डॉक्टर के बिना नर्स ने कराया प्रसव, नवजात ने पेट में तोड़ा दम, जानिए मामला
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डॉक्टर के बिना नर्स ने कराया प्रसव, नवजात ने पेट में तोड़ा दम, जानिए मामला

दुर्ग ज़िले के भिलाई स्थित लाल बहादुर शास्त्री शासकीय अस्पताल सुपेला में नर्स की लापरवाही ने एक नवजात बच्चे की जान ले ली. परिजनों ने आरोप लगाया है कि नर्स ने जबरदस्ती क्रिटिकल केस होने के बाद भी जबरदस्ती नॉर्मल डिलीवरी करनी चाही.

डॉक्टर के बिना नर्स ने कराया प्रसव, नवजात ने पेट में तोड़ा दम, जानिए मामला

हितेश शर्मा/दुर्ग: दुर्ग ज़िले के भिलाई स्थित लाल बहादुर शास्त्री शासकीय अस्पताल सुपेला में नर्स की लापरवाही ने एक नवजात बच्चे की जान ले ली. परिजनों ने आरोप लगाया है कि नर्स ने जबरदस्ती क्रिटिकल केस होने के बाद भी जबरदस्ती नॉर्मल डिलीवरी करनी चाही. उसने प्रसूता को दर्द के इंजेक्शन देने के साथ पेट को इतना पुश किया कि बच्चे की मौत हो गई. अस्पताल प्रबंधन ने मामले की जांच करने की बात कही है.

दरअसल भिलाई तीन चरोदा के उमेश कुमार रवानी की पत्नी संतोषी रवानी को नौवां महीना चल रहा था. उसने उसे 29 मार्च को लाल बहादुर शास्त्री सरकारी अस्पताल सुपेला में भर्ती कराया था. सभी जांच के बाद डॉक्टरों ने संतोषी को प्रसूता वार्ड में दाखिल कर लिया. लेकिन अचानक संतोषी को लेबर पेन होने लगा.

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मौत के बाद रेफर किया
दर्द की वजह से नर्स ने संतोषी को दर्द के इंजेक्शन लगा दिए और जबरदस्ती नॉर्मल डिलीवरी कराने की कोशिश करने लगी. बच्चे के गले में नाल फंसी होने के चलते उसका दम घुटने लगा और वो पेट के अंदर ही मर गया. जब बच्चा मृत पैदा हुआ तो नर्स ने तुरंत उसे दुर्ग अस्पताल रेफर कर दिया.

कोई विशेषज्ञ नहीं
चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्वामी देव भूपेंद्र देवांगन का कहना हैं कि अस्पताल में गायनकोलॉजिस्ट नहीं है. वो एक डॉक्टर के भरोसे किसी तरह इलाज कर रहे हैं. ऐसे में सिजेरियन डिलीवरी करने में काफी परेशानी हो रही है. उनका कहना हैं कि इसके लिए उन्होंने कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है.

चिकित्सा अधीक्षक ने मानी लापरवाही 
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्वामी देव भूपेंद्र देवांगन का कहना हैं कि देवांगन सिस्टर ने डिलीवरी कराई थी. देवांगन सिस्टर ने कहा कि उन्हें घर जल्दी जाना है तो ये गलत है. बच्चे की यदि लापरवाही से मौत हुई थी तो उसका पीएम होना था, लेकिन उसे दुर्ग अस्पताल भेजा गया. वहां उसे दफनाया क्यों गया? इस बरे में कुछ नहीं कह सकता हूं. हालांकि मामला 30 मार्च का है. जिसके बाद संतोषी जिला अस्पताल में ही भर्ती रही है. जहां उसका इलाज चल रहा था. आज अचानक संतोषी के परिजन मीडिया के सामने आए और उन्होंने पूरी बात का खुलासा किया.

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