Imran Masood : सियासत में रिश्ते जरूरत के हिसाब से बनते और बिगड़ते हैं. इसे आप इमरान मसूद के बयान से समझ सकते हैं. अब उन्हें बीएसपी पसंद नहीं है, मोहब्बत कांग्रेस के साथ हो गई है, उन्होंने कहा कि मायावती मिलती नहीं हैं और गांधी परिवार से जुड़ाव ऐसा कि रिश्ता कभी खत्म नहीं कर पाया.
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Imran Masood News: पश्चिमी यूपी के सहारनपुर से इमरान मसूद का नाता है. पार्टी बदलने का इतिहास रहा है कभी कांग्रेस में तो कभी बीएसपी और अब कांग्रेस में जाने की चर्चा. उनसे मायावती, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से रिश्तों के बारे में पूछा गया जिसका सिलसिलेवार जवाब दिया. बीएसपी छोड़ने के मुद्दे पर कहा कि उन्होंने पार्टी से छुट्टी नहीं ली है बल्कि बीएसपी ने ही उन्हें छोड़ दिया है.
अब बीएसपी से प्रेम नहीं !
बीएसपी सुप्रीमो मायावती के बारे में जब उनसे पूछा गया तो जवाब कुछ यूं था- देखिए मायवाती जी कुछ लोगों से ही मिलना पसंद करती हैं उनमें से वो भी एक थे. बहुत कम दफा उनसे बात हुई, मुलाकात होने पर एक बात कहता था कि कांशीराम और आपने जिस तरह से संघर्ष के जरिए 2007 में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आए उसके ठीक 15 साल बाद पार्टी का पराभव हो गया. ऐसे में चिंतन की जरूरत है यही नहीं पार्टी को बुनियादी स्तर पर काम करना होगा, ऐसा हो सकता है कि यह बात बुरी लग गई हो.
#WATCH | Delhi: Former BSP Leader Imraan Masood on joining Congress says," I didn't take a leave from BSP, BSP has left me. I never wanted to leave Congress, I thank god that Priyanka Gandhi Vadra and Rahul Gandhi gave me clearance and asked me to join the Congress party...BSP… pic.twitter.com/HxpJlZOQLZ
— ANI (@ANI) October 7, 2023
गांधी परिवार के बारे में नजरिया
इसके अलावा कांग्रेस और गांधी परिवार खासतौर से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बारे में कहा कि देखिए मैं कभी भी कांग्रेस नहीं छोड़ना चाहता था. वो प्रियंका गांधी वाड्रा और राहुल गांधी को धन्यवाद करना चाहते हैं कि उन्होंने पार्टी में दोबारा शामिल होने का मौका दिया है. उन्होंने कभी भी गांधी परिवार से संबंधों को समाप्त करने के योग्य नहीं हुए. उन्होंने हमेशा चाहा कि बीजेपी को हराने के लिए सभी सेक्यूलर दलों को इकट्ठा होना चाहिए. इंडिया गठबंधन का जब ऐलान हुआ तो उम्मीद बढ़ी.
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों के मुताबिक जिस उम्मीद के साथ इमरान मसूद बीएसपी में शामिल हुए थे हकीकत में वो पूरी नहीं हुई, राजनीति में किसी भी शख्सियत की प्रासंगिकता तभी तक रहती है जब वो दल के लिए फायदे का सौदा साबित हो. 2022 के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीएसपी की हार किसी से छिपी नहीं है, बीएसपी को लगा था कि मसूद के आने के बाद पार्टी का आधार मजबूत होगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ,