Delhi Govt: करंट से दुर्घटना होने पर बिजली कंपनियों को देना होगा मुआवजा, केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला
Advertisement
trendingNow11904650

Delhi Govt: करंट से दुर्घटना होने पर बिजली कंपनियों को देना होगा मुआवजा, केजरीवाल सरकार का बड़ा फैसला

Delhi News: दिल्ली में करंट से होने वाले हादसों को रोकने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.

File Photo

Delhi Government Decisions: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. दिल्ली सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक केजरीवाल सरकार जल्द ही करंट से होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर पॉलिसी लाएगी. जिसके तहत बिजली कंपनियों को मुआवजा देना होगा. सीएम केजरीवाल ने इससे जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. 

दिल्ली सरकार की कोशिश

- बिजली कंपनियों को अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना होगा ताकि करंट से कोई दुर्घटना ही न हो.

- अगर करंट से कोई दुर्घटना होती है तो बिजली कंपनियां पीड़ित को उचित वित्तीय सहायता देने के लिए बाध्य होंगी.

- सीएम केजरीवाल ने दिल्ली की जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हुए बिजली मंत्रालय से मिले प्रस्ताव को तत्काल दी मंजूरी.

- दिल्ली में अभी करंट से होने वाली दुर्घटना को लेकर स्पष्ट नीति न होने से बिजली कंपनियों से पीड़ितों नहीं मिल पाता है मुआवजा.

केजरीवाल सरकार जल्द जारी करेगी नियम

दिल्ली में बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को नियंत्रित करने और पीड़ितों को वित्तीय मदद पहुंचाने के लिए जल्द ही नियम लाए जाएंगे. केजरीवाल सरकार के निर्देश पर ये नियम दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (DERC) बनाएगा. इस संबंध में दिल्ली सरकार के बिजली विभाग की तरफ से मिले प्रस्ताव को सीएम अरविंद केजरीवाल ने जनहित को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को मंजूरी दे दी है. नियम आने के बाद बिजली कंपनियों को अपना इन्फ्रास्ट्रक्चर और मजबूत करना होगा ताकि कोई दुर्घटना ही न हो और अगर कोई दुर्घटना होती है तो फिर बिजली कंपनियां पीड़ित को उचित वित्तीय सहायता देने के लिए बाध्य होंगी. सीएम से अप्रूवल मिलने के बाद अब प्रस्ताव एलजी के पास भेजा जाएगा. वहां से मंजूरी मिलने के बाद केजरीवाल सरकार डीईआरसी को जल्द से जल्द नियम बनाने के लिए आदेश जारी करेगी.

गाइडलाइन हो रहीं तैयार

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के बिजली मंत्रालय ने एक प्रस्ताव लाया था कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत डीईआरसी को नियम बनाने के लिए आदेश जारी किया जाए. जिसके तहत दिल्ली बिजली नियामक आयोग बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने और पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए विस्तृत गाइडलाइन तैयार करे, जिससे कि बिजली कंपनियां कानूनी रूप से बाध्य हों. सीएम अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. 

किस बात का फायदा उठाती थीं बिजली कंपनियां?

दरअसल, अभी तक दिल्ली में करंट से होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं है. इस वजह से अगर कोई बिजली लगने से घायल हो जाता था या फिर किसी की मौत हो जाती है तो बिजली कंपनियां पीड़ित या उसके परिवार को वित्तीय सहायता देने के लिए बाध्य नहीं होती हैं. ऐसे में करंट लगने से पीड़ित परिवारों को समय से कोई आर्थिक मदद नहीं मिल पाती है और उनको परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसको देखते  दिल्ली सरकार के बिजली विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया था, ताकि सरकार दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन को नियम बनाने के लिए आदेश जारी कर सके. 

बिजली मंत्री आतिशी ने पेश किया था प्रस्ताव

दिल्ली के बिजली विभाग के प्रस्ताव को बिजली मंत्री आतिशी ने सीएम अरविंद केजरीवाल के समक्ष प्रस्तुत किया था. सीएम ने दिल्ली की जनता के हितों को सर्वोपरि रखते हुए इस प्रस्ताव को तत्काल मंजूरी दे दी. अब इस प्रस्ताव को एलजी के पास भेजा जाएगा. एलजी से मंजूरी मिलने के बाद दिल्ली सरकार डीईआरसी को इस संबंध में नियम बनाने के लिए आदेश जारी करेगी. भारी जनहित से जुड़ा मसला होने की वजह से उम्मीद है कि बहुत जल्द नियम अस्तित्व में आ जाएंगे, जिसके बाद दिल्ली के नागरिकों के हितों की रक्षा सुनिश्चित हो सकेगी.

दरअसल, इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के अंतर्गत दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (डीईआरसी) है. डीईआरसी ही दिल्ली में स्थित सभी डिस्कॉम को रेगुलेट करता है. इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में सेक्शन 108 है. इसके अंतर्गत सरकार डीईआरसी को नियम बनाने को लेकर दिशा निर्देश जारी करती है.

दिल्ली में नियम बनाने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि अभी तक कोई स्पष्ट कानून नहीं है. कुछ साल पहले एनएचआरसी  का एक केस आया था, जिसमे कुछ लोगों को बिजली का झटका लग गया था. इस दौरान एनएचआरसी ने दिल्ली सरकार से इस संबंध में कोई कानून बनाने का अनुरोध किया था, ताकि पीड़ितों को मदद पहुंचाई जा सके. इसी परिप्रेक्ष्य में दिल्ली सरकार सेक्शन 108 के तहत ये नियम लाना चाहती है.

Trending news