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भाजपा में इस वक्त सांगठनिक चुनाव हो रहे हैं. इनके पूरा होने के बाद नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा. जेपी नड्डडा का कार्यकाल पहले ही पूरा हो चुका है. पार्टी के भीतर चल रहे संगठन के चुनावों में पार्टी बूथ स्तर से लेकर हर स्तर पर पहले की तुलना में अधिक से अधिक महिलाओं को शामिल करने की कोशिश कर रही है. पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने पहले पॉडकास्ट में जेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ को दिए इंटरव्यू में भी इस बात की तरफ संकेत दिया था कि अधिक से अधिक महिलाओं को राजनीति में शामिल होना चाहिए. उन्होंने 2047 के विकसित भारत के एजेंडे के लिए कम से कम एक लाख नए युवाओं को राजनीतिक प्रक्रिया में जुड़ने का आग्रह भी किया था ताकि नए जेनरेशन की लीडरशिप तैयार हो सके. इनमें महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने की बात उन्होंने कही थी.
दरअसल लोकसभा और विधानसभाओं में एक तिहाई सीट आरक्षित करने वाले नारी वंदन अधिनियम को देखते हुए भाजपा अपने संगठन में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने का प्रयास कर रही है. अगले कुछ वर्षों में नारी वंदन अधिनियम अस्तित्व में आ जाएगा. दरअसल बीजेपी नेतृत्व का मानना है कि लोकसभा और विधानसभा की एक तिहाई सीट आरक्षित करने का कानून लागू होने तक सक्षम महिला उम्मीदवारों की एक नई पौध पार्टी के भीतर विकसित होनी चाहिए ताकि कानून लागू होने पर सक्षम उम्मीदवारों की कमी कहीं बाधा न बन जाए.
भाजपा की तैयारियों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मध्यप्रदेश जैसे राज्य में बीजेपी के 62 संगठनात्मक जिलों में कम से कम सात-आठ महिला जिला अध्यक्ष हो सकती हैं. एमपी के अधिकांश जगहों पर 11 सदस्यीय बूथ समितियों में कम से कम तीन महिलाओं को शामिल करने पर बल दिया जा रहा है. बीजेपी ने हाल में इस तरह का प्रयोग बिहार में किया है और वहां दो महिला जिला अध्यक्ष को नियुक्त किया है.
सिर्फ इतना ही नहीं पार्टी एससी, एसटी और पिछड़े तबके को भी संगठन में भरपूर जगह देने के पक्ष में है. साथ ही इन समुदायों से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं को संगठन में अधिक जगह देने का पार्टी प्रयास कर रही है.