Deori Vidhan Sabha Seat: देवरी से कांग्रेस के हर्ष यादव दो बार से विधायक चुने जा रहे हैं. इस बार भाजपा ने कांग्रेस छोड़ पार्टी में शामिल हुए बृजबिहारी पटैरिया को टिकट दिया है. पटैरिया यहां से 1998 में कांग्रेस से विधायक चुने गए थे. अब देखना होगा कि जनता किस पर अपना विश्वास दिखाएगी.
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Deori Vidhan Sabha Seat: सागर जिले की देवरी विधानसभा सीट कांग्रेस के अंतर्गत आती है. ये सीट इसलिए भी अहम हो जाती है क्योंकि यहां पिछले दो चुनावों से कांग्रेस चुनाव जीत रही है. कांग्रेस के हर्ष यादव यहां से लगातार 2 बार से विधायक चुने जा रहे हैं. इस सीट पर आदिवासी और लोधी समाज के वोटर यहां का गणित बदलते रहे हैं जो कि 2023 में देखना महत्वपूर्ण होगा कि जनता किस ओर अपना झुकाव दिखाएगी.
देवरी विधानसभा में 10 साल से कांग्रेस
देवरी सीट पर कांग्रेस के हर्ष यादव 10 साल से विधायक है. इस सीट पर आदिवासी और लोधी समाज का दबदबा है, इसलिए यही निर्णायक भूमिका निभाते हैं. आदिवासी पर कांग्रेस की पकड़ मजबूत है इसलिए भाजपा की यहां राह आसान नहीं होने वाली हैं. भाजपा ने यहां से कांग्रेस से आए बृजबिहारी पटैरिया को टिकट दिया है. अब ये देखना भी दिलचस्प होगा कि जनता किसे चुनती है.
देवरी का समीकरण
देवरी विधानसभा तीन इलाकों में विभाजित हैं, इसमें केसली क्षेत्र आदिवासी बहुतायत में है, वहीं देवरी और गौरझामर क्षेत्र में लोधी, यादव, और ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या अधिक है. 2011 की जनगणना के मुताबिक देवरी सीट पर 13.4 फीसदी एससी वोटर है, वहीं एसटी मतदाताओं की संख्या करीब 24 फीसदी है. देवरी विधानसभा में वर्तमान में करीब 2 लाख से अधिक मतदाता मौजूद हैं.
देवरी विधानसभा का राजनीतिक इतिहास
1957 बाला प्रसाद मिश्रा, कांग्रेस
1962 कृष्ण कुमार गौरी शंकर, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी
1967 पी राम, जनसंघ
1977 द्वारका प्रसाद कटारे, कांग्रेस
1977 परसराम साहू, जनता पार्टी
1980 परसराम साहू, भाजपा
1985 भागवत सिंह, कांग्रेस
1990 परसराम साहू, भाजपा
1993 सुनील जैन, कांग्रेस
1998 बृज बिहारी पटैरिया, कांग्रेस
2003 रतन सिंह सिलारपुर, भाजपा
2008 भानु राणा, भाजपा
2013 हर्ष यादव, कांग्रेस
2018 हर्ष यादव, कांग्रेस
भाजपा का दलबदल वाला दांव
दरअसल, ब्रजबिहारी पटैरिया 1998 में देवरी सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे. लेकिन 2008 में पटैरिया चुनाव हार गए थे। 2013 में कांग्रेस ने उनको रहली से चुनाव लड़ाया, लेकिन उन्हें यहां भी हार का सामना करना पड़ा था. चुनाव से 9 महीने पहले ही वह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए. जहां बीजेपी ने दूसरी सूची में उन्हें टिकट दिया है.