Raipur News: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का अलग अंदाज नजर आया. मुख्यमंत्री अपने गृह ग्राम बगिया पहुंचे और खेती किसानी के काम में जुट गए. इस दौरान वह बिल्कुल एक किसान के अंदाज नजर आए. उनका यह अंदाज लोगों को पसंद भी आ रहा है.
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Chhattisgarh News In Hindi: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय किसान है, ऐसे में जब वह अपने पैतृक गांव बगिया पहुंचे तो उनका खेती किसानी वाला अंदाज एक बार फिर नजर आया. सीएम साय ने मानसून के आने से पहले पुश्तैनी खेतों में खेती-किसानी की शुरूआत की है. बिल्कुल देशी अंदाज में वह खेत में पहुंचे और पूजा-पाठ के बाद खेतों में बीज का छिंड़काव कर बोवनी की शुरुआत की. उन्होंने खुद किसानों की तरह पगड़ी पहनी, धान के बीजों की टोकरी ली और बोवनी की रस्म अदा की. सीएम साय का यह अनोखा अंदाज लोगों को खूब पसंद आ रहा है.
बगिया में सीएम बने किसान
बता दें कि जशपुर और सरगुजा क्षेत्र में किसानों के बीच एक परंपरा है, जिसमें परिवार के मुखिया के साथ-साथ परिवार के सदस्य भी धान के बीज बोने की रस्म में शामिल होते हैं. इस परंपरा का पालन करते हुए मुख्यमंत्री ने खुद अपने हाथों से खेतों में बीज बोया और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी ऐसा ही किया. परंपरा के अनुसार मुख्यमंत्री ने बीज को अपने हाथ में लिया और उन्हें खेतों में पांच बार बिखेरा उसके बाद उनके परिवार के सदस्यों ने भी ऐसा ही किया.
परंपरा का निर्वहन
परंपरा का निर्वहन करते हुए सीएम विशेष कृषि परिधान में नजर आए. उन्होंने पगड़ी और पारंपरिक कपड़े पहने जिसके बाद टोकरी में धान के बीज रखकर पूजा की गई. बता दें कि मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में मानसून के छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने की संभावना जताई है. मानसून आने से पहले किसान छत्तीसगढ़ी परंपरा के अनुसार धान के बीज बोना शुरू कर देते हैं. इसी परंपरा का पालन करते हुए सीएम ने खेत में धान के बीज बोए.
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कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री साय ने प्रदेश में खरीफ की बेहतर फसल के लिए कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक भी की थी. मुख्यमंत्री हमेशा से ही कृषि से जुड़े रहे हैं, इसलिए उन्हें किसानों की चिंता है. उन्होंने अधिकारियों को खाद-बीज की पर्याप्त व्यवस्था पहले से ही करने के निर्देश दिए थे. सीएम ने अधिकारियों को किसानों की जरूरत के हिसाब से कृषि आदानों की व्यवस्था करने और अधिक से अधिक तकनीक का उपयोग कर उत्पादकता बढ़ाने पर जोर दिया था.