छत्तीसगढ़ में बढ़ते धर्मांतरण के मामलों के बीच आदिवासी गोंड समाज ने एक नया फरमान जारी किया है. जिसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति धर्म परिवर्तन करता है तो उसका समाज पूरी तरह से बहिष्कार करेगा और अंतिम संस्कार के लिए जमीन भी नहीं देगा.
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दुर्ग/हितेश शर्मा: सभ्यता संस्कृति का परिचायक आदिवासी समाज अब बदल रहा है. छत्तीसगढ़ में संस्कृति का आधार आदिवासी गोंड समाज ने एक नया ऐलान किया है. ऐलान भी ऐसा जिसे सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे. छत्तीसगढ़ प्रदेश समेत देश के 7 राज्यों और 17 महासभाओ के प्रतिनिधियों ने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए एक बड़ा फैसला लिया है. जिसके मुताबिक यदि कोई आदिवासी व्यक्ति दूसरे धर्मों को अपनाता है या फिर स्वेच्छा से धर्मांतरण भी करता है तो उसके साथ समाज द्वारा किसी भी प्रकार का सामाजिक पारिवारिक संबंध नहीं रखा जाएगा.
दरअसल केंद्रीय गोंड महासभा धमधा गढ़ की अगुवाई में कचना गुरुवा ठाकुर देवालय में महाधिवेशन का आयोजन किया गया. जिसमें पूरे देश भर के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इन फैसलों के अनुरूप यदि कोई आदिवासी व्यक्ति दूसरे धर्मों को अपनाता है या फिर स्वेच्छा से धर्मांतरण भी करता है तो उसके साथ समाज द्वारा किसी भी प्रकार का सामाजिक पारिवारिक संबंध नहीं रखा जाएगा और तो और इतना ही नहीं धर्मांतरित हुए परिवार से किसी भी प्रकार का कोई संबंध समाज को कोई भी व्यक्ति नहीं रखेगा. उसके घर में किसी भी प्रकार की मृत्यु होने पर उसके कफन दफन से भी दूर रहेगा और स्थानीय समाज के श्मशान में ऐसे शब्द व्यक्ति को जलाने दफनाने भी नहीं दिया जाएगा. यानी मृत्यु होने पर शव को दफनाने के लिए उसे जगह भी नहीं दी जाएगी.
धर्मांतरण को रोकने आगे आना होगा
समाज के केंद्रीय महासभा के अध्यक्ष एमडी ठाकुर ने zee मीडिया से एक्सक्लूसिव बात करते हुए कहा कि वर्तमान में सबसे ज्यादा धर्मांतरण आदि आदिवासी समाज के लोगों का ही किया जा रहा है. भोले-भाले आदिवासियों को बहला-फुसलाकर उनका धर्मांतरण कर दिया जाता है. जिससे यह समाज की मुख्यधारा से कट जाते हैं. समाज की रीती संस्कृति संस्कार और सभ्यता से कट जाते हैं. जिसका नुकसान आने वाली पीढ़ी के साथ-साथ वर्तमान में भी समाज को हो रहा है. धर्मांतरण को कैसे रोका जाए इसके लिए समाज को ही आगे आना होगा और जब तक समाज को ठोस कदम नहीं उठाएगा तब तक धर्मांतरण रुकेगा ही नहीं तभी समाज के द्वारा इस तरह के कठोर नियम लागू किए हैं और यह कदम उठाए गए हैं.
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एमडी ठाकुर ने आगे कहा कि धर्मान्तरित होने वाले व्यक्ति समाज के नियमों को नहीं मानता. देवी देवताओं को नहीं मानता इतना ही नहीं पूर्व में किसी कारणवश धर्मान्तरित हो चुके आदिवासी समाज का यदि कोई व्यक्ति वापस धर्म में लौटना चाहता है तो उसके लिए भी एक वैकल्पिक व्यवस्था रखी गई है. वह व्यक्ति स्वीकार किए गए धर्म को छोड़कर वापस आदिवासी समाज में शामिल हो सकता है.
वहीं मृत्यु पर श्मशान और कब्रिस्तान में जगह नहीं दिए जाने के सवाल पर महासभा के केंद्रीय अध्यक्ष एमडी ठाकुर ने कहा कि जो व्यक्ति ईसाई हो गया है, उसे ईसाइयों के कब्रिस्तान में दफनाया जाए, जो मुसलमान हो गया है वह मुसलमान के कब्रिस्तान में दफनाया जाए. उसे हम अपने कब्रिस्तान यह शमशान में स्थान नहीं देंगे. यदि धर्मान्तरित व्यक्ति को मरने के बाद जगह चाहिए तो वे अपने लिए अलग से कब्रिस्तान के लिए शासन से मांग करें.
बस्तर में सबसे ज्यादा धर्मांतरण
एमडी ठाकुर ने यह भी कहा कि आज बस्तर में सबसे ज्यादा धर्मांतरण हो रहा है. आदिवासियों को लोभ और लालच देकर धर्म अंतरित करवाया जा रहा है. इसलिए समाज के मुख्य गणों को आवाज उठाना पड़ रहा है और कड़ा नियम लाना पड़ रहा है. यदि इस तरह से कड़ा नियम लागू नहीं होगा तो समाज नहीं बचेगा तो वहीं जो व्यक्ति अब समाज में वापस मिलना चाहते हैं. उनका भी समाज स्वागत कर रहा है. ऐसे लोगों को आदिवासी देव देवी देवताओं के सामने विशेष पूजा पाठ करवा कर उनकी घर वापसी कराई जा रही है. और कई ऐसे लोग भी है जो वापस अपने मूल जाति में लौट रहे हैं.