महबूबा मुफ्ती की जीत के लिए बेटी कूदी चुनावी मैदान में, अनंतनाग राजौरी में चुनावी प्रचार तेज
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महबूबा मुफ्ती की जीत के लिए बेटी कूदी चुनावी मैदान में, अनंतनाग राजौरी में चुनावी प्रचार तेज

Mehbooba Mufti  :  25 साल पहले जो बेटी ने बाप के लिए किया आज एक बेटी अपनी मां के लिए करती दिख रही है. महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती अपनी मां की राजनीतिक लड़ाई में खुद आ गई हैं और अनंतनाग राजौरी निर्वाचन छेत्र डेरा डाल कर चुनावी प्रचार में जी जान से जुट गई हैं. 

 

Mehbooba Mufti

Jammu and Kashmir : कश्मीर का चुनावी परिदृश्य इस बार एक अलग नजारा भी दिखा रहा है. अगर एक बाप अपने बेटे की जीत के लिए प्रचार मैदान में है, तो दूसरी ओर एक बेटी भी प्रचार मैदान में उतर चुकी है. हालांकि, यह बात अलग है कि दोनों के संसदीय क्षेत्र अलग अलग हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व सांसद ढा फारूक अब्दुल्ला इस बार खुद चुनाव मैदान में नहीं हैं. सूत्रों के अनुसार, वे जल्द होने वाले विधानसभा चुनावों के किस्मत आजमाते हुए खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए पेश करना चाहते हैं, इसलिए वे अपने बेटे उमर अब्दुल्ला के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं.

इसी तरह से पीडीपी उम्मीदवार और अपनी मां महबूबा मुफती के पक्ष में उतरी इल्तिजा ने कहा कि वह यहां लोगों के बीच महबूबा मुफ्ती की बेटी के रूप में नहीं बल्कि पार्टी की एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में आई हूं. महबूबा मुफ्ती को उन्होंने राजोरी-अनंतनाग के लोगों के लिए सही विकल्प के रूप में स्थापित किया. इल्तिजा ने कहा कि वह लोगों के मुद्दों को उठाएंगी क्योंकि हम जानते हैं कि 2019 से जम्मू-कश्मीर में क्या हो रहा है.

 

महबूबा मुफ्ती का बड़ा रोल रहा 

पीडीपी राजनीतिक दल की स्थापना में महबूबा मुफ्ती का बड़ा रोल रहा था. मुफ्ती मुहम्मद सैयद ने जम्मू कश्मीर के कुछ बड़े नेताओं के साथ मिलकर राष्ट्रीय स्तर की राजनीति को छोड़ कर राजनीति में वापसी की थी और पीडीपी का जन्म हुआ था. इस फैसले में मुफ्ती मुहम्मद सैयद की बेटी महबूबा मुफ्ती का भी बड़ा रोल था. नई पार्टी को पहचान दिलाने में महबूबा ने एक महिला होने की बावजूद कुछ इस तरह काम किया की वो कुछ महीनों में ही एक बड़ी नेता बन के उबरी और अपनी पार्टी को इतना मजबूत किया की मुफ्ती मुहम्मद सैयद जम्मू कश्मीर के दो बार मुखी मंत्री बने और मुफ्ती की मृत्यु के बाद महबूबा भी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंची. 

 

5 अगस्त 2019 केंद्र सरकार के कदम के बाद अनुच्छेद 370 की वापिस की लड़ाई के लिए इकठे हुए और जम्मू कश्मीर के कई राजनीतिक दलों में पीडीपी हमेशा आगे0आगे दिखी है लेकिन जब सीट बटवारे का वक्त आया तो नेकां ने पीडीपी से किनारा कर दिया. पीडीपी अकेली पड़ गई और अपने दल और अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए महबूबा को चुनावी मेदन में खुद कूदना पड़ा.

 

महबूबा मुफ्ती ने पहले कहा था मेरी दिल ख्वाहिश थी कि हम यहां मिल जुल के चले और इसके लिए मैंने पहले से ज्यादा कोशिश की बॉम्बे में भी मैंने कहां कि हमारी जम्मू कश्मीर की सीट का फेस्ला फारूक साहब करेंगे हमे उनके फैसले से बुरा नहीं लगा है. मुझे बुरा यह लगा की उन्होंने हमें पूछना भी जरूरी नहीं समजा हमारी राय लेना भी गवारा नहीं समजा बजाए इसके की हमको बुलाते गेम यह फैसला सुनाते इसे पब्लिकली अनाउंस किया जिसकी वाजा से हमारे लिये कोई रास्ता नहीं बचा क्योंकी हमार वर्कर मायूस और डिमोर्लाइज हो गया जब उसको यह बताया गया की उसकी पीडीपी की जमात खत्म हो गाई है इसका कही नामो निशान नहीं है.

 

2014 में पीडीपी के भाजपा के साथ सरकार बनाने के फैसले के बाद पीडीपी की स्थिति जम्मू कश्मीर में कमजोर होती गई और अनुच्छेद 370 हटने के बाद महबूबा के इस कदम के खिलाफ सख्त स्टैंड के बाद पार्टी से लगभग सभी बड़े नेता या पार्टी छोड़ गये या उनसे पार्टी को छुड़वायागया और आज की तारीख में पीडीपी मतलब महबूबा मुफ़्ती है इस दल के पास अपने अध्यक्ष महबूबा के इलावा कोई बड़ा चहरा नहीं हैं और इल्तिजा जानती हैं कि महबूबा की हार मतलब पीडीपी का खातिमा.

 

इल्तिजा ने क्या कहा

इल्तिजा ने कहा “2019 के बाद महबूबा जी ने बेबाकी से बात की हैं और वो मैदान में उतरी हैं और हर वोट कीमती हैं इसलिए में उनके लिए यहाँ प्रचार करने आई हूँ  उन्हीं ने अपने लोगों की मुश्किलों को काफ़ी उछाल हैं और आज मैंने उनके लिए यहां अनंतनाग से प्रचार की शुरुआत की हैं क्यूकी मुफ़्ती साहब के काफ़ी करीब था .

राजनीतिक जीवन के इस नाज़ुक मोड़ पर फिर इतिहास फिर दोहराता दिख रहा है. बेटी अपनी मां की राजनीतिक जमीन को मजबूत करने के लिए चुनावी संग्राम में कूद पड़ी है. महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती जो अपनी मां की मीडिया सलाहकार भी हैं ने अनंतनाग में डेरा जमा दिया हैं जहां से महबूबा मुफ्ती चुनाव लड़ रही हैं. महबूबा का मुकाबला दो दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद और मियां अल्ताफ से हो रहा है, लेकिन इल्तिजा लोगों को यह समझाने में लगी है की जम्मू कश्मीर के नेता डरे हुए हैं और खुलकर अगर कोई आवाज़ अगर उठती हैं तो वो महबूबा है.

 

इल्तिजा ने आगे कहा "महबूबा जी स्थिति क्या रहेगी यह लोग बताए गे जमहूरियत की सब से अच्छी बात यही होती है की लोग फ़ासेला करते हैं और वो जो भी फ़ैसला लेते हैं वो सर आंखों पर लेकिन मेरी जो जिम्मेदारी है में अपने लोगों से बात कारों उनको समजाओं कि उनका वोट बहुत कीमती है और वो सही आदमी को ही चुने ऐसे को चुने जो उनके लिए अपनी आवाज़ उठाये जो जम्मू कश्मीर के ज़्यादा तर राजनेता हैं वो ढेर हुवे हैं वो बात नहीं करते केवल एक महबूबा जी यहां की राजनेता हैं जिन्होनें अपनी बात बेबाकी से रखी है और लोगों इशू उजागर किए हैं और इसके लिए उन्होंने कीमत भी चुकाई पार्टी भी तोड़ी गई परिवार को भी तंग किया गया और में समझती हूँ लोगों को यह समझना जरूरी हैं की क्यों महबूबा जी दक्षिणी कश्मीर के लिए सही प्रत्याशी है.

 

इल्तिजा भले ही उमर में छोटी हो मगर राजनीतिक समाज और राजनीतिक पैंथरे वो अपने मां से काफी हद तक सिख चुकी है. इल्तिजा ठीक अपनी मां की तरह पीडीपी को मजबूत करने और अपने समर्थकों का हौसला बड़ाने के लिए काम करती दिख रही और पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की जीत को सुनाचित करने के लिए जी जान लगा रही है.

इल्तिजा ने कहा “ यह चुनाव मुश्किल है यह मुझे नहीं पता मगर में इतना जानती हूं यह बहुत जरूरी हैं कुकी 2019 के बाद कोई चुनाव नेगी हुआ है सिवाय बीडीसी के और यह चुनाव जरूरी है कुकी यहां के लोग जिन्होंने इतनी छुपी सदी यह चुनाव उनको एक मोका देगा खुदी एक्सप्रेस करने का जो हुआ यहां पर 270 को गैर कानूनी तौर से हटाया गया तो उस पर लोग अपना फेसला देगे और उनका वोट बहुत महत्व रखता हैं और मुझे यक़ीन हैं लोग बड़ी तादाद में मतदान करेंगे.

एक मंजे राजनेता की तरह इल्तिजा समय की जरूरत को समझते किसी पर आरोप नहीं लगा रही है किस पर उंगली नहीं उठा रही है बस लोगों को इस बात के लिए रिझाने में लगी हैं की महबूबा ही वो आवाज हैं जो उनके मामलों को लेकर संसद गूंज सकेगी.

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा  “गठबंधन में क्या हुआ में उस मैं पड़ना नहीं चाहती मैंने ने अपनी पार्टी के सभी नेताओं और समर्थकों को बैठक में यह कहा कि अभी जम्मू कश्मीर के सारे लोग अजाब में हैं अभी एक दूसरे पर कीचड़ उछालने से कुछ नहीं होगा कुकी हर एक जमात ने कुछ ना कुछ गलती की होती है एक दूसरे पर उंगली उठाने से कुछ नहीं होगा हेम लोगों को समजाना होगा की उनका वोट कीमती है उन्हें कैसे अपना नुमाइंदा सही तरीके से चुना चाहिए ऐसा नुमाइंदा चुने जो सदन में बेबाकी से उनकी बात रख सके.

अब यह महबूबा मुफ्ती की जीत और हार पर निरबर करता है की क्या इल्तिजा महबूबा का रूप लेकर पीडीपी को नाई पहचान दे सकेगी कि नहीं.

 

 

 

 

 

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