दिख रहा है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो ऐसा लगा था कि अगर पूर्ण बहुमत की सरकार बनती है. तो सचिन पायलट ही मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन गहलोत के करीब डेढ़ दर्जन बागियों ने खेल पलट दिया और बार की कहानी भी इसके आस पास ही रहने वाली है.
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Rajasthan Chunav Result : साल 2018 में जब चुनाव हुए थे तो बागियों की भूमिका अहम थी. ऐसा ही कुछ इस बार भी होता दिख रहा है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो ऐसा लगा था कि अगर पूर्ण बहुमत की सरकार बनती है. तो सचिन पायलट ही मुख्यमंत्री होंगे, लेकिन गहलोत के करीब डेढ़ दर्जन बागियों ने खेल पलट दिया और बार की कहानी भी इसके आस पास ही रहने वाली है.
अशोक गहलोत का ये गेम प्लान इस बार वसुंधरा राजे के हाथ लग गया है. अगर बीजेपी को 100 सीटे भी मिल जाती हैं तो राजे के करीबी 20 बागी जीतते हैं तो सरकार में राजे ही सीएम होंगी, लेकिन अगर कांग्रेस को सीटें मिलती हैं तो ये बागी गहलोत को समर्थन देंगे.
राजस्थान विधानसभा चुनावों में कभी भी वसुंधरा राजे की तरह गहलोत ने भी पार्टी के बागियों के खिलाफ प्रचार नहीं किया. चाहे बात अनीता सिंह की हो या फिर कैलाश मेघवाल की हो या फिर चंद्रभान आक्या की. किसी बागी को मनाने की कोशिश भी व्यक्तिगत रूप से नहीं की गयी.
ऐसे में अगर वोटिंग के दिन किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता तो गहलोत की तरफ से बागी प्रत्याशी वसुंधरा का समर्थन कर सकते हैं या फिर वसुंधरा के समर्थक बागी गहलोत की मदद कर सकते हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बीजेपी का फोकस 2024 का चुनाव है. जैसे 2019 में क्लीन स्वीप हुआ था वैसा ही कुछ 2024 के लोक सभा चुनावों में देखने को मिलें. इधर वसुंधरा राजे का केंद्रीय नेतृत्व के साथ गतिरोध लगातार रहा है. ऐसे में उनके नाम पर सहमति जरूरी नहीं है. लेकिन चूंकि राजनीति संभावनाओं पर होती है इसलिए इस बारे में कुछ पक्के तौर पर कहा नहीं जा सकता है.