Papri Bose Case: हिंदू लड़की का अपहरण और 50,000 बंगालियों का पलायन, कीर्ति आजाद को टिकट मिलते ही TMC पर हमलावर हुई BJP
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Papri Bose Case: हिंदू लड़की का अपहरण और 50,000 बंगालियों का पलायन, कीर्ति आजाद को टिकट मिलते ही TMC पर हमलावर हुई BJP

Lok Sabha Election 2024: बीजेपी नेता अमित मालवीय का आरोप है कि भागवत झा आजाद ने लड़की के अपहरणकर्ताओं और बंगाली हिंदुओं को प्रताड़ित करने वालों को बचाने और भगाने में मदद की. बंगालियों के अभिशाप ने आजाद वंश को बिहार की राजनीति से मिटा दिया.

कीर्ति आजाद

Lok Sabha Election 2024: टीएमसी ने पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को वर्धमान दुर्गापुर लोकसभा सीट से टिकट दिया है, जिसके बाद भाजपा अब ममता बनर्जी की पार्टी पर हमलावर हो गई है. भाजपा महासचिव और आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने एक ट्वीट करते हुए कहा, यह चौंकाने वाला है कि ममता बनर्जी ने भागवत झा आज़ाद के बेटे कीर्ति आज़ाद को टिकट दिया है. भागवत झा आजाद के करीबियों ने भागलपुर में एक बंगाली हिंदू लड़की को उसके घर से अपहरण कर लिया था और उसके बाद 50,000 बंगालियों का दुखद तरीके से पलायन हुआ था. ये बंगाली पीढ़ियों से वहां रह रहे थे. अमित मालवीय ने अपने ​ट्वीट में आगे लिखा है, पापरी बोस-रॉय का भागलपुर में कीर्ति आज़ाद के पिता भागवत झा आज़ाद के करीबी राजनीतिक सहयोगियों और गुर्गों द्वारा अपहरण कर लिया गया था. तब भागवत झा मुख्यमंत्री थे और उन्होंने बंगाली लड़की को ढूंढने में कोई मदद नहीं की. अमित मालवीय का आरोप है कि भागवत झा आजाद ने लड़की के अपहरणकर्ताओं और बंगाली हिंदुओं को प्रताड़ित करने वालों को बचाने और भगाने में मदद की. बंगालियों के अभिशाप ने आजाद वंश को बिहार की राजनीति से मिटा दिया, लेकिन ममता बनर्जी ने बंगालियों को सताने वाले के बेटे को बर्धमान-दुर्गापुर से मैदान में उतारने का फैसला किया है. ममता बनर्जी को इसके लिए शर्म आनी चाहिए. यह संदेशखाली में हिंदुओं को प्रताड़ित करने वाले शेख शाहजहाँ की रक्षा करने जैसा ही मामला है. अमित मालवीय के इस ट्वीट के बाद बंगाल की राजनीति गरमा गई है. यह मामला उस समय विधानसभा में भी गूंजा था. 

31 जनवरी, 1989 को विधायक उपेंद्र प्रसाद वर्मा ने विधानसभा में इस मामले को उठाया था. वर्मा ने सदन को बताया था कि 17 दिसंबर 1988 को भागलपुर कमिश्नर की अध्यक्षता में पूरे कमिश्नरी के अफसरों की बैठक हो रही थी, जिसमें डॉ. बोस (पीड़िता के पिता) ने कहा, हमारी लड़की को जबर्दस्ती उठाकर अपराधकर्मी भाग गया. लड़की की मां ने एक बजे दिन में ही एफआईआर दर्ज कराया. तब एक बात स्पष्ट हो गई कि अपहरण कांड में कुछ और लोग शामिल थे. उपेंद्र प्रसाद वर्मा ने कहा, मैं यह कहना चाहता हूँ कि जब पापरी बोस का अपहरण किया जा रहा था तो उसकी माँ ने उसको बचाने की भरपूर कोशिश की थी लेकिन अपराधकर्मियों ने उन पर रिवाल्वर के मूठ से और छूरे से वार किया. इस घटना की सूचना एक बजे दिन में ही प्रशासन को मिल गयी थी. वहां के एसपी नीलमणि ने अपराधकर्मियों को पकड़ने के लिये जिस डीएसपी को लगाया था, उसको पटना की तरफ भेज दिया गया. जबकि इस बात की जानकारी उनको थी कि उस लड़की को बाराहाट की तरफ ले जाया गया है.

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उपेंद्र प्रसाद वर्मा ने सदन को यह भी बताया था कि रात में 9 बजे एसपी नीलमणि ने प्रोबेशनरी डीएसपी को इनट्रस्ट किया कि प्रवीण सिंह बाराहाट में है और डीएसपी नवीन सिंह 10 बजे रात्रि में बाराहाट पहुंचते हैं. गंभीर अपराध में एफआईआर होने पर भी अपराधकर्मियों को पकड़ने के बजाय वे काली मंदिर में हो रही शादी में शरीक होते हैं, यह सरकार की विफलता है या नहीं? आगे उन्होंने कहा, दूसरे दिन 10 बजे दिन में पापरी बोस को भागलपुर लाया जाता है और चीफ ज्यूडिसियल मजिस्ट्रेट, भागलपुर के सामने वह लड़की अपना बयान करती है कि मेरी इच्छा के विरुद्ध जबर्दस्ती मुझसे शादी की गई. लड़की ने यह भी कहा कि वह अपने मां—बाप के साथ रहना चाहती है. उपेंद्र प्रसाद वर्मा ने कहा, डा. एसएन बोस की लड़की पापरी बोस को दो मारुति वैन में जबर्दस्ती ले जाया गया. एक सफेद रंग की मारुति वैन डीआईडी 2896, पीडी शर्मा, नई दिल्ली मार्फत एके झा (बच्चा झा), माधुरी भवन, जमाल रोड के नाम से थी. दूसरी गाड़ी का नम्बर 2223 था और वह संजय कुमार कुनकुन वाला के नाम' से रजिस्टर्ड थी. घटना के बाद दूसरे नाम से बदल दिया गया. 

उपेंद्र प्रसाद वर्मा ने कहा, इन सारे मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि इन अपराधकर्मियों को संरक्षण देने में वरिष्ठ लोगों का हाथ है और यह मैं कहना चाहता हूँ कि रविवार में फोटो छपा है, जिसमें कीर्ति आजाद और प्रवीण सिंह हैं. ये वहां के अपराधकर्मियों को संरक्षण देते हैं और उनकी गिरफ्तारी नहीं की जा रही है. इस पर दिलीप कुमार सिंह ने प्वाइंट आफ आॅर्डर उठाते हुए कहा, जो फोटो छपा है वह दूसरे सबजेक्ट पर छपा है. इसको लेकर इनको नहीं कहना चाहिए. जवाब में उपेंद्र वर्मा कहते हैं, मैं यह कहना चाहता हूँ कि इस कांड में पुलिस को जितनी जल्दी तत्परता बरतनी चाहिए या जिनके नाम एफआईआर में दर्ज हैं, उनको गिरफ्तार करने और सजा दिलाने के लिए सरकार की ओर से या मुख्यमंत्री की ओर से कोई भी प्रयास नहीं किया गया. मुख्यमंत्री उसी क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं लेकिन आज तक़ मुख्यमंत्री भागलपुर नहीं गए. मैं इसका जवाब आपसे जानना चाहता हूँ. तीन-तीन रोज भागलपुर बंद रहा और पटना में भी इसका असर रहा लेकिन आप इसको साधारण बात समझते हैं, क्या आप इसको गंभीर बात नहीं समझते हैं. इसको बिहार विधानसभा की समिति से जांच कराई जानी चाहिए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिये वह समिति जांच करे. 

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उसके बाद रामलखन सिंह यादव ने कहा, मैं सदन से निवेदन करना चाहता हूँ कि जो विषय अभी हमारे समक्ष पेश है, उस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए. जब आपने और सदन ने इस पर वाद-विवाद के लिए इजाजत दे दी है तो इसकी सच्चाई की पुष्टि में सबकी मदद चाहिए. उन्होंने कहा, निसंदेह यह एक शर्मनाक बात है और अगर सही है तो उस पर सरकार को कठिन से कठिन कदम उठाकर कार्य करना चाहिए और चाहे जो भी आदमी कसूरवार हो उसको सजा मिलनी चाहिए. इस केस के संबंध में जो विक्टिम गर्ल है, उसका बयान 164 दफा में हो गया है. एफआईआर में जिनका नाम नहीं है, उनके ऊपर सरकार ने कुछ, कार्रवाई की तो क्यों की? इसः सूबे में किसी मां-बहन के साथ, किसी की बेटी के साथ जो बिहार की बेटी है, देश की बेटी है और उस संबंध में जो सरकार की ओर से कार्रवाई करने की अपेक्षा हमलोग चाहते हैं वह होनी चाहिए. मुख्य मंत्री के नाते, इस प्रदेश के निवासी होने के नाते, एक स्वतंत्रता सेनानी और मित्र होने के नाते मैं और सदन मुख्यमंत्री से अपेक्षा करता है कि वो उस संबंध में मुस्तैदी से कार्रवाई करें. उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट में लड़की का बयान हो चुका है और कोर्ट के फैसले तक हमें धैर्य रखना चाहिए. 

समरेश सिंह ने कहा, देश में अभी महाभारत और रामायण सीरियल चल रहे हैं और हम अपनी संस्कृति पर नाज कर रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री पर सीधा आरोप लगा है और जिस गाड़ी में पापरी राय बोस का अपहरण हुआ था, उस गाड़ी का मालिक बच्चा झा उर्फ एके झा हमारे बिहार के मुख्यमंत्री के प्यारे साले हैं और संयोग यह है कि साला माने मामा और भगना का नाम सीधे जुड़ गया. कीर्ति आजाद का नाम जुड़ा हुआ है. इसीलिए हम सभापति महोदय, आपके माध्यम से मुख्यमंत्री से मांग करता हूँ कि क्यों इतनी देरी हो रही है. इस कांड की सीबीआई से जांच कराने की घोषणा क्यों नहीं की जा रही है. सांच को आंच क्या, इसमें विलंब क्यों हो रहा है. अगर झा जी और कीर्ति आजाद इसमें संलग्न नहीं हैं, हाईकोर्ट में रिट करने को जरूरत क्यों पड़ी. जो लोग आज शोर कर रहे हैं, वे भागलपुर एकबार चले जाएं तो उनका थोबड़ा बिगड़ जायेगा.

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बता दें कि कीर्ति झा आजाद 1983 में क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली टीम का हिस्सा थे. संन्यास लेने के बाद वे राजनीति में आ गए और बिहार की दरभंगा सीट पर भाजपा से 3 बार लोकसभा के लिए चुने गए थे. 2019 में उनका भाजपा से मोहभंग हो गया और वे कांग्रेस में शामिल हो गए. 2019 का चुनाव वे झारखंड की धनबाद सीट से लड़े और बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे. उसके बाद कीर्ति झा आजाद तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कीर्ति झा आजाद को तृणमूल कांग्रेस ने वर्धमान—दुर्गापुर से टिकट दिया है.

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