MP में ठेले पर सिस्टम! हाथ से खींचकर घर ले गए आदिवासी मजदूर का शव, अधूरी रही एम्बुलेंस की मिन्नतें
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MP में ठेले पर सिस्टम! हाथ से खींचकर घर ले गए आदिवासी मजदूर का शव, अधूरी रही एम्बुलेंस की मिन्नतें

मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था (MP Health Care) का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जिला अस्पताल में एक आदिवासी मजदूर (Adivasi Labour) की मौत हो जाती है, लेकिन उसे शव वाहन (Ambulance) नहीं मिलता है तो परिजन ठेले पर उसका शव लेकर जाते है.

MP में ठेले पर सिस्टम! हाथ से खींचकर घर ले गए आदिवासी मजदूर का शव, अधूरी रही एम्बुलेंस की मिन्नतें

राजकुमार जयसवाल/सीधी: मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था (MP Health Care) का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जिला अस्पताल में एक आदिवासी मजदूर (Adivasi Labour) की मौत हो जाती है, लेकिन उसे शव वाहन (Ambulance) नहीं मिलता है तो परिजन ठेले पर उसका शव लेकर जाते है. शर्मसार कर देने वाला सीधी जिले का है.

बता दें कि जिले के थानाहबा टोला का निवासी अशोक कोल 40 वर्ष कोतवाली थानान्तर्गत इन्द्रानगर में किराये के मकान में रहकर मजदूरी करता था. जिसकी बीती रात ज्यादा तबियत खराब होने पर जिला अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया. जहां अचानक स्वास्थ्य ज्यादा खराब होने के चलते उसकी मौत हो गई थी.

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जिला अस्पताल में उल्टी का इलाज नहीं
मृतक के परिजनों ने बताया गया कि अशोक कोल को उल्टी की शिकायत थी. जिसके उपचार के लिए जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उपचार की व्यवस्था भी बेहतर नहीं थी. जिसके चलते उनकी मौत हो गई. शर्मसार करने वाली बात यह है कि एक तरफ केन्द्र व प्रदेश सरकार आदिवासियों को लेकर तरह-तरह की नित नई योजनाओं के अलावा उन तमाम सुविधाओं को उपलब्ध कराने का दावा कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि गरीब व आदिवासी आज भी मौलिक सुविधाओं के लिए मोहताज है.

अस्पताल से हाथ ठेले में ले गए शव
मृतक अशोक कोल के परिजनों ने बताया कि अशोक की मृत्यु उपरांत शव घर ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन से वाहन की मांग की गई थी. जिनके द्वारा काफी देर तक इधर उधर गुमराह कर इंतजार कराया गया लेकिन वाहन नहीं मिला. तब परिजनों की सहमति से शव को हाथ ठेले में रखकर घर ले गए है.

हालांकि सीधी जिले में शव को कंधे में अथवा हाथ ठेले में रखकर ले जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके पहले भी इस तरह के दर्जनों मामले सामने आ चुके है. बावजूद इसके जिला प्रशासन एवं अस्पताल प्रबंधन इस मामले को लेकर गंभीर नहीं है.

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