घर के कोने में रखी रहने वाली साधारण सी झाडू का कमाल, यहां महिलाओं ने बेच डाली 500 क्विंटल फूलझाडू
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घर के कोने में रखी रहने वाली साधारण सी झाडू का कमाल, यहां महिलाओं ने बेच डाली 500 क्विंटल फूलझाडू

नारायणपुर जिले की जगदम्बा महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने फूलझाडू को अपनी आय का जरिया बनाया है. हाल ही में 500 क्विंटल फुलझाडू बेची गई है. जिससे उन्हें काफी अच्छी आय हो रही है. महिलाओं के जीवनस्तर में भी काफी बदलाव आया है.

घर के कोने में रखी रहने वाली साधारण सी झाडू का कमाल, यहां महिलाओं ने बेच डाली 500 क्विंटल फूलझाडू

नारायणपुर: कामयाबी के मार्ग में आपका साहस ही आपका सबसे बड़ा साथी होता हैं, जो आपको परिश्रम करने के लिए प्रोत्साहित करता हैं, कीर्तिमान अपमे आप स्थापित हो जाते हैं. एक ऐसा ही विशाल कीर्तिमान नक्सल प्रभावित एवं घने जंगलों के बीच बसे नारायणपुर जिले की जगदम्बा महिला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने रचा है. दरअसल नारायणपुर जिले की इस महिला समूह ने फुलझाडू को अपनी आय का जरिया बनाया है. इस फुलझाडू की मांग बस्तर से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक हो रही है. इससे करीब 450 परिवार बड़े अच्छे तरीके से जीवन यापन कर रहे हैं. हाल ही में 500 क्विंटल फुलझाडू बेची गई है.

महिलाओं के जीवनस्तर में आया बदलाव
"कोई भी धंदी छोटा नहीं होता और धंदे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता" शाहरुख खान की इस फिल्मी लाइन को सच साबित किया है नारायणपुर जिले की महिलाओं ने. उन्होनें यह साबित किया कि घर के कोने में पड़ी झाडू किसी की रोजी रोटी हो सकती है. दरअसल नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के ग्रामीणों का आय का प्रमुख साधन वनोपज है. इन्हीं वनोपजों में से एक वनोपज जो घरों की सफाई के काम में आता है फुलझाडू. ये फुलझाडू यहां की जगदम्बा महिला स्व सहायता समूह की आय का प्रमुख साधन बन गया है. महिलाएं फुलझाडू का निर्माण कर इतनी आय अर्जित कर लेती हैं जिससे उनका और उनके परिवार का जीवनयापन आराम से हो जाता है. इन महिलाओं के जीवनस्तर में भी काफी बदलाव आया है.

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बस्तर से लेकर दिल्ली तक है फुलझाडू की मांग
नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ के जंगलों में उगने वाली लंबी-लंबी घास जिसे ग्रामीण काटकर लाते है फिर उन्हें सुखाकर बाजार में बेचते हैं जिसे हम फुलझाडू के नाम से जानते है. इस फुलझाडू की मांग बस्तर से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक है जिसको लेकर महिला समूह काफी खुश है कि उनकी झाड़ू का योगदान देश की राजधानी को भी चकाचक करने में हो रहा है. करीब 450 परिवार की आय का मुख्य जरिया है फुलझाडू. हाल ही में महिलाओं ने 500 क्विंटल फुलझाडू बेची है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी फूलझाड़ू प्रसंस्करण केंद्र में आकर उनके कार्य को देखा और उनके कार्य की सराहना भी की थी.

500 क्विंटल फूलझाड़ू बेची
वन विभाग के आंकड़ो के मुताबिक साल  में महिलाओं द्वारा 500 क्विंटल फूलझाड़ू घास का संग्रहण किया गया था, जिसमें संग्राहकों को 24 लाख 80 हजार 200 रुपये का भुगतान किया गया. इसमें महिलाओं को 49 हजार 604 रुपये कमीशन प्राप्त हुआ है. झाड़ू निर्माण से जुड़ी महिलाओं को कमीशन के रूप में प्राप्त होने वाली राशि से वे अपने घर- परिवार की सामान्य जरुरतों को आसानी से पूरा कर रही हैं जैसे बच्चों को अच्छी शिक्षा, आवश्यक सामान एवं कुछ राशि बचत कर भविष्य में आने वाली जरूरतों के लिए उपयोग कर रही है.

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