700 साल पुरानी विरासत पर तांत्रिकों का कब्जा, खुलेआम चल रहा भूत भगाने का खेल!
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700 साल पुरानी विरासत पर तांत्रिकों का कब्जा, खुलेआम चल रहा भूत भगाने का खेल!

इतिहासकारों के मुताबिक फिरोज शाह कोटला में जिन्न और तंत्र का खेल वर्ष 1977 में शुरू हुआ था जब एक मुस्लिम फकीर यहां रहने आया था और उसी ने अफवाह फैलाई थी कि यहां जिन्न रहते हैं. यानी ASI के संरक्षण मे आने के 64 वर्षों बाद.

700 साल पुरानी विरासत पर तांत्रिकों का कब्जा, खुलेआम चल रहा भूत भगाने का खेल!

दिल्ली में मौजूद 700 साल पुरानी विरासत फिरोजशाह कोटला को तांत्रिकों ने भूत भगाने का अड्डा बना लिया है और भारतीय पुरातत्व विभाग यानी ASI सबकुछ देखते हुए भी हाथ पर हाथ धरे बैठा है. 14वीं शताब्दी के मध्य में फिरोजशाह तुगलक द्वारा बनवाया गया ये किला अब अपनी विरासत के लिए नहीं बल्कि तंत्र-मंत्र की दुकानों के लिए जाना जाता है. इसे अब जिन्नों का किला कहा जाने लगा है. 

कुछ वक्त पहले ASI ने दावा किया था कि उसने फिरोजशाह कोटला परिसर में तंत्र-मंत्र की दुकानें बंद करवा दी हैं, लेकिन क्या वाकई ऐसा हुआ है? ये जानने के लिए जब जी न्यूज की टीम फिरोजशाह कोटला पहुंची तो ASI के दावों की पोल खुल गई और जो कुछ कैमरे में रिकॉर्ड हुआ, वो यकीन से परे था.

ASI ने ये भी दावा किया था कि किले के तहखाने की किलेबंदी के बाद इस संरक्षित किले में तंत्र-मंत्र, अंधविश्वास और भूत भगाने का खेल रुक जाएगा, लेकिन ऐसा तो कुछ नहीं हुआ. वहां अब भी सबकुछ वैसे ही चल रहा है.

ऐसे में सवाल उठता है कि...
- दिल्ली की एक ऐतिहासिक इमारत संरक्षित होने के बावजूद तंत्र-मंत्र का अड्डा बन गई, इसका जिम्मेदार कौन है?
- ASI की देखरेख वाले फिरोजशाह कोटला किले में अंधविश्वास का खेल खुलेआम चल रहा है, इसका जिम्मेदार कौन है?
- जिस संरक्षित किले में असामाजिक तत्वों की एंट्री बैन है, वहां भूत भगाने के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है, इसका जिम्मेदार कौन है?

वर्ष 1913 में ASI ने फिरोजशाह कोटला किले को अपने संरक्षण में लिया था. ये किला पिछले 110 वर्षों से ASI के संरक्षण में है और ASI के संरक्षण में रहते हुए ही ये किला जिन्नों के किले के तौर पर पहचाना जाने लगा. क्या ASI को ये सब नहीं दिख रहा और अगर दिख रहा है तो फिर इसे रोका क्यों नहीं जा रहा?

 

भारत सरकार के Ancient Monuments और Archaeological Sites से जुड़े कानून के तहत किसी भी इमारत को जिस समय ASI अधिग्रहण करती है, उस समय की यथास्थिति हमेशा बनी रहती है. यानी अधिग्रहण के समय अगर वहां पूजा होती है तो ही आगे पूजा होगी, वरना नहीं.

इतिहासकारों के मुताबिक फिरोज शाह कोटला में जिन्न और तंत्र का खेल वर्ष 1977 में शुरू हुआ था जब एक मुस्लिम फकीर यहां रहने आया था और उसी ने अफवाह फैलाई थी कि यहां जिन्न रहते हैं. यानी ASI के संरक्षण मे आने के 64 वर्षों बाद.

अब 45 वर्ष बाद ASI ने पहली बार इस किले के तहखानों पर ताले लगवाएं हैं, ताकि वहां चल रहे तंत्र-मंत्र के अड्डे बंद हों. लेकिन ASI ने ये काम भी आधे-अधूरे मन से किया है, क्योंकि फिरोजशाह कोटला किले में तांत्रिक भूत भगाने का जो खेल तहखानों में करते थे, वो अब खुले आसमान के नीचे कर रहे हैं.

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