बिहार के बेगूसराय जिला का इतिहास काफी पुराना है. 1870 ई. में बेगुसराय को मुंगेर के एक अनुमंडल के रूप में स्थापित किया गया था. 1972 ई. में इसे जिले की मान्यता मिली थी. गंगा किनारे बसा यह शहर भागलपुर के नबाव की बेगम को बड़ा पसंद था.
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Begusarai Lok Sabha Seat Profile: बिहार के बेगूसराय जिला का इतिहास काफी पुराना है. 1870 ई. में बेगुसराय को मुंगेर के एक अनुमंडल के रूप में स्थापित किया गया था. 1972 ई. में इसे जिले की मान्यता मिली थी. गंगा किनारे बसा यह शहर भागलपुर के नबाव की बेगम को बड़ा पसंद था. वह हर साल यहां आकर एक महीने रहती थीं. बेगम की सराय होने के कारण ही इसका नाम बेगूसराय पड़ा. दिनकर की इस भूमि में पहली बार 1952 में लोकसभा चुनाव हुए थे.
इस सीट का चुनावी इतिहास
1977 और 1989 को छोड़ दें तो 1999 तक यहां कांग्रेस और वामपंथियों के बीच ही उठापटक देखने को मिली. यहां की जनता ने कांग्रेस के बाद वामपंथियों को फलने-फूलने का पूरा मौका दिया. 2004 में पहली बार यहां समाजवादियों की एंट्री हुई और जेडीयू के ललन सिंह चुनाव जीते. 2009 में जेडीयू के मोनाजिर हसन लोकसभा पहुंचे. बेगूसराय के चुनावी इतिहास में यहां पहली बार कमल मोदी लहर में खिला था. 2014 में बीजेपी के दिवंगत नेता भोला सिंह और 2019 में गिरिराज सिंह ने जीत हासिल की थी.
गिरिराज ने कन्हैया को दी थी मात
2019 में सीपीआई के कन्हैया कुमार से मुकाबला करने के लिए बीजेपी ने अपने फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह को नवादा से यहां भेजा था. शुरुआत में गिरिराज ने इसका विरोध किया था, लेकिन अमित शाह से मुलाकात करने के बाद वह शांत हुए और पूरे जोरशोर से चुनावी प्रचार में जुट गए थे. उस चुनाव में उन्हें 9,92,193 वोट हासिल हुए थे. वहीं कन्हैया कुमार को 2,69,976 लोगों ने वोट किया था. इस तरह से गिरिराज ने 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की थी.