Kheti Kisani: ठंड से राहत किसानों की आफत! अचानक बढ़े पारे से इन फसलों को होगा नुकसान
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Kheti Kisani: ठंड से राहत किसानों की आफत! अचानक बढ़े पारे से इन फसलों को होगा नुकसान

Kheti Kisani: मध्य प्रदेश में इन दिनों ठंड से राहत (Relief from Cold) मिल गई है. लेकिन, अचानक तापमान बढ़ने से किसानों की टेंशन (Trouble For Farmers) बढ़ गई है. रबी की फसल (Rabi Crop) यानी सरसों, गेहूं और चना की फसलों को नुकसान की आशंका जताई जा रही है.

Kheti Kisani: ठंड से राहत किसानों की आफत! अचानक बढ़े पारे से इन फसलों को होगा नुकसान

Kheti Kisani: भोपाल। पिछले कुछ दिनों से कोई सिस्टम एक्टिव न होने के कारण मध्य प्रदेश में पारा लगातार चढ़ रहा है. अचानक तापमान बढ़ने और धूप खिलने के कारण ठंड से राहत (Relief from Cold) तो मिली है. लेकिन, किसानों की चिंता (Trouble For Farmers) बढ़ गई है. दिन के समय तेज धूप और पारे में 7 से 8 डिग्री की बढ़ोतरी वाला ये मौसम रबी की फसल (Rabi Crop) गेहूं को नुकसान पहुंच सकता है. हालांकि, सरसों, चना और मटर की फसल के लिए मौसम अनुकूल है.

सर्दी के विदाई के साथ तेज धूप और गर्मी
प्रदेश में अब सर्दी की विदाई होने लगी है. पिछले एक हफ्ते से लगातार निकल रही तेज धूप और कोई सिस्टम सक्रिय न होने के कारण दिन और रात का तापमान बढ़ रहा है. जिससे दिन में तो ठंड पूरी तरह से लगभग गायब हो गई है. हालांकि, रात में थोड़ी ठंड़क मेहसूस की जा रही है. ऐसे में फूल की अवस्था में पहुंचे गेंहू को दाना कमजोर पड़ सकता है. इसका असर कुल उत्पादन पर दिखेगा.

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गर्मी पड़ी तो कमजोर होंगे दाने
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, प्रदेश भर में बोई गेहूं की फसल इन दिनों फूल की अवस्था में है. अगर इस समय ज्यादा गर्मी पड़ी तो इसके फूल मुरझा जाएंगे या कमजोर होंगे. इससे दानें कमजोर पड़ेगे और उपज कम होगी. हालांकि, मौसम में हो रहे इस बदलाव का चना, मटर और सरसों की फसल पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा. बल्कि तेज धूप से इनमें लगने वाले कीट रोग खत्म हो जाएंगे. इससे इनका उत्पादन बढ़ सकता है.

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बोनी के साथ ही बढ़ी नुकसान की आशंका
बता दें मध्य प्रदेश में रबी फसल लगभग 139.06 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है. इसमें से इसमें प्रमुख रबी फसल गेहूं लगभग 90 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है. इसके अलावा चने की बोनी करीब 21 लाख हेक्टेयर में की जाती है. इसके अलावा मटर 2.54 लाख और मसूर करीब 6.56 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है. ऐसे में इस साल गेंहू का रकवा बढ़ने के बाद भी मौसम में आ रहे बदलावों के कारण नुकासान का आशंका बढ़ गई है.

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