DNA: पानी-बिजली की कमी; झेलने पड़ते हैं हुक्मरानों के अत्याचार; PoK के दर्द पर कब लगेगा मरहम?
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DNA: पानी-बिजली की कमी; झेलने पड़ते हैं हुक्मरानों के अत्याचार; PoK के दर्द पर कब लगेगा मरहम?

What is PoK Dispute: पिछले 75 वर्षों से पाकिस्तान PoK के लोगों पर अत्याचार कर रहा है. दरअसल, पाकिस्तान ने कश्मीर के इस हिस्से को कब्जा तो लिया, लेकिन पीओके की जमीन और यहां के लोगों के साथ पाकिस्तान का कोई लगाव नहीं रहा. 

DNA: पानी-बिजली की कमी; झेलने पड़ते हैं हुक्मरानों के अत्याचार; PoK के दर्द पर कब लगेगा मरहम?

Narendra Modi on PoK: बुधवार को लोकसभा में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की दो गलतियों की वजह से PoK यानी पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर बना. इसका खामियाजा अब भारत के लोग भुगत रहे हैं. लेकिन क्या नेहरू के ब्लंडर का खामियाजा PoK में रहने वाले लाखों लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है.

75 साल से हो रहा अत्याचार

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में करीब 41 लाख लोग रहते हैं. पिछले 75 वर्षों से पाकिस्तान यहां के लोगों पर अत्याचार कर रहा है. दरअसल, पाकिस्तान ने कश्मीर के इस हिस्से को कब्जा तो लिया, लेकिन पीओके की जमीन और यहां के लोगों के साथ पाकिस्तान का कोई लगाव नहीं रहा. यही वजह है कि  वर्ष 1963 में ही पाकिस्तान ने चीन को सक्षम घाटी तोहफे में दे दी थी.  सक्षम घाटी PoK का करीब 5000 Square Meter का टुकड़ा था. PoK से होकर ही चीन का CPEC प्रोजेक्ट यानी चीन पाकिस्तान इकॉनोमिक कोरिडोर बन रहा है.

PoK के बनने की सजा वाकई पीओके के लोग भुगत रहे हैं, क्योंकि पाकिस्तान ने कश्मीर के इस हिस्से के विकास पर कभी कोई काम नहीं किया. भारत ने कश्मीर में जितना काम और विकास किया है, उसका PoK से कोई मुकाबला ही नहीं है.

  • भारत के हिस्से वाले जम्मू-कश्मीर में कुल 4 एयरपोर्ट हैं, जबकि पीओके में सिर्फ 2 एयरपोर्ट हैं. जम्मू-कश्मीर में कुल 35 यूनिवर्सिटी हैं, जबकि पीओके की बात करें तो वहां सिर्फ 6 यूनिवर्सिटी हैं.

  •  जम्मू-कश्मीर में छोटे बड़े कुल 2812 अस्पताल हैं, जबकि पीओके में सिर्फ 23 अस्पताल ही हैं. 

  • वर्ष 2022-23 में जम्मू-कश्मीर का बजट 13.5 बिलियन डॉलर था, जबकि PoK के का बजट महज 495 मिलियन डॉलर. PoK के मुकाबले जम्मू-कश्मीर का बजट 27 गुना ज्यादा था.

इन हालात से अंदाजा लगाइए कि किस तरह पीओके के लोगों को नेहरू की गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. इसलिए पीओके में लोग पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते रहते हैं और अपने हक की आवाज बुलंद करते हैं.

पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं PoK के लोग

PoK को लेकर भारत का स्टैंड क्लियर है. कश्मीर भारत का था, है और हमेशा रहेगा. PoK वापस लेना भारत की प्राथमिकता में शामिल हैं. भारत के रुख से PoK के लाखों लोगों को उम्मीद की किरण दिखी है, जो पिछले 7 दशक से ज्यादा वक्त से पाकिस्तान के जुल्म सहने को मजबूर हैं, लेकिन अब पाकिस्तान से आजाद होना चाहते हैं.

PoK को लेकर नेहरू की गलती का खामियाजा भारत ही नहीं, पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर और वहां के लोग भुगत रहे हैं. आज वो लोग पाकिस्तान के कब्जे से आजादी की मांग बुलंद कर रहे हैं. वो चाहते हैं कि पीओके का भारत में विलय हो जाए.

लोग जानते हैं कि पाकिस्तान इनके साथ भेदभाव करता है. ना पीओके में विकास कार्य हो रहे हैं, ना ही आम लोगों की मूलभूत सुविधाओं का ख्याल रखा जाता है. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि ये पीओके के नागरिक हैं.

PoK में होते रहते हैं विरोध-प्रदर्शन

पाकिस्तान ने इनपर इतने जुल्म करता है कि पीओके के लोग पाकिस्तानी हुक्मरानों से भी भिड़ जाते हैं. पाकिस्तान के खिलाफ इस तरह के विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी यहां आम है.

पाकिस्तान की सरकार पीओके में मौजूद संसाधनों का दोहन कर रही है, लेकिन यहां के लोगों को इसका हिस्सा नहीं देती. पीओके में बिजली की कमी को लेकर प्रदर्शन होते हैं, जबकि इसी क्षेत्र में सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन होता है.

वैसे तो पूरे पाकिस्तान के हालात ही खराब हैं, लेकिन पीओके के साथ शुरुआत से ही पाकिस्तान का रवैया भेदभाव वाला रहा है. यहां रहने वाले लोगों के हालात का अंदाजा ऐसे लगाइए कि लोगों के लिए पीने का साफ पानी तक मुहैया नहीं है.

 जुगाड़ करके पीओके के लोगों को अपनी प्यास बुझानी पड़ती है, एक तरफ जहां भारत में हर घर नल से जल योजना पर काम चल रहा है, तो दूसरी तरफ पीओके के हालात दुनिया के सामने हैं.

पीओके के लोगों का पाकिस्तान को लेकर गुस्सा बढ़ता जा रहा है, वो चाहते हैं कि पाकिस्तान के साथ नर्क में जीने से बेहतर उनका भारत में विलय हो जाए. कुछ वक्त पहले पीओके से ताल्लुक रखने वाले एक पॉलिटिकल एक्टिविस्ट सज्जाद राजा ने ब्रिटेन की संसद में पीओके को लेकर अपना पक्ष रखा था.

आवाज उठाने वालों को किया जाता है अरेस्ट

पीओके में पाकिस्तान के अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाना भी आसान नहीं है. हक की बात करने वाले एक्टिविस्ट पर देशद्रोह का केस लगाकर गिरफ्तार कर लिया जाता है. एक तरह से पीओके के लोग पाकिस्तान सरकार की फुटबॉल बनकर रह गए हैं.

क्या है समाधान?

भारत के स्टैंड से पीओके के लोगों को लगने लगा है कि जो गलती 75 साल पहले हुई थी. जिसकी सजा वो आज तक भुगत रहे हैं उससे जल्द निजात मिलने वाली है.

नेहरू की एक गलती की वजह से भारत के साथ-साथ पीओके के लोग भी इसका खामियाजा भुगत रहे हैं, और इसका एक ही समाधान है. पीओके का भारत में विलय.

पाकिस्तान ने कश्मीर का एक हिस्सा कब्जा तो लिया, लेकिन वहां के लोगों को अपना नहीं सका. PoK लोग मानते हैं कि उनका भविष्य पाकिस्तान के साथ नहीं बल्कि भारत के साथ है. पाकिस्तान ने उनके साथ भेदभाव किया है, जिससे उन्हें PoK बनने की सजा भुगतनी पड़ रही है. इस मुश्किल से PoK के लोगों को तभी राहत मिल सकती है, जब PoK पर भारत का फिर से अधिकार होगा.

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