MP News: आज हम आपको मध्य प्रदेश में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मन्नत पूरी होने पर लोगों को आग के अंगारों पर चलना पड़ता है. आइए जानते हैं कहां होती है ये अजीबोगरीब परंपरा...?
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Sagar News: भारत विविधताओं वाला देश है और इस देश में चमत्कार और विश्वास का अजीब मिश्रण है. ये आस्था कल परसों से नहीं बल्कि सदियों से लोगों के जहन में रची बसी है. एक ऐसी ही आस्था और विश्वास का नजारा मध्य प्रदेश के सागर जिले में देखने को मिलता है. जहां एक मंदिर में लोग मन्नत मांगते हैं. जब भक्तों की मन्नत पूरी हो जाती है तो वे इस मंदिर में आते हैं. फिर यहां की परंपरानुसार दहकते अंगारों पर चलकर भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और विश्वास का प्रदर्शन करते हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं, सागर जिले के देवरी में स्थित खंडेराव मंदिर की. इस मंदिर में करीब चार सौ सालों से अग्नि कुम्भ मेला का आयोजन किया जा रहा है. मान्यताओं के मुताबिक खंडेराव जी के मंदिर में लोग जो भी मुराद लेकर जातें हैं, वो पूरी होती है. परंपरा के मुताबिक, जब दरबार से मांगी मुराद पूरी हो जाती है तो हर साल लगने वाले अंग्नि कुंड मेले में लोग दहकते अंगारों में से नंगे पैर चलते हैं.
पैरों पर नहीं आते जलने के निशान
इस जगह का प्रताप है कि इन अंगारों के ऊपर से निकलने के बाद भी किसी के पैरों में जलने के एक निशान भी नहीं आता. साल भर इस मंदिर में देश के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालु आते हैं. अपनी मनोकामना पूरी करने की मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने पर यहां 9 दिनों तक लगने वाले अग्नि कुंड मेले में लोग शामिल होते हैं.
जानिए क्या बोले भक्त
यहां लगने वाला अग्नि कुंभ मेला 09 दिनों तक चलता है. इस दौरान यहां आकर बने अग्नि कुंड में लोग दहकते अंगारों में नंगे पैर निकलते हैं. इस साल यह अग्नि कुंड मेला शनिवार से शुरू हुआ है. जो 15 दिसंबर तक चलेगा. इन 9 दिनों में हर दिन हजारों की संख्या में लोग खंडेराव जी के दरबार मे हाजिरी लगाने पहुंचते हैं. इस बार मेले के पहले ही दिन 131 लोगो ने मन्नत पूरी होने के बाद दहकते अंगारों पर चलकर अपनी श्रद्धा जाहिर की.
इस मंदिर पर आए भक्तों के मुताबिक उन्होंने जो मांगा था, वो उन्हें साल भर के भीतर मिल गया और वो इन दिनों का इंतजार कर रहे थे. जैसे ही ये मुहूर्त आया वो यहां चले आये. मंदिर के व्यवस्थापक के मुताबिक ये 400 साल पुरानी परंपरा है. जो यहां निभाई जा रही है और इन चार सौ सालों में करोड़ों अरबों लोगों ने यहां से बहुत कुछ पाया और इन अंगारों पर चलकर उन्होंने कृतज्ञता ज्ञापित की है.
रिपोर्ट- महेंद्र दुबे, सागर
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