India-China: दोनों पक्षों ने किसी भी सफलता के अभाव में, सीमा पर शांति के लिए डिप्लोमेटिक और मिलिट्री चैनलों के माध्यम से नियमित संपर्क बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की.
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India-China Border Dispute: भारत (India) और चीन (China) ने पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए राजनयिक वार्ता का एक और दौर आयोजित किया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों पक्षों ने किसी भी सफलता के अभाव में, सीमा पर शांति के लिए डिप्लोमेटिक और मिलिट्री चैनलों के माध्यम से नियमित संपर्क बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की.
चीन के मुताबिक, दोनों पक्ष बचे हुए मुद्दों को सुलझाने के लिए जल्द ही कोर कमांडरों की एक और बैठक बुलाने पर सहमत हुए.
अप्रैल-मई 2020 के बाद से 31 बैठकें
यह भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए वर्किंग मैकेनिज्म (WMCC) की 29वीं और जून 2020 में गलवान झड़प के बाद से 15वीं बैठक थी.
रिपोर्ट के मुताबिक दोनों देशों ने अप्रैल-मई 2020 में उत्पन्न सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए 15 WMCC बैठकों के अलावा, भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की बैठकें भी की हैं.
बाकी मुद्दे डेमचोक (Demchok) और डेपसांग (Depsang) क्षेत्रों में टकराव वाले बिंदुओं से संबंधित हैं जहां आक्रामक अग्रिम तैनाती एक प्रमुख मुद्दा बनी हुई है.
भारत ने कहा है कि एलएसी पर स्थिति असामान्य बनी हुई है और जब तक पूरी तरह से सैनिकों की वापसी नहीं हो जाती, वह बीजिंग के साथ संबंधों को सामान्य बनाने पर विचार नहीं करेगा.
सरकार ने कहा, ‘अंतरिम में, दोनों पक्ष डिप्लोमेटिक और मिलिट्री चैनलों के माध्यम से नियमित संपर्क बनाए रखने और मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार बॉर्डर इलाकों में जमीन पर शांति बनाए रखने की जरुरत पर सहमत हुए.’
भारत चीन को मानता है जिम्मेदार
भारत दोनों देशों के बीच मौजूदा स्थिति के लिए चीन द्वारा सीमा पर शांति के लिए द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के उल्लंघन को जिम्मेदार मानता है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने बुधवार को, [जिस दिन WMCC वार्ता हुई थी], कहा कि भारत सीमा मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगा. नॉर्मल स्थिति को केवल सामान्य या पारंपरिक सैन्य तैनाती की वापसी से ही हासिल किया जा सकता है.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘हम चीनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. हम समय-समय पर मिलते हैं. लेकिन हम स्पष्ट हैं कि हमारे बीच एक समझौता था. वास्तविक नियंत्रण रेखा है. हमारी उस रेखा पर सेना न लाने की परंपरा है. हम सामान्य स्थिति चाहते हैं.’