'सीएम को फंसा दो, वरना..' कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने ED अधिकारियों पर किया FIR
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'सीएम को फंसा दो, वरना..' कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने ED अधिकारियों पर किया FIR

Siddaramaiah: कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम में 187 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में उस वक्त एक बड़ा मोड़ आ गया, जब राज्य सरकार के एक अधिकारी पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया 'फंसाने' के लिए दबाव डालने के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय के दो अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.

'सीएम को फंसा दो, वरना..' कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने ED अधिकारियों पर किया FIR

FIR against 2 ED Officers: कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम में 187 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में सोमवार को उस वक्त बड़ा मोड़ आ गया, जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) के दो अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. ईडी अधिकारियों पर राज्य सरकार के एक अधिकारी पर मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और वित्त विभाग को कथित घोटाले में 'फंसाने' के लिए दबाव डालने के आरोप हैं.

ईडी के इन दो अधिकारियों के खिलाफ केस

समाज कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक कल्लेश बी. की शिकायत के आधार पर विल्सन गार्डन पुलिस थाने में दो ईडी अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. कल्लेश ने मुरली कन्नन नाम के एक ईडी अधिकारी और मित्तल उपनाम वाले एक अधिकारी पर आरोप लगाया है.

सीबीआई कर रही 187 करोड़ के घोटाले की जांच

कर्नाटक सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल के अलावा, सीबीआई भी 187 करोड़ रुपये के कथित गबन की जांच कर रही है, जिसमें हैदराबाद स्थित कंपनियों को 88 करोड़ रुपये का अवैध हस्तांतरण भी शामिल है.

'घोटाले में सीएम को फंसा दो, वरना..'

कल्लेश ने कहा कि 16 जुलाई को पूछताछ के दौरान मुरली कन्नन ने उनसे 17 सवाल पूछे और उन्होंने तुरंत उनके जवाब दिए. उन्होंने आरोप लगाया कि कन्नन ने उनसे मामले में पूर्व मंत्री बी. नागेंद्र, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और वित्त विभाग का नाम लेने को कहा. इसके अलावा, कल्लेश ने कहा कि मित्तल ने कथित तौर पर उन्हें मामले में फंसाने की धमकी दी और कहा कि अगर वह चाहते हैं कि ईडी उनकी मदद करें, तो उन्हें मुख्यमंत्री, नागेंद्र और वित्त विभाग का नाम लेना चाहिए.

'अपराध में शामिल नहीं होने पर भी बुलाया गया'

शिकायतकर्ता ने दावा किया कि हालांकि वह अपराध में शामिल नहीं थे, लेकिन उन्हें बुलाया गया और धमकाया गया तथा लिखित में देने के लिए कहा गया कि मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री और वित्त विभाग के अधिकारी इसमें शामिल थे.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)

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