आगे ढोल-नगाड़े, बैंड-बाजे...ये हाथी पर बैठकर कहां पहुंच गए मोदी सरकार के मंत्री?
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आगे ढोल-नगाड़े, बैंड-बाजे...ये हाथी पर बैठकर कहां पहुंच गए मोदी सरकार के मंत्री?

Bargarh Festival 2025: धनु यात्रा महोत्सव 3 जनवरी से शुरू हुआ 11 दिनों तक चलेगा. इस महोत्सव में बरगढ़ को द्वापर युग की मथुरा और अंबपाली को गोकुल में परिवर्तित किया गया है.

आगे ढोल-नगाड़े, बैंड-बाजे...ये हाथी पर बैठकर कहां पहुंच गए मोदी सरकार के मंत्री?

Dhanu Yatra Mahotsav: पीएम मोदी के एक मंत्री अचानक हाथी पर चढ़कर ढोल नगाड़ों के बीच नजर आए तो लोग हैरान रह गए. हुआ यह कि ओडिशा के बारगढ़ जिले में दुनिया के सबसे बड़े खुले थिएटर, प्रसिद्ध 'धनु यात्रा महोत्सव' का आयोजन शुरू हो चुका है. इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री और संबलपुर के सांसद धर्मेंद्र प्रधान भी पहुंचे. प्रधान ने इस ऐतिहासिक महोत्सव का उद्घाटन करते हुए 'धनु यात्रा' की वेबसाइट का लोकार्पण किया. उनकी एंट्री भी बेहद अनोखी रही, जिसने सभी का ध्यान खींचा.

ढोल-नगाड़ों और बैंड-बाजों का जुलूस
दरअसल, धर्मेंद्र प्रधान इस महोत्सव में हाथी पर सवार होकर पहुंचे. उनके साथ ढोल-नगाड़ों और बैंड-बाजों का जुलूस भी था, जिसने पूरे माहौल को और अधिक उत्साहपूर्ण बना दिया. बड़ी संख्या में लोग इस भव्य स्वागत का हिस्सा बने. प्रधान के पहुंचने पर लोगों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया और यह दृश्य महोत्सव की जीवंतता को दर्शाता है.

77वें बरगढ़ धनु यात्रा महोत्सव में शामिल
धर्मेंद्र प्रधान ने ट्विटर पर लिखा कि 77वें बरगढ़ धनु यात्रा महोत्सव में शामिल होकर और वेबसाइट का उद्घाटन करने का सौभाग्य मिला. यह महोत्सव सत्य पर असत्य की विजय और धर्म पर अधर्म की जीत का संदेश देता है. बरगढ़ के नागरिकों की सक्रिय भागीदारी के कारण यह महोत्सव आज विश्वप्रसिद्ध बन सका है." प्रधान ने इसे किसानों और ग्रामीण समुदाय को मनोरंजन और प्रेरणा देने वाला महत्वपूर्ण आयोजन बताया.

11 दिनों तक चलेगा
धनु यात्रा महोत्सव 3 जनवरी से शुरू हुआ, 11 दिनों तक चलेगा. इस महोत्सव में बरगढ़ को द्वापर युग की मथुरा और अंबपाली को गोकुल में परिवर्तित किया गया है. यहां कंस दरबार, श्रीकृष्ण की बाल लीलाएं और अन्य पौराणिक कथाओं के दृश्य प्रस्तुत किए जाएंगे. 7 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले 22 मंचों पर ये प्रदर्शन होंगे. इस वर्ष महोत्सव के लिए ओडिशा सरकार ने 1.5 करोड़ रुपये की सहायता राशि प्रदान की है.

उधर इस महोत्सव को यूनेस्को में मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. आयोजकों ने इसे वैश्विक स्तर पर प्रचारित करने के लिए लाइव प्रसारण और डिजिटल माध्यमों का सहारा लिया है. यह महोत्सव सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का बड़ा प्रयास है.

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