छत्तीसगढ़ में पेसा कानून लागू हो गया लेकिन बस्तर में आज भी आदिवासी अपने जमीन को गैर आदिवासियों द्वारा कब्जाने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
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पवन दुर्गम/बीजापुर: कहने को छत्तीसगढ़ में पेसा कानून लागू हो गया लेकिन बस्तर में आज भी आदिवासी अपने जमीन को गैर आदिवासियों द्वारा कब्जाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. दर्जनों मामले हैं जिसमें रसूखदार आदिवासी की जमीन हड़प लेते हैं. ताजा मामला बीजापुर जिला मुख्यालय से लगे धनोरा पंचायत के आश्रित गांव रेंगानार का है. यहां रेंगानार निवासी जेम्स कुडियम ने एक सरकारी मुलाजिम लिपिक सलीम हाई के ख़िलाफ़ कलेक्टर को लिखित शिकायत किया है कि उसकी जमीन को सलीम हाई ने अपने रसूख के बल पर अपने नाम करवा लिया है.
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ग्रामीणों का आरोप है कि सलीम हाई का कोई वजूद रेंगानार में नहीं है, वे बीजापुर निवासी हैं और सरकारी कर्मचारी भी ऐसे में किस आधार पर अधिकारियों ने 420 करते पट्टा सलीम हाई को जारी कर दिया. जेम्स कुडियम और ग्रामीण पट्टा निरस्त करने की मांग कर रहे हैं. इसको लेकर गांव में ग्रामसभा बुलाकर बड़ी संख्या में कलेक्टर कार्यालय में धरना देने का भी निर्णय लिया गया है.
इधर जेम्स कुडियम के आरोपों पर सरकारी लिपिक सलीम हाई ने प्रेसवार्ता बुलाकर अपनी सफाई देते अपने को पाक साफ बताया है. सलीम हाई ने जेम्स कुडियम पर उनकी छवि खराब करने के मामले में मानहानि का दावा करने की चेतावनी दे डाली. साथ ही अपने खिलाफ ही मीडिया को सबूत दे बैठे. सलीम हाई वर्ष 2001 से लिपिक के पद पर पदस्थ हैं, 2008 में उन्हें व्यवस्थापन के तहत जमीन का पट्टा मिला है. जबकि सरकारी नौकरी करते जमीन कब्जाने और पट्टा कराने के मामले में छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1966 का घोर उल्लंघन है. जिस पर तत्काल कार्रवाई करते जमीन का पट्टा निरस्त किया जाना चाहिए था.
इस पूरे मामले में बीजापुर कलेक्टर राजेन्द्र काटारा ने बताया कि शिकायत उनके पास आई है. एसडीएम को जांच के लिए निर्देशित किया गया है. जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.
मुख्य बिंदु...
1. सरकारी कर्मचारी कैसे सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर सकता है? किस आधार पर तात्कालीन तहसीलदार, आरआई और पटवारी ने दस्तावेजों का सत्यापन किया.
2. धनोरा पंचायत के रेंगानार में सलीम हाई कभी रहा है नहीं, उसके पीढ़ियों में वहां कोई निवासरत ही नहीं था. कोई वजूद गांव में नहीं था तो किस आधार पर जमीन का पट्टा दिया गया?
3. जिस आदिवासी जेम्स कुडियम की जमीन ऑफलाइन दस्तावेजों में खसरा नंबर 149/2 में अंकित थी. वहीं खसरा नंबर ऑनलाइन गैर आदिवासी सलीम हाई के नाम से अंकित है, विभागीय मिलीभगत के असंभव है!
4. बिना अनुमति सरकारी कर्मचारी का प्रेसवार्ता करना सिविल सेवा आचरण नियमों का सीधा उल्लंघन हैं, मगर विभाग द्वारा कार्यवाही नहीं करना कई संदेह को जाम देता है.
5. शासकीय भूमि पर शासकीय कर्मचारी द्वारा अतिक्रमण और कूटरचना करके दातावेज बनाना सिविल सेवा आचरण नियमों का सीधा उल्लंघन हैं. जिस पर कार्रवाई नहीं होना भी संदेह के घेरे में है.