लोकसभा सांसद मोहम्मद फैजल को राहत मिलने के साथ ही चर्चा उठ चली है कि क्या राहुल गांधी को भी राहत मिल सकती है. लेकिन राहुल गांधी ने अपनी सदस्यता को बहाल करने की अपील नहीं की है. ऐसे में संभव नजर नहीं आता कि उन्हें किसी प्रकार की राहत मिलेगी.
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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता को एक बार फिर बहाल कर दिया गया है. फैजल की सदस्यता को लोकसभा सचिवालय ने बहाल कर दिया है. इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या राहुल गांधी की लोकसभा सांसद की सदस्यता बहाल कर दी जाएगी. क्योंकि उन्हें भी कोर्ट द्वारा एक मामले में सजा सुनाए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय द्वारा नोटिफिकेशन जारी करके सांसद के पद से अयोग्य ठहरा दिया गया था. हालांकि, इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन के साथ ही मोहम्मद फैजल एक बार फिर लक्षद्वीप से सांसद पद सक्रिय हो गए हैं.
दरअसल, फैजल ने अपनी लोकसभा की सदस्यता जाने के बाद इस मामले में खुद ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई जारी है. दरअसल, 11 जनवरी को फैजल को हत्या के मामले में आरोपी बनाया गया था और इस मामले में फैजल समेत 4 लोगों को सजा सुनाई गई थी. कोर्ट से उन्हें 10 साल की सजा मिली थी. साथ ही 1-1 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था.
कोर्ट द्वारा सजा के ऐलान के ठीक बाद लोकसभा सचिवालय द्वारा एनसीपी से लोकसभा सांसद मोहम्मद फैजल की सदस्यता को रद्द कर दिया गया था. इसके संबंध में लोकसभा सचिवालय ने 13 जनवरी को अधिसूचना जारी की थी. फैजल ने इस फैसले के खिलाफ केरल हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद कोर्ट ने फैजल की सजा और दोषसिद्धि पर रोक लगा दी थी.
जनप्रतिनिधि कानून के मुताबिक अगर किसी सांसद को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो उनकी संसद व विधानसभा की सदस्यता रद्द हो जाती है. इसी कानून के तहत फैजल की सदस्यता रद्द हो गई थी. इसके बाद फैजल ने लोकसभा सचिवालय से सदस्यता को बहाल करने की अपील की थी जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है और उनकी लोकसभा सदस्यता को बहाल कर दिया गया है.
हालांकि, इस मामले के साथ ही ये भी चर्चा उठ चली है कि क्या राहुल गांधी को भी राहत मिल सकती है. लेकिन फैजल के केस से तुलना करें तो राहुल गांधी का मामला थोड़ा अलग है. राहुल गांधी ने लोकसभा सचिवालय से अपनी संसदीय सदस्यता को बहाल करने की अपील नहीं की है. ऐसे में संभव नजर नहीं आता कि लोकसभा सचिवालय की तरफ से उन्हें किसी प्रकार की राहत मिलेगी.