BJP या कांग्रेस, केजरीवाल की रिहाई से हरियाणा में किसको नुकसान? समझिए चुनावी समीकरण
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BJP या कांग्रेस, केजरीवाल की रिहाई से हरियाणा में किसको नुकसान? समझिए चुनावी समीकरण

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे और 8 अक्टूबर को मतगणना होगी. लेकिन, इससे पहले केजरीवाल का जेल से बाहर आना कई दलों की मुश्किल बढा सकता है.

BJP या कांग्रेस, केजरीवाल की रिहाई से हरियाणा में किसको नुकसान? समझिए चुनावी समीकरण

Arvind Kejriwal to join AAP Poll Campaign: आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं, कार्यकर्ताओं और समर्थकों में भारी उत्साह. बारिश के बावजूद तिहाड़ जेल के बाहर भारी भीड़. ढोल की थाप, डांस और नारेबाजी.. इस अंजाज में आप कार्यकर्ताओं और नेताओं ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) का शुक्रवार शाम को जेल से निकलने पर स्वागत किया. हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अगले महीने 5 तारीख को होने वाले मतदान से पहले केजरीवाल का जेल से बाहर आना आम आदमी पार्टी के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है. अब अरविंद केजरीवाल का पूरा फोकस हरियाणा चुनाव पर ही होगा. लेकिन चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल का बाहर आना अन्य दलों की मुश्किल बढ़ा सकता है.

BJP या कांग्रेस, केजरीवाल की रिहाई से किसको नुकसान?

लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) के बीच हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए सहमति नहीं बन पाई और दोनों पार्टियां अलग-अलग चुनाव लड़ रही हैं. इस वजह से आम आदमी पार्टी चुनाव में सत्तारूढ़ बीजेपी (BJP) के साथ कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती बन गई है. लेकिन, अगर दिल्ली के रिकॉर्ड को देखें तो कांग्रेस को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है.

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क्यों कांग्रेस को ज्यादा नुकसान कर सकती है आप?

दरअसल, इस साल लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस (Congress) के बीच गठबंधन था, लेकिन दिल्ली और पंजाब में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग चुनाव लड़ने का फैसला हुआ था. दिल्ली में इसका सीधा नुकसान कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी को भी हुआ और बीजेपी (BJP) ने सभी 7 सीटों पर कब्जा कर लिया. वहीं, पंजाब में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन कांग्रेस को पिछले चुनाव के मुकाबले 1 सीट का नुकसान हुआ.

कांग्रेस के लिए क्यों जरूरी था AAP का साथ?

तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) क्यों कांग्रेस (Congress) के लिए जरूरी थी. लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा में कांग्रेस और आप ने गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था. कांग्रेस ने 9 और आप ने 1 सीट उम्मीदवार उतारा था. नतीजों में बीजेपी को पिछले चुनाव के मुकाबले 5 सीटों का नुकसान हुआ और पार्टी सिर्फ 5 सीट ही जीत पाई. वहीं, पिछले चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था और गठबंधन के बाद पार्टी ने 5 सीटों पर कब्जा कर लिया. हालांकि, चुनावी मैदान में कुरुक्षेत्र से उतरी आप को हार का सामना करना पड़ा था.

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हरियाणा पर है आम आदमी पार्टी की नजर

आम आदमी पार्टी (AAP) की अभी दिल्ली के अलावा पंजाब में सरकार है और अब पार्टी की नजर हरियाणा पर है. आम आदमी पार्टी ने पिछले विधानसभ चुनाव में 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इस बार पार्टी ने सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं. बताया जा रहा है कि कुरुक्षेत्र सहित पंजाब और दिल्ली से सटे जिलों में आम आदमी पार्टी का प्रभाव हो सकता है. आप के इस फैसले से भाजपा सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी वोट बंट जाएंगे, जो कांग्रेस के साथ आप के लिए नुकसानदेह है.

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पिछले चुनाव के मुकाबले हरियाणा में मजबूत हुई AAP

आम आदमी पार्टी (AAP) का पिछले 5 सालों में हरियाणा में वोट शेयर बढ़ा है और यही ट्रेंड आगामी विधानसभा चुनाव में भी रहता है तो कांग्रेस और बीजेपी को नुकसान हो सकता है. आप ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 46 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और तब उसे सिर्फ 0.5 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, 2024 के लोकसभा चुनाव में आप के वोट शेयर में इजाफा हुआ है और सिर्फ 1 सीट (कुरुक्षेत्र) पर चुनाव लड़ने के बावजूद उसे 3.9 फीसदी वोट मिले.

5 अक्टूबर को मतदान, 8 को को आएंगे नतीजे

बता दें कि हरियाणा विधानसभा की सभी 90 सीटों पर एक ही चरण में मतदान होगा और 5 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. सभी सीटों के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे. इससे पहले हरियाणा में 1 अक्टूबर को मतदान होना था और 4 अक्टूबर को मतों की गिनती होने वाली थी. लेकिन, बिश्नोई समाज के त्योहार आसोज अमावस्या की वजह से बीजेपी ने चुनाव आयोग से तारीख को आगे बढ़ाने की अपील की थी, जिसे चुनाव आयोग ने स्वीका कर लिया और मतदान की तारीख बदल दी.

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