Paris Olympic 2024: भारतीय टीम की विजय में MP के विवेक की अहम भूमिका, ध्यानचंद के बेटे से सीखी थीं हॉकी की बारीकियां
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Paris Olympic 2024: भारतीय टीम की विजय में MP के विवेक की अहम भूमिका, ध्यानचंद के बेटे से सीखी थीं हॉकी की बारीकियां

Paris Olympic 2024: भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस 2024 ओलंपिक में 2-1 से स्पेन को हराकर कांस्य पदक जीता, 1972 के बाद लगातार दो ओलंपिक में पोडियम पर जगह बनाई. बता दें कि मध्यप्रदेश के विवेक सागर की महत्वपूर्ण भूमिका रही.

Paris Olympic 2024

Paris Olympic 2024: भारतीय हॉकी टीम ने एक ऐसी उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है जिसे दोहराने में पांच दशक से अधिक का समय लगा है. पेरिस 2024 ओलंपिक में स्पेन के खिलाफ 2-1 की जीत के साथ भारत ने न केवल पुरुष हॉकी में कांस्य पदक प्राप्त किया, बल्कि 1972 के बाद पहली बार लगातार दो ओलंपिक में पोडियम पर जगह बनाई. यह ऐतिहासिक सफलता तीन साल पहले टोक्यो में टीम की रोमांचक वापसी के बाद मिली, जहां उन्होंने 1-3 की कमी को दूर करते हुए 5-4 से जीत दर्ज की और तीसरा स्थान प्राप्त किया था. बता दें कि लगातार ओलंपिक में इस सफलता को दोहराना एक इतिहास बन गया है.

पेरिस में इतिहास रचने वाली इस टीम में मध्यप्रदेश के खिलाड़ी विवेक सागर भी शामिल हैं, जो नर्मदापुरम जिले के इटारसी के पास चांदौन गांव के निवासी हैं. विवेक ने दूसरी बार ओलंपिक खेला, और इस जीत में उनकी अहम भूमिका रही. इस टूर्नामेंट के दौरान सेंटर फारवर्ड विवेक सागर का भी टीम की जीत में अहम योगदान रहा. भारतीय टीम की जीत के बाद इटारसी में लोगों में काफी उत्साह का माहौल है. भारत के कांस्य पदक जीतने के बाद चांदोन में विवेक के घर पर लोगों जश्न में डूब गए हैं.

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ध्यानचंद के बेटे ने सिखाईं थी हॉकी की बारीकियां 
बता दें कि विवेक सागर ने एक साक्षात्कार में बताया था कि 2015 में, जब अशोक ध्यानचंद ऑल इंडिया हॉकी टूर्नामेंट फाइनल मैच देखने अकोला गए थे, तब उनकी नजर मुझ पर पड़ी. उस समय टीकमगढ़ और महाराष्ट्र की टीम के बीच मैच चल रहा था. अशोक दद्दा ने मुझे लेफ्ट हाथ में हॉकी लेकर दमदार खेलते हुए देखा और मेरी प्रतिभा को पहचाना. उन्होंने मुझे मध्य प्रदेश राज्य पुरुष हॉकी अकादमी (Madhya Pradesh State Men's Hockey Academy) में प्रवेश दिलाकर हॉकी की बारीकियां सिखाईं. विवेक ने कहा था कि हीरे की पहचान केवल जौहरी ही कर सकता है और हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद ने उसे समय पर मुझे पहचान लिया था.

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