Minerals Royalty: क्या होती है मिनरल रॉयल्टी.. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या कुछ बदल जाएगा?
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Minerals Royalty: क्या होती है मिनरल रॉयल्टी.. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या कुछ बदल जाएगा?

What is Minerals Royalty: सुप्रीम कोर्ट ने मिनरल रॉयल्टी यानी खनिज रॉयल्टी पर बड़ा फैसला सुनाया है. इस फैसले से केंद्र सरकार को झटका लगा है और राज्यों को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मिनरल रॉयल्टी पूरी तरह से राज्य का मामला है.

Minerals Royalty: क्या होती है मिनरल रॉयल्टी.. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से क्या कुछ बदल जाएगा?

What is Minerals Royalty: सुप्रीम कोर्ट ने मिनरल रॉयल्टी यानी खनिज रॉयल्टी पर बड़ा फैसला सुनाया है. इस फैसले से केंद्र सरकार को झटका लगा है और राज्यों को राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मिनरल रॉयल्टी पूरी तरह से राज्य का मामला है. पिछले कई सालों से इसपर पेंच फंसा था. केंद्र मिनरल रॉयल्टी पर अपना अधिकार चाहती थी. ऐसे में आपके मन में मिनरल रॉयल्टी को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे. आइये आपको सरल शब्दों में मिनरल रॉयल्टी का अर्थ समझाते हैं. 

क्या होती है मिनरल रॉयल्टी?

मिनरल रॉयल्टी को खनिज अधिकार भी कहा जाता है. यह भूमि या खनिज संसाधनों के मालिक को खनन कंपनी द्वारा भुगतान किया जाने वाला शुल्क है, जब वे उस जमीन पर खनन कार्य करते हैं. यह शुल्क खनिजों के मूल्य का एक प्रतिशत होता है, जिन्हें निकाला जाता है. सरल शब्दों में कहें तो, यह जमीन के मालिक का मुआवजा होता है, जिसकी जमीन से खनिजों का खनन किया जा रहा है.

मिनरल रॉयल्टी से जुड़ी जरूरी बातें

कौन भुगतान करता है: खनन कंपनी, जो खनिजों का खनन करती है.

कौन प्राप्त करता है: भूमि या खनिज संसाधनों का मालिक.

भुगतान की गणना: खनिजों के मूल्य का एक प्रतिशत के रूप में.

राज्य सरकार के लिए क्यों जरूरीः राज्य सरकारों के लिए यह राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्रोत  है.

भारत में मिनरल रॉयल्टी

भारत में खनिज रॉयल्टी भारतीय खनिज अधिनियम, 1957 द्वारा शासित होती है. खनिजों की अलग-अलग श्रेणियों के लिए रॉयल्टी दरें निर्धारित हैं. 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि मिनरल रॉयल्टी कर नहीं है, बल्कि जमीन के मालिक का अधिकार है.

कोर्ट ने क्या कहा..?

अब आपको मिनिरल रॉयल्टी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में बताते हैं. बता दें कि यह एक महत्वपूर्ण फैसला है जो भारत में खनन उद्योग और राज्यों के वित्तीय अधिकारों पर खासा प्रभाव डालेगा. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि खनिज रॉयल्टी कर नहीं है.. और राज्यों को कर लगाने का अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट ने 8:1 के बहुमत से फैसला सुनाया कि खनिजों पर देय रॉयल्टी "कर" नहीं है. इसका मतलब यह है कि राज्यों को खदानों और खनिज-समृद्ध भूमि पर कर लगाने का अधिकार है.

कई राज्यों के लिए बड़ी जीत

यह फैसला ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान  और अन्य खनिज-समृद्ध राज्यों के लिए एक बड़ी जीत है. कुछ राज्यों ने मांग की है कि फैसले को पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू किया जाए, जिससे केंद्र द्वारा पहले से वसूले गए करों की वापसी हो सके. यह फैसला 1989 और 2014 के दो विरोधाभासी फैसलों को निरस्त करता है, जिनमें यह कहा गया था कि रॉयल्टी कर है. रॉयल्टी से राज्यों की आय में वृद्धि होगी, जिसका उपयोग वे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए कर सकते हैं.

केंद्र और राज्यों के बीच विवाद

विशेषज्ञों की मानें तो रॉयल्टी के बंटवारे को लेकर भविष्य में भी केंद्र और राज्यों के बीच विवाद जारी रह सकता है. इस फैसले का खनन उद्योग पर भी प्रभाव पड़ सकता है. क्योंकि कंपनियों को अब राज्यों को अधिक रॉयल्टी का भुगतान करना होगा.

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