Delhi Liquor scam: दिल्ली की वित्त मंत्री आतिशी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी को लेकर एक बार फिर से बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा है. आतिशी ने शरत चंद्र रेड्डी (P Sarath Chandra Reddy) का नाम लेते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं.
Trending Photos
Sarath Chandra Reddy news: दिल्ली की मंत्री आतिशी ने आप (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी को लेकर एक बार फिर से बीजेपी (BJP) पर निशाना साधा है. आतिशी ने कहा, 'ED की जांच में मनी ट्रेल की बात कही गई है. ऐसे में पैसा कहां गया? शराब कारोबारी को मुनाफा हुआ तो उन्होंने किसे पैसा दिया. आम आदमी पार्टी के किसी नेता के पास से कोई पैसा बरामद नहीं हुआ. हमारे किसी नेता के पास कोई मनी ट्रेल नहीं मिला है. कोर्ट ने ED से पूछा कि मनी ट्रेल कहां है? वो सही से जवाब नहीं दे पाए.'
सिर्फ एक शख्स के बयान पर केजरीवाल की गिरफ्तारी
दिल्ली का बहुचर्चित शराब घोटाला मामला कई मोड़ से गुजरा. एक के बाद एक लगातार कई ट्विस्ट आए. जांच के किसी मोड़ में नाम आया एक कारोबारी शरत चंद्र रेड्डी का. ये वही कारोबारी हैं जिनका दिल्ली के कथित शराब घोटाले से लिंक रहा है. आरोप है कि मनीष सिसोदिया भी इनके संपर्क में आए थे. हैदराबाद के कारोबारी शरत चंद्र रेड्डी (Sarath Chandra Reddy) जिस दिन सरकारी गवाह बने थे. तभी ये तय हो गया था कि आज नहीं तो कल दिल्ली सरकार, मनीष सिसोदिया और आखिर में अरविंद केजरीवाल तक की मुश्किलें बढ़ जाएंगी.
आज अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आतिशी ने ये भी कहा, 'अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की गिरफ्तारी सिर्फ एक व्यक्ति के बयान के आधार पर हुई है. वो है शरत चंद्र रेडडी, जिनके बयान के आधार पर केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया है.'
कौन हैं शरत चंद्र रेड्डी?
हैदराबाद स्थित व्यवसायी पी सरथ चंद्र रेड्डी बिजनेस एडमिस्ट्रेशन में ग्रेजुएट हैं. वो अरबिंदो फार्मा लिमिटेड के निदेशकों में से एक हैं. इस कंपनी की स्थापना सरथ चंद्र रेड्डी के पिता पीवी राम प्रसाद रेड्डी ने की थी. रेड्डी कंपनी के गैर-कार्यकारी निदेशक भी हैं. वो फार्मा के साथ शराब कारोबार से भी जुड़े हैं. उनके भाई रोहित रेड्डी, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के राज्य सभा एमपी वी विजयसाई रेड्डी के दामाद हैं.
अरविंदो फार्मा से पहले शरत ट्रीडेंट लाइफ साइंस प्राइवेट लिमिटेड की कमान संभाल रहे थे. बाद में अरविंदो फर्मा ने इसका अधिग्रहण कर लिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक शराब घोटाले से पहले शरत रेड्डी का नाम करीब साल 12 साल पहले सीबीआई की एक चार्जशीट में आया था. रेड्डी का नाम जमीन अधिग्रहण से जुड़े मामले में मीडिया की सुर्खियों में रह चुका है.
ED के मुताबिक शरत ने कई कारोबारियों और नेताओं के साथ मिलकर शराब घोटाले में सक्रिय रूप से योजना बनाई और साजिश रची. पिछले साल जून में दिल्ली की एक अदालत द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद वो शराब घोटाला मामले में सरकारी गवाह बन गए थे. इससे पहले ED ने आरोप लगाया था कि वह व्यापार मालिकों और उत्पाद शुल्क मामले में शामिल राजनेताओं के साथ साजिश करके शराब नीति से अनुचित लाभ हासिल करने के लिए अनुचित बाजार प्रथाओं में शामिल थे.
चुनावी चंदे में सामने आया नाम
21 मार्च 2024 यानी जिस दिन केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था, चुनाव आयोग ने चुनावी बांड के माध्यम से व्यक्तियों और कॉरपोरेट्स द्वारा राजनीतिक फंडिंग का डाटा अपलोड किया गया था. आम आदमी पार्टी (AAP) का कहना है कि इस डेटा के एक हिस्से का लिंक रेड्डी से है. वही रेड्डी जिन्होंने बीजेपी को भारी चंदा दिया.
दरअसल दिल्ली शराब घोटाले में जो निजी कंपनी अचानक चर्चा में आई, उस दवा कंपनी 'अरबिंदो फार्मा' ने कुल 52 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे. जिसका आधे से अधिक हिस्सा अकेले भारतीय जनता पार्टी (BJP) को गया था.
चुनाव आयोग की तरफ से चुनावी बॉन्ड पर जारी आंकड़ों के मुताबिक, हैदराबाद स्थित इस कंपनी ने 3 अप्रैल, 2021 से 8 नवंबर, 2023 के बीच चुनावी बॉन्ड खरीदे थे और BJP को 34.5 करोड़ रुपये, भारत राष्ट्र समिति (BRS) को 15 करोड़ रुपये और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) को 2.5 करोड़ रुपये का चंदा दिया था.
कंपनी ने आठ नवंबर, 2023 को 25 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिन्हें BJP ने 17 नवंबर, 2023 को भुना लिया. इससे पहले पांच जनवरी, 2022 को अरबिंदो फार्मा ने तीन करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे, जिन्हें 12 जनवरी, 2022 को BJP ने कैश कराया था.
इसी खुलासे के बाद आम आदमी पार्टी, केजरीवाल की गिरफ्तारी को गलत बताते हुए बीजेपी को घेर रही है.
कंपनी ने साधी चुप्पी!
इस दवा निर्माता कंपनी ने अपने एक निदेशक पी शरत चंद्र रेड्डी को विवादास्पद दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार किए जाने के पांच दिन बाद 15 नवंबर, 2022 को पांच करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, BJP ने इन बॉन्ड को 21 नवंबर, 2022 को भुनाया था.