फोन पर बीवी से झगड़ रहे स्टेशन मास्टर के मुंह से किसी बात पर OK क्या निकला, उसकी जिंदगी ही बदल गई. एक ट्रेन वहां के लिए चल पड़ी जहां उसे नहीं जाना था. रेलवे को 3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और स्टेशन मास्टर साहब का तलाक.
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Indian Railways: विलियम शेक्सपीयर का एक बड़ा मशहूर नाटक है- द कॉमेडी ऑफ एरर्स. इस पर आधारित तमाम फिल्में आपने देखी होंगी जहां एक के बाद एक हास्यास्पद परिस्थितियां बनती चली जाती हैं. शेक्सपीयर ने ही 'ऑथेलो' और 'रोमियो जूलियट' जैसी ट्रेजडी भी लिखी. असल जिंदगी में, भारतीय रेलवे के एक स्टेशन मास्टर की जिंदगी में पहले कॉमेडी हुई, फिर उस कॉमेडी के चलते ट्रेजडी. एक नामुराद OK की वजह से शुरू हुई कहानी का अंत 12 साल बाद अदालत में हुआ.
पूरी कहानी शॉर्ट में
स्टेशन मास्टर की नई-नई शादी हुई थी. पत्नी को कोई और पसंद था और वह शादी तक उससे पूरी तरह नाता तोड़ नहीं पाई. झगड़े होने लगे. एक दिन स्टेशन मास्टर साहब अपने दफ्तर में बैठे थे और पत्नी का फोन आ गया. झगड़ा हुआ तो स्टेशन मास्टर ने कहा कि 'घर पर बात करेंगे, ओके?' यही OK सुनकर रेलवे के दूसरे अधिकारी ने मालगाड़ी को प्रतिबंधित रूट पर रवाना कर दिया. कोई हादसा नहीं हुआ मगर रेलवे को तीन करोड़ का नुकसान जरूर उठाना पड़ा. स्टेशन मास्टर सस्पेंड हो गया. निजी जिंदगी में भी उथल-पुथल आ गई. उसने तलाक की अर्जी डाली तो पत्नी ने दहेज मांगने और मारपीट का मुकदमा कर दिया. 12 साल बाद, स्टेशन मास्टर को अदालत के जरिए तलाक मिला है.
डीटेल में मामला यह है
स्टेशन मास्टर विशाखापट्टनम (आंध्र प्रदेश) के रहने वाले हैं और तलाकशुदा पत्नी दुर्ग (छत्तीसगढ़) की. हाई कोर्ट के सामने जो दस्तावेज रखे गए, उनके मुताबिक दोनों की शादी अक्टूबर 2011 में हुई थी. नवविवाहिता खुश नहीं थी क्योंकि उसका शादी से पहले प्रेम संबंध था और वह उससे उबर नहीं पाई थी. इस वजह से उसके और स्टेशन मास्टर पति के बीच कलह होने लगी.
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स्टेशन मास्टर ने खूब समझाया, सास-ससुर से कहा कि अपनी बेटी को समझाएं, लेकिन पत्नी ने कभी अपने प्रेमी से बात करना बंद नहीं किया. पति बगल में सोया रहता और पत्नी अपने प्रेमी से फोन पर बात करती रहती. शादी टूटने के कगार पर पहुंच चुकी थी. एक रात स्टेशन मास्टर ड्यूटी पर थे, पत्नी का फोन आया और झगड़ा शुरू हो गया. चूंकि स्टेशन मास्टर काम पर थे इसलिए उन्होंने यह कहते हुए फोन रख दिया कि 'हम घर पर बात करेंगे, OK?'
स्टेशन मास्टर को यह अहसास नहीं हुआ कि उनके सामने लगा माइक्रोफोन ऑन है. दूसरी तरफ मौजूद, उनके साथी ने इसे अपना 'OK' समझा और ग्रीन सिग्नल मानकर एक मालगाड़ी को प्रतिबंधित रूट पर रवाना कर दिया, माओवाद से प्रभावित इलाके में. गनीमत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ लेकिन प्रतिबंधों के उल्लंघन की वजह से रेलवे को 3 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा.
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निजी जिंदगी में आया भूचाल
स्टेशन मास्टर को सस्पेंड कर दिया गया. शादी में कोई भविष्य न देख उसने विशाखापट्नम की फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी डाली. जवाब में, उसकी पत्नी ने स्टेशन मास्टर, उसके बुजुर्ग पिता, बड़े भाई, भाभी और अन्य रिश्तेदारों के खिलाफ दहेज के लिए प्रताड़ित करने की शिकायत दर्ज करा दी. जान को खतरा है, कहते हुए सुप्रीम कोर्ट से मामले को दुर्ग ट्रांसफर करा लिया. दुर्ग की फैमिली कोर्ट ने तलाक की अर्जी खारिज कर दी तो स्टेशन मास्टर ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
हाई कोर्ट ने हालिया फैसले में पाया कि पत्नी ने अपने पति पर भाभी के साथ अफेयर होने का झूठा आरोप लगाया था. दहेज और मारपीट की शिकायतें भी झूठी साबित हुईं. HC ने कहा कि मामले में पत्नी का व्यवहार 'क्रूरता' के दायरे में आता है. जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की बेंच ने फैमिली कोर्ट का फैसला पलटते हुए तलाक मंजूर कर दिया.