MP News: रतलाम के एक मदरसे में 60 बच्चियां केवल धार्मिक शिक्षा पर निर्भर हैं और स्कूली शिक्षा से वंचित हैं. मदरसे का एमपी मदरसा बोर्ड से पंजीयन नहीं है. बाल आयोग की सदस्य ने निरीक्षण के दौरान गंभीर लापरवाहियां पाईं. एडीएम ने सुधार के निर्देश दिए हैं.
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Ratlam News: मध्य प्रदेश में मदरसों को लेकर लगातार अनियमितताएं सामने आ रही हैं और बड़ी कार्रवाईयां भी हो रही हैं. अब मदरसे को लेकर बड़ी अनियमितता रतलाम के एक मदरसे से सामने आई है. जहां 9 से 12 वर्ष उम्र की 60 बच्चियां स्कूली शिक्षा नहीं ले रही थीं, उन्हें सिर्फ मजहबी तालीम दी जा रही है. वहीं, इस मदरसे का एमपी मदरसा बोर्ड से पंजीयन नहीं है. ऐसे में यह मदरसा केवल समिति द्वारा संचालित हो रहा था.
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जानिए पूरा मामला?
दरअसल, 3 दिन पहले भोपाल से बाल संरक्षण आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा रतलाम आई थीं और रतलाम के खाचरोड रोड स्थित दारुल उलूम आयशा सिद्धिका लीलबनात मदरसा का औचक निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान बड़ी लापरवाहियां बाल संरक्षण आयोग की सदस्य निवेदिता शर्मा ने पाया कि बाल आयोग सदस्य के अनुसार रतलाम का दारुल उलूम आयशा सिद्धिका लीलबनात मदरसा का एमपी मदरसा बोर्ड से पंजीयन नहीं है. वहीं, उनके निरीक्षण के दौरान यहां मदरसा के हॉस्टल में 100 बच्चियां रह रही थीं और इनमें से 60 बच्चियां केवल मुस्लिम तालीम हासिल कर रही थीं. ये 60 बच्चियां स्कूली शिक्षा नहीं ले रही थीं, और इस मदरसे में रतलाम के अलावा उज्जैन, इंदौर और अन्य जिलों से भी बच्चियां यहां मदरसे में ही रह रही थीं. बाल आयोग की महिला सदस्य ने यहां बड़ी लापरवाही भी पाई. मदरसा हॉस्टल में जहां बच्चियां सोती थीं, वहां भी कैमरे लगा दिए गए थे. वहीं, महिला केयर टेकर नहीं पा.
प्रशासन की कार्रवाई
शनिवार को रतलाम एडीएम शालिनी श्रीवास्तव मदरसे पहुंची और मामले की जांच की, जिसमें कैमरे बच्चियों के कमरे से हटाए जाने की बात कही. वहीं बड़ी संख्या में मदरसे की बच्चियां स्कूली शिक्षा से वंचित पाई गईं, इसे लेकर भी निर्देश दिए गए कि इनकी स्कूली शिक्षा की व्यवस्था की जाए. एमपी मदरसा बोर्ड से भी पंजीयन नहीं पाया गया. एडीएम ने बताया कि अभी दस्तावेज़ों की जांच की जा रही है और क्या नियमितता है, जांच के बाद ही बता पाएंगे.
मदरसा समिति की प्रतिक्रिया
इधर मदरसा समिति के अध्यक्ष मोहम्मद आसिफ ने भी अनियमितताओं को स्वीकारा और बताया कि कैमरे हमने बच्चियों के कमरे से हटा लिए हैं. एमपी मदरसा बोर्ड से पंजीयन नहीं है क्योंकि पोर्टल बंद है. वहीं, बच्चियों को शिक्षा से वंचित रहने की बात भी स्वीकार की और कहा कि अब स्कूल में दाखिला दिलवाएंगे, लेकिन महिला केयर टेकर को लेकर कहा कि यहां महिला है जो दिन और रात दोनों समय देखरेख के लिए मौजूद रहती है.
बता दें कि पूरे मामले में मदरसे पर उठे सवालों से पर्दा हट गया है. अनियमितताएं सामने आ गई हैं. कैमरे बच्चियों के सोने वाले कमरे में लगाए गए थे, जो उचित नहीं है. वहीं, बड़ी संख्या में बच्चियों को सिर्फ मुस्लिम धार्मिक तालीम देना और स्कूली शिक्षा से वंचित रखना सरासर गलत है. बगैर मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड से पंजीयन के संचालित किया जाना कितना ठीक है, इन सभी को लेकर मदरसे की हुई है. अब देखना होगा कि इसमें प्रशासन कोई कार्रवाई करता है या नहीं.
रिपोर्ट: चन्द्रशेखर सोलंकी (रतलाम)