अवैध खनन माफियाओं ने अलवर के पहाड़ों को किया, जिम्मेदार मौन
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अवैध खनन माफियाओं ने अलवर के पहाड़ों को किया, जिम्मेदार मौन

अलवर न्यूज: अवैध खनन माफियाओं ने अलवर के पहाड़ों को छलनी कर दिया है.पुलिस की लापरवाही और राजनेताओं की दखलंदाजी से अवैध खनन का कारोबार जोर पकड़ता जा रहा है. लोगों ने घरों के अंदर ही पहाड़ी को खोद दिया.

अवैध खनन माफियाओं ने अलवर के पहाड़ों को किया, जिम्मेदार मौन

Alwar: अलवर जिले में अवैध खनन इतनी मात्रा में हो रहा है कि अब अरावली की पर्वतमाला भी अपना वजूद खोती जा रही हैं. सबसे बड़ी बात यह है की पुलिस की संरक्षण नेताओं की सरपरस्ती में यह अवैध खनन माफिया बेरोकटोक पहाड़ों को छलनी कर रहे हैं. इस संबंध में अनेकों बार खान विभाग कार्रवाई करता है. लेकिन स्टाफ कम होने के कारण वह भी कार्रवाई करने में असहाय महसूस करता है.अलवर जिले के सदर पुलिस थाना क्षेत्र के जटियाना में हालात यह हैं कि पहाड़ अपने वजूद खोते जा रहे हैं.

लगातार कार्रवाई होने के बावजूद भी अवैध खनन पर कोई पाबंदी नहीं लग पा रही है. इसका प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि उस पहाड़ के चारों तरफ ग्रामीण बसे हुए हैं और उन्हीं घरों में से पहाड़ पर जाने के रास्ते हैं. जब भी कोई कार्रवाई होती है तो अवैध खनन में जुड़े वाहनों को अपने घरों में खड़ा कर देते हैं जिससे खान विभाग भी कोई कार्यवाही करने में वेबस दिखाई देता है. हालात ये हैं कि अब खान विभाग को बॉर्डर होमगार्ड के जवान लगाने पड़े हैं जिससे अवैध खनन पर रोक लगाई जा सके.हालांकि वैध और अवैध रूप से हो रहे अवैध खनन राजस्थान सरकार की तिजोरी भरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है क्योंकि खान विभाग द्वारा की जा रही कार्रवाईयों से लक्ष्य से अधिक राजस्व प्राप्त हो रहा है. यह हम नहीं सरकारी आंकड़े बताते हैं. 

पिछले साल  343 अवैध खनन की कार्रवाई 

अब तक पिछले वर्ष खान विभाग ने 343 अवैध खनन की कार्रवाई की. जिसमें इतने ही वाहन जब्त किए गए. 149 मुकदमे दर्ज किए गए जबकि 112 जनों को गिरफ्तार किया गया. पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए पहाड़ों का होना आवश्यक है लेकिन जटियाना गांव में अवैध खनन पहाड़ पूरी तरह छलनी कर दिए. इन पहाड़ों पर जड़ी बूटियां भी मिलती थी. लेकिन अवैध खनन ने पहाड़ों को पूरी तरह विरान कर दिया. खनन काम से जुड़े हुए माफिया और नेता इस काम में मिले हुए हैं. पुलिस की लापरवाही पूरी तरह देखी जा सकती है.

छोटी-छोटी पहाड़ियों को पूरी तरह जमींदोज कर दिया गया है. यहां तक की अवैध खनन रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के भी आदेश हैं लेकिन अफसरों पर इसका कोई असर दिखाई नहीं देता .आखिर में खान विभाग को यहां पर फोर्स लगानी पड़ी है अगर अवैध खनन को रोकना और पहाड़ों को बचाए रखना है तो पर्यावरण से जुड़ी संस्थाओं को इस काम में आगे आना पड़ेगा.वरना राजनीतिक संरक्षण में बेलगाम हुए माफियाओं के आगे अवैध खनन को रोकना बड़ा मुश्किल होगा.

अलवर के खनिज अभियंता राजेंद्र सिंह ने बताया कि अवैध खनन की शिकायतें मिलती हैं .और उन शिकायतों पर कार्रवाई करते हैं .गत दिनों भी एक ट्रेक्टर ट्रॉली को जब्त किया गया. एक आरोपी को गिरफ्तार किया गया .इससे पहले भी दो तीन बार कार्रवाई की है और समय-समय पर अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई की जाती है .उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाते हैं. जटियाना गांव में अवैध खनन को लेकर उन्होंने बताया कि पहाड़ी के चारों तरफ गांव बसा हुआ है. लोग अवैध खनन का प्रयास करते हैं. घरों के अंदर से होकर ही रास्ते हैं जब भी कोई कार्रवाई होती है तो उन वाहनों अपने घरों में खड़ा कर देते हैं .बॉर्डर होमगार्ड की जवान लगाए गए हैं .खनिज विभाग का पूरा प्रयास रहता है कि अलवर जिले में कहीं भी कोई अवैध खनन नहीं हो.  

उन्होंने बताया कि इस साल 343 मामलों में अवैध खनन पर कार्रवाई हुई है .इतने ही वाहन जब्त किए गए. 149 मामलों में मुकदमे दर्ज किए गए .करोड़ों रुपए की पेनल्टी वसूली गई. जो विगत वर्षों से ज्यादा है .उन्होंने बताया कि विगत वर्ष 110 करोड़ राजस्व का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जबकि खान विभाग ने 119 करोड़ 22 लाख रुपए राजस्व प्राप्त किया. सरकारी आंकड़ों को देखें तो ये बात सामने आई है कि लक्ष्य निर्धारित करने में अवैध खनन मुफीद हो रहा है. खनन से मिलने वाला राजस्व में अवैध खनन की महत्व पूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा कि इस मामले में जितने भी मामले दर्ज होते हैं. 2 से 3 महीने में कोर्ट में चालान पेश कर दिया जाता है.

मेसनरी स्टोन के 160 खनन पट्टे

अलवर खान विभाग के क्षेत्राधिकार में प्रधान खनिज मार्बल मेसनरी स्टोन ,सिलिका सैंड ,लाइमस्टोन, चार्ट ,आयरन ,डोलोमाइट ,फायर क्ले ,सॉपस्टोन आदि के 317 खनन पट्टे प्रभावशील हैं .सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार मेसनरी स्टोन के 160 खनन पट्टे हैं .जबकि मार्बल के 134 खनन पट्टे हैं. लाइम स्टोन, ग्रेनाइट, सोप स्टोन एवं अन्य के 23 खनन पट्टे हैं.

इसके अलावा सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण टाइगर रिजर्व के चारों ओर प्रस्तावित इको सेंसेटिव जॉन की अंतिम अधिसूचना जारी नहीं होने के कारण खनिज विभाग कार्यालय क्षेत्राधिकार में सरिस्का वन्य जीव अभ्यारण के 10 किलोमीटर में वर्तमान में कुल 148 खनन पट्टे प्रभावशील हैं. जिनमें से वर्तमान में राजस्थान राज्य नियंत्रण मंडल द्वारा 65 खनन पट्टों में ही कंसेंट टू ऑपरेट प्राप्त होने से खनन कार्य चालू है एवं शेष में 83 खनन पट्टों में खनन कार्य बंद है.

 लक्ष्य प्राप्ति की अगर बात करें तो वर्ष 2019-20 में 91 करोड़ 14 लाख रुपए का राजस्व लक्ष्य था .जहां मात्र 77 करोड़ 87लाख का राजस्व प्राप्ति हुई. वहीं वर्ष 2020- 21 में ₹90 लाख का लक्ष्य था जिसमें ₹90 करोड़ 40 लाख की राजस्व प्राप्ति हुई .वर्ष 2021 - 22 में 92 करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. जहां 97 करोड़ 40 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ. वर्ष 2022 - 23 में 110 करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित था जिसमें 119 करोड़ 22 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ.

1 अप्रैल 2023 से 17 मई 2023 तक खनिज विभाग ने ₹18करोड़ 20 लाख का राजस्व प्राप्त कर लिया है.इसके अलावा खान विभाग ने अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वर्ष 2019-20 में 106 प्रकरण पंजीबद्ध वे थे जिनसे करीब 5600000 रुपए का जुर्माना प्राप्त हुआ और उस वर्ष चार ही मुकदमे दर्ज किए गए. इसी तरह वर्ष 2020 - 21 में 186 प्रकरण सामने आए थे जिनमें करीब 220 लाख रुपए का जुर्माना प्राप्त हुआ था और 34 मुकदमे दर्ज किए गए थे. 

वर्ष 2021- 22 में 156 प्रकरण सामने आए थे जिन से मात्र 130 लाख ₹40000 की राशि वसूली गई और 32 मुकदमे दर्ज हुए थे.इसी तरह वर्ष2022- 23 में 343 प्रकरण सामने आए हैं जिनमें 228 लाख ₹26000 जुर्माना वसूला गया और 149 मुकदमे दर्ज किए गए. इसी तरह 1 अप्रैल 2023 से 17 मई 2023 तक 15 प्रकरण सामने आ चुके हैं और करीब ₹500000 जुर्माना वसूला गया है और तीन मामलों में मुकदमे दर्ज हुए.

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