2G spectrum case: सीबीआई (CBI) ने 2018 में अपील दायर की थी. इस पर कोर्ट ने 14 मार्च को फैसला सुरक्षित रखा था. विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को ए राजा (A Raja), डीएमके सांसद कनिमोई (Kanimozhi) और अन्य को 2G घोटाले से जुड़े सीबीआई तथा ED के मामलों में बरी कर दिया था.
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2G Scam: दिल्ली हाई कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा (A Raja) और अन्य को बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई (CBI) की अपील पर विचार करने के लिए स्वीकार कर ली है. जस्टिस दिनेश कुमार शर्मा ने कहा कि उपलब्ध सामग्री और विभिन्न पक्षों के वकीलों की दलीलों के आधार पर सीबीआई ने प्रथम दृष्टया एक मामला बनाया है और सभी साक्ष्यों के गहन अध्ययन की तथा अपीलों पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है.
अपील की इजाजत: HC
जस्टिस डीके शर्मा ने कहा, ‘अपील की अनुमति दी जाती है. अपील को मई में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए.’ गौरतलब है कि 'अपील की अनुमति’ कोर्ट द्वारा किसी पक्ष को किसी फैसले के खिलाफ किसी ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए दी गई औपचारिक मंजूरी होती है. हाईकोर्ट ने सीबीआई की छह साल पहले दायर ‘अपील की अनुमति’ याचिका पर यह फैसला सुनाया.
CBI ने 2018 में अपील दायर की थी. इस पर न्यायाधीश ने 14 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. विशेष अदालत ने 21 दिसंबर, 2017 को ए राजा, डीएमके सांसद कनिमोई और अन्य को 2G घोटाले से जुड़े सीबीआई तथा ED के मामलों में बरी कर दिया था.
क्या है 2G घोटाला?
2G घोटाला (2G Scam) देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाता है. इस मामले में 14 लोगों और तीन बड़ी कंपनियों पर आरोप लगा था. अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक घोटााला माना जाने वाला 2G घोटाला साल 2010 में सामने आया था. इस स्कैम में एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किए जाने का आरोप था. ये मामला उस दौर का सबसे गंभीर और बड़ा राजनीतिक विवाद बन कर उभरा था. हालांकि, विशेष सीबीआई जज के एक फैसले ने इस घोटाले की पूरी तस्वीर बदलकर रख दी थी.
2जी स्पेक्ट्रम मामले (2G Spectrum Case) में येआरोप लगा था कि ये राजनेता और कुछ अधिकारी उन शर्तों पर 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस बेचने या आवंटित करने में शामिल थे. जो निजी टेलीकॉम ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाते थे. घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे. हालांकि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी. इस मामले ने प्रधानमंत्री दफ्तर (PMO) और तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया था.
सभी आरोपी हो गए थे बरी
हालांकि लंबी सुनवाई के बाद स्पेशल सीबीआई जज ओपी सैनी के एक फैसले ने देश के कथित इस सबसे बड़े घोटाले की पूरी तस्वीर ही बदल गई थी. तब सीबीआई के जज ने कहा था '2G के गलत आवंटन के मामले में 14 लोगों और 3 कंपनियों पर आरोप लगाया है लेकिन वो ठोस सबूत पेश नहीं पर पाई है. लिहाजा कोर्ट सभी को बरी करती है. कोर्ट के इस फैसले को सुनते ही ए राजा और कनिमोझी मुस्करा उठे थे.
(एजेंसी इनपुट के साथ)