Hysterectomy: बिना वजह महिलाओं के शरीर से निकाले जा रहे यूटरस, एक्शन में आया केंद्र; दिया ये आदेश
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Hysterectomy: बिना वजह महिलाओं के शरीर से निकाले जा रहे यूटरस, एक्शन में आया केंद्र; दिया ये आदेश

Hysterectomy Removal of Uterus: एक PIL के जरिए सुप्रीम कोर्ट में ये मामला गया था, जिसमें बताया गया कि बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कई गरीब और दलित वर्ग से आने वाली ऐसी महिलाओं के गर्भाशय निकालने के मामले आ रहे हैं, जिन्हें असल में इस सर्जरी की जरूरत नहीं है. उनका इलाज बिना सर्जरी भी हो सकता है.

Hysterectomy: बिना वजह महिलाओं के शरीर से निकाले जा रहे यूटरस, एक्शन में आया केंद्र; दिया ये आदेश

 Hysterectomy Types: महिलाओं में Hysterectomy सर्जरी जिसे आम भाषा में Uterus Removal या गर्भाशय निकाले जाने की सर्जरी भी कहा जाता है. इसके बढ़ते मामलों पर सरकार ने राज्यों को चिट्ठी लिखी है. सभी राज्यों से Hysterectomy सर्जरी का ऑडिट करने के लिए कहा गया है.  

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्यों को चिट्ठी लिखकर कहा है कि भारत में कुछ मेडिकल संस्थान गैर जरूरी Hysterectomy सर्जरी कर रहे हैं. लिहाजा सभी राज्य अपने-अपने क्षेत्र में इस ऑपरेशन का डाटा शेयर करें. सरकार ने हाल ही में यूटरस रिमूवल के लिए गाइडलाइंस जारी की थी. राज्यों से कहा गया है कि गाइडलाइंस से पहले और बाद का डाटा शेयर किया जाए और इस तरह की सर्जरी के सभी मामलों का ऑडिट भी किया जाए.  

इसकी जरूरत क्यों पड़ी?

दरअसल एक PIL के जरिए सुप्रीम कोर्ट में ये मामला गया था, जिसमें बताया गया कि बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कई गरीब और दलित वर्ग से आने वाली ऐसी महिलाओं के गर्भाशय निकालने के मामले आ रहे हैं, जिन्हें असल में इस सर्जरी की जरूरत नहीं है. उनका इलाज बिना सर्जरी भी हो सकता है. लेकिन राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मिलने वाली इंश्योरेंस की रकम को क्लेम करने के लालच में कई संस्थान ये सर्जरी कर रहे हैं.  

ये याचिका 2013 में एक डॉ. नरेंद्र सक्सेना ने लगाई थी. उन्होंने अप्रैल 2010 से अक्टूबर 2010 के बीच का डाटा आरटीआई के जरिए हासिल किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि राजस्थान के दौसा जिले में इस दौरान हुई कुल 385 सर्जरी में से 286 केवल तीन प्राइवेट अस्पतालों में की गई थीं.   

सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल 2023 के फैसले में कहा था कि सभी राज्य केंद्र सरकार की बनाई गाइडलाइंस पर चलें. 40 साल से कम उम्र की महिला के केस में अगर ये सर्जरी की जा रही है तो उसकी रिपोर्ट करें. सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2023 में केंद्र और राज्यों को ये निर्देश दिया था कि वो ये सुनिश्चित करें कि हिस्टरेक्टमी के केस में तीन महीनों के अंदर सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इन गाइडलाइंस के हिसाब से ही चलें.  

बढ़ते जा रहे हैं सर्जरी के मामले

फैसले में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि विकसित देशों में मीनोपॉज की उम्र यानी 45 के आसपास की उम्र वाली महिलाओं के केस में ही आमतौर पर Hysterectomy सर्जरी या यूटरस रिमूवल किया जा रहा है लेकिन भारत में 28 साल से 36 साल की उम्र के बीच की महिलाओं की सर्जरी के मामले बढ़ रहे हैं.  

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल ये गाइडलाइंस बनाई थीं जिसमें नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (2015-16) का जिक्र करते हुए बताया गया था कि भारत में 30 से 39 साल की 3.2% और 40 से 49 वर्ष की 9.2% महिलाओं के ये ऑपरेशन किए गए. 
गाइडलाइंस में ये भी बताया गया कि महिलाओं के इंश्योरेंस के कुल क्लेम (Ayushman Bharat Pradhan Mantri Jan Arogya Yojana) में से 2% हिस्टरेक्टमी के थे.  

इन राज्यों ने किए ज्यादा क्लेम

जिन 6 राज्यों ने कुल क्लेम के दो तिहाई क्लेम किए थे, वे हैं छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक. ज्यादातर महिलाओं के गर्भाशय के साथ-साथ ओवरीज (Ovaries) भी निकाल ली गई थीं, जिसकी वजह से महिलाओं को मासिक धर्म यानी पीरियड्स होना बंद हो जाते हैं. इसके बाद उन्हें कई हार्मोन से जुड़ी बीमारियों यहां तक कि कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2022 में गाइडलाइंस जारी की थी, जिसमें बताया गया कि किन-किन मामलों में ये सर्जरी करनी चाहिए.  

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