आज भाजपा को मध्यप्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में, जिस हालत में है पहले कभी नहीं हुआ करती थी. आज केंद्र के साथ देशभर के ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकार है. ऐसा चुटकी बजाने में नहीं हुआ. इसके पीछ कई लोगों के जिंदगी भर की मेहनत हैं.
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श्यामदत्त चतुर्वेदी। Kushabhau Thakre Death Anniversary: आज भाजपा को मध्यप्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में, जिस हालत में है पहले कभी नहीं हुआ करती थी. आज केंद्र के साथ देशभर के ज्यादातर राज्यों में भाजपा की सरकार है. ऐसा चुटकी बजाने में नहीं हुआ. इसके पीछ कई लोगों के जिंदगी भर की मेहनत हैं. इन्हीं लोगों में से एक हैं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पार्टी के पितृ पुरुष कहे जाने वाले कुशाभाऊ ठाकरे. आज उनकी पुण्यतिथी है. इस मौके पर हम आपको कुछ जानकारी साझा कर रहे हैं, जिससे आपको इंदिरा गांधी के आगे भी उनके का अनुमान हो जाएगा.
इंदिरा गांधी ने बहाए थे पसीने
कुशाभाऊ ठाकरे 1979 में खंडवा लोकसभा उपचुनाव जीतकर संसद भी पहुंचे. उस समय उन्हें हराने के लिए इंदिरा गांधी ने अपना पूरा दम लगा दिया था. कांग्रेस प्रत्याशी शिवकुमार सिंह के पक्ष में प्रचार करने के लिए इंदिरा दिल्ली से मध्य प्रदेश पहुंच गईं थीं. वो दिल्ली से भोपाल पहुंची थीं, लेकिन वहां से खंडवा जाने के लिए उन्हें हेलीकॉप्टर नहीं मिल पाया. जिसके बाद वह ट्रेन से भोपाल से होशंगाबाद गईं. इसके बाद उन्होंने खंडवा, बुरहानपुर, मंधाता के गांवों का दौरा किया. हालांकि, इंदिरा गांधी के इतने पसीना बहाने के बाद भी कांग्रेस के शिवकुमार सिंह को कुशाभाऊ ठाकरे ने हरा दिया था.
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संघ में निभाई थी बड़ी जिम्मेदारियां
कुशाभाऊ ठाकरे का जन्म 19 अगस्त 1922 को धार में हुआ था. स्कूली शिक्षा धार में हुई थी. 1942 में वो RSS में शामिल हुए. रतलाम डिवीजन में प्रचारक के रूप में काम किया. उस समय रतलाम डिवीजन में रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, झाबुआ, चित्तूर, कोटा, बूंदी, झालावाड़, बांसवाड़ा, दाहोद आदि जिले आते थे. राज्य पुनर्गठन के बाद ठाकरे को संघ ने उज्जैन डिवीजन के संघ प्रचारक की जिम्मेदारी दी थी.
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संघ से शुरू कर बने बीजेपी के अध्यक्ष
कुशाभाऊ ठाकरे संघ से जुड़े होने के कारण जनसंघ, जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में काम किया. उन्होंने यहां एक कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की और टॉप पोजीशन तक पहुंचे. साल 1998 में कुशाभाऊ ठाकरे को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. वो इस पद में करीब 2 साल रहे और अगस्त 2000 में इस्तीफा दे दिया. अपने राजनीतिक जीवन में उन्होंने पार्टी के लिए इतना काम किया की उन्हें पितृ पुरुष तक कहा जाने लगा.
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81 वर्ष की आयु में हुआ स्वर्गवास
कुशाभाऊ ठाकरे का निधन 28 दिसंबर 2003 को 81 वर्ष की आयु में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,दिल्ली (All India Institute of Medical Sciences, Delhi) में हुआ था. बता दें कि किडनी के कैंसर से पीड़ित होने के कारण वे लंबे समय से बीमार थे.
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