इंदौर जिला न्यायालय द्वारा पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) में कार्रवाई करते हुए पहली बार किसी लड़की को सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने ये फैसला 2018 के मामले को लेकर सुनाया है.
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इंदौर: इंदौर जिला न्यायालय द्वारा पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) में कार्रवाई करते हुए पहली बार किसी लड़की को सजा सुनाई गई है. आरोपी युवती द्वारा मासूम को घर से बहला-फुसलाकर दूसरे राज्य ले जाया गया था. जहां उससे मजदूरी कराने के साथ-साथ उसके साथ कई बार यौन शोषण भी किया जाता था. बालक अपने परिवार से मिल नहीं पा रहा था.
दरअसल ये मामला 2018 का है. तब एक नाबालिग बच्चा काफी दिनों से लापता था. लगातार तलाश के बाद भी जब उन्हे बच्चा नहीं मिला तो वो थाने गए. परिवार ने बाणगंगा थाने में लापता बच्चे की गुमशुदगी दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस ने बच्चे की तलाश शुरू की. किसी तरह से लापता बच्चे का पता लगा तो उसे इंदौर लाया गया. जिसके बाद पुलिस ने नाबालिग लड़के से बात की.
गुजरात ले गई थी युवती
पुलिस की पूछताछ में उन्हें पूरी घटना का पता चला. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पीड़ित ने बताया कि घूमने चलने का बोलकर अपने साथ गुजरात ले गई थी. वहां युवती ने उसे कई बार शारीरिक संबंध बनाके के लिए भी मजबूर किया था. इसके अलावा उसका फोन भी अपने पास रख लिया ताकि मैं माता-पिता से बात न कर पाउं.
10 साल की सश्रम सजा
पुलिस ने एक्शन लेते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया. मामला कोर्ट में विचाराधीन था, जिस पर कोर्ट ने अब फैसला सुनाया है. इंदौर में विशेष न्यायाधीश ने आरोपी युवती को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. नाबालिग लड़के के शारीरिक शोषण में पॉक्सो एक्ट में कोर्ट ने पहली बार किसी युवती को सजा सुनाई है. युवती की उम्र 19 साल बताई जा रही है.
क्या होता है पॉक्सो एक्ट?
दरअसल किसी भी नाबालिग यानी 18 साल से कम उम्र के बच्चे का शारीरिक शोषण पॉक्सो एक्ट के दायरे में आता है. यह कानून नाबालिग लड़का और लड़की दोनों को न सिर्फ बचाता है, बल्कि इनकी सुनवाई भी स्पेशल कोर्ट में होती है. पॉक्सों एक्ट के तहत बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हरासमेंट और पोर्नोंग्राफी जैसे अपराध से प्रोटेक्ट किया जाता है.